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Exclusive interview: माकपा MLA राकेश सिंघा बोले, नहीं लेंगे चार लाख सालाना यात्रा भत्ता सुविधा

राकेश सिंघा ने कहा कि वो सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा नहीं लेंगे. विधायक ने बताया कि उन्होंने अभी तक विधायकों के लिए तय मेडिकल और कुछ दूसरे क्लेम नहीं लिए हैं.

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Published : Aug 31, 2019, 10:31 PM IST

राकेश सिंघा

शिमला: राजधानी में विधानसभा सत्र के दौरान माननीयों के यात्रा भत्ता बिल पारित करने का माकपा विधायक राकेश सिंघा ने विरोध किया है. राकेश सिंघा ने सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा न लेने की बात कही है.

राकेश सिंघा ने कहा कि वो सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा नहीं लेंगे. विधायक ने बताया कि उन्होंने अभी तक विधायकों के लिए तय मेडिकल और कुछ दूसरे क्लेम नहीं लिए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ है ऐसे में विधायकों के लिए यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी अच्छा संकेत नहीं है. किसान, श्रमिक और आम जनता कष्ट में है. ऐसे में इस तरह की बढ़ोतरी से बचा जाना चाहिए था.

माकपा विधायक ने कहा कि राजनीति जनसेवा को समर्पित होनी चाहिए. राजनेता जिस बात का उपदेश देते हैं, उन्हें उसे अमल में भी लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए बलिदानियों ने कष्ट सहे और मौत का फंदा चूमा और काला पानी की सजा झेली है. आजादी के बाद भी समाज में अभाव है, ऐसे में राजनेताओं को अपने भीतर झांकने की जरूरत है. वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी से पहले समाज के अभावों से जूझ रहे वर्ग पर नजर डालनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेशक हिमाचल विधानसभा में पारित बिल से सरकार पर कोई बहुत अधिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी इससे बचा जाता तो बेहतर था.

Exclusive interview: राकेश सिंघा, माकपा विधायक

ये भी पढ़ें: माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी से गुस्साए समाजिक कार्यकर्ता, अनोखे अंदाज में जताया विरोध

शिमला: राजधानी में विधानसभा सत्र के दौरान माननीयों के यात्रा भत्ता बिल पारित करने का माकपा विधायक राकेश सिंघा ने विरोध किया है. राकेश सिंघा ने सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा न लेने की बात कही है.

राकेश सिंघा ने कहा कि वो सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा नहीं लेंगे. विधायक ने बताया कि उन्होंने अभी तक विधायकों के लिए तय मेडिकल और कुछ दूसरे क्लेम नहीं लिए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ है ऐसे में विधायकों के लिए यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी अच्छा संकेत नहीं है. किसान, श्रमिक और आम जनता कष्ट में है. ऐसे में इस तरह की बढ़ोतरी से बचा जाना चाहिए था.

माकपा विधायक ने कहा कि राजनीति जनसेवा को समर्पित होनी चाहिए. राजनेता जिस बात का उपदेश देते हैं, उन्हें उसे अमल में भी लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए बलिदानियों ने कष्ट सहे और मौत का फंदा चूमा और काला पानी की सजा झेली है. आजादी के बाद भी समाज में अभाव है, ऐसे में राजनेताओं को अपने भीतर झांकने की जरूरत है. वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी से पहले समाज के अभावों से जूझ रहे वर्ग पर नजर डालनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेशक हिमाचल विधानसभा में पारित बिल से सरकार पर कोई बहुत अधिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी इससे बचा जाता तो बेहतर था.

Exclusive interview: राकेश सिंघा, माकपा विधायक

ये भी पढ़ें: माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी से गुस्साए समाजिक कार्यकर्ता, अनोखे अंदाज में जताया विरोध

माकपा एमएलए राकेश सिंघा बोले, नहीं लेंगे चार लाख सालाना यात्रा भत्ता सुविधा,
शिमला। हिमाचल विधानसभा में वामपंथ की इकलौती आवाज राकेश सिंघा ने दो-टूक कहा है कि वो सालाना चार लाख यात्रा भत्ता सुविधा नहीं लेंगे। माकपा विधायक ने कहा-हालांकि वे इस बात का ढिंढोरा पीटने के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर कहना चाहेंगे कि उन्होंने अभी तक विधायकों के लिए तय मेडिकल व कुछ अन्य क्लेम नहीं लिए हैं। सिंघा ने कहा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था संकट के दौर में है और हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ है, विधायकों के लिए यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी अच्छा संकेत नहीं है। सिंघा ने कहा कि किसान, श्रमिक व आम जनता कष्ट में है। ऐसे में इस तरह की बढ़ोतरी से बचा जाना चाहिए था। माकपा विधायक ने कहा कि उनका शुरू से ही ये स्टैंड है कि राजनीति जनसेवा को समर्पित होनी चाहिए। उन्होंने सदन में भी इस बिल को पारित न किए जाने की बात कही थी। राजनेता जिस बात का उपदेश देते हैं, उन्हें उसे अमल में भी लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए अनेक बलिदानियों ने कष्ट सहे और मौत का फंदा चूमा। काला पानी की सजा झेली है। आजादी के बाद भी समाज में अभाव है, ऐसे में राजनेताओं को अपने भीतर झांकने की जरूरत है और वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी से पहले समाज के उस वर्ग पर नजर डालनी चाहिए, जो अभी भी अभावों से जूझ रहा है। बेशक हिमाचल विधानसभा में पारित बिल से सरकार पर कोई बहुत अधिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी इससे बचा जाता तो बेहतर था। 
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