शिमला: भाई-बहनों के पावन रिश्ते का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन पूरे हर्षोल्लास से देश भर में मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर फैंसी और सुंदर राखी बांधती है. पिछले कुछ सालों से फैंसी, चांदी और सोने की राखियों का ट्रेंड चला हुआ है, लेकिन हिमाचल की महिलाओं ने इस बार ऐसी ईको फ्रेंडली राखियां बनाई है, जो न सिर्फ आपके भाइयों को संकट से बचाएगी, बल्कि टूटने पर इसे गमले या मिट्टी में डालेंगे तो उसमें से पौधा निकल आएगा.
रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों के कलाई पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधती है, ताकि उनके भाई हमेशा सलामत रहें. वहीं, भाई भी बहनों की आजीवन रक्षा करने का वचन देते हैं. भाई-बहनों के रिश्ते को यह अटूट धागा उन्हें प्रेम की डोर में बांधता है. वहीं, इस बार हिमाचल की स्वयं समूह महिलाओं ने फैंसी और महंगी राखियों की जगह ईको फ्रेंडली राखी बनाई है. ये राखी कई मायनों में खास है. इन राखियों को गोबर, पाइन सहित प्राकृतिक चीजों से बनाया गया है.
हर बार रक्षाबंधन के बाद राखियां टूटने पर उसे वेस्ट समझकर फेंक दिया जाता है, लेकिन हिमाचल में बनी ये ईको फ्रेंडली अब वेस्ट नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि इन राखियों में तुलसी, सूरजमुखी सहित अन्य फूलों के बीज हैं. जिससे रक्षाबंधन के बाद आप इन राखियों को गमले या मिट्टी में डालेंगे तो उसमें से एक पौधा निकल कर आएगा. जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भी होगा और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.
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