शिमला: देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में बाल मजदूरी (Child labor in Himachal Pradesh) के मामले काफी कम सामने आते हैं. शिमला जिला में बीते महीनों में विभिन्न ढाबों, व्यावसायिक उपक्रमों व परिवारों में 247 निरीक्षण किया गया, जिसमें से दो मामले बाल मजदूरी के पकड़े गए हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. सोमवार को शिमला के बचत भवन बाल श्रम में बचाव एवं पुनर्वास के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष वंदना योगी ने की. इस दौरान उन्होंने किसी परिवार अथवा व्यावसायिक उपक्रम बच्चों को बाल श्रम के प्रति बाध्य करने पर उसके खिलाफ नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी.
वंदना योगी ने बताया कि गलियों में भीख मांग रहे बच्चे अथवा मजबूरी वंश बाल श्रम में बाध्य बच्चों के अधिकारों के रक्षण के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है. उन्होंने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से व्यवहारिक तौर पर इन बच्चों के आंकड़े एकत्र करने साथ ही इन बच्चों के सुधार के लिए आने वाली कठिनाइयों को लेकर भी चर्चा की गई. इसके अलावा कार्यशाला में परस्पर सुझाव आदान-प्रदान कर विचार साझा किए गए. उन्होंने कहा कि बिना सामाजिक सहयोग से बाल श्रम में लगे बच्चों का पुनर्वास संभव नहीं.
उन्होंने कहा कि बच्चों के कल्याण के लिए कार्य करने वाली एजेंसियों को भी सामाजिक सहयोग की जरूरत है ताकि बच्चों के भविष्य को संवारा जा सके और भावी समाज के रक्षण में हम सक्षम हो सकें. उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में अनेक योजनाएं और व्यवस्थाएं लेकर आई है, जिसमें जन सहयोग से ही आगे बढ़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के हनन की स्थिति देवभूमि में लगभग न के बराबर है उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला इसी संदर्भ में आंकड़े एकत्र करने तथा बच्चों की पहचान सुनिश्चित करने के संबंध में विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए आयोजित की गई थी.
बाल संरक्षण योजनाओं को लेकर डीसी सिरमौर ने की बैठक: वहीं, दूसरी ओर सिरमौर जिला बाल संरक्षण समिति द्वारा सोमवार को डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम की अध्यक्षता में उपायुक्त कार्यालय में बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में डीसी सिरमौर ने अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिले में बाल संरक्षण के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें. बैठक के बाद डीसी सिरमौर ने मीडिया को विस्तार से जानकारी दी. डीसी ने जिले में बाल अपराधों को रोकने से संबंधित सूचना के लिए टोल फ्री नंबर 1098 का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार करने के अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि यह नंबर सभी सार्वजनिक स्थलों अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, बस अड्डों व बाजारों में प्रदर्शित किया जाना सुनिश्चित करें, ताकि बाल अपराध से संबंधित कोई भी सूचना इस नंबर पर दी जा सके.
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डीसी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अनाथ और बेसहारा बच्चों की देखरेख, भरण पोषण, चिकित्सा, शिक्षा एवं पुनर्वास से संबंधित योजनाएं व्यापक स्तर पर लागू करना सुनिश्चित करें. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों का पता लगाने, उनका ब्यौरा पीएम केयर पोर्टल पर दर्ज करने साथ ही उनके पुनर्वास के लिए प्रयास तेज करने के निर्देश भी दिए ताकि उन्हें पीएम केयर योजना का लाभ मिल सके. उन्होंने कोविड-19 से अर्ध-अनाथ हुए बच्चों को मदर टेरेसा योजना के तहत शामिल किए जाने व ऐसे बच्चों को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child) के ऑनलाइन पोर्टल बाल स्वराज पर दर्ज करवाने को कहा.
बैठक के दौरान डीसी ने अनाथ बच्चों की संपत्ति के संरक्षण व संपत्ति को उनके नाम पंजीकृत करने बारे कार्रवाई में तेजी लाने और 28 फरवरी 2022 तक ऐसे सभी मामले निपटाने के अधिकारियों को निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने बाल मजदूरी रोकने के लिए नियमित अंतराल पर दुकानों, औद्योगिक क्षेत्रों में निरीक्षण करने के व टास्क फोर्स सक्रिय करने के निर्देश दिए, ताकि बाल मजदूरी एवं भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों को चिन्हित कर समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके.
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