शिमला: हिमाचल प्रदेश में निजी स्कूल पर लग रही मनमानी के आरोपों को लेकर निजी स्कूल एसोसिएशन अपनी बात रखने के लिए आगे आई है. निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि प्रदेश में अनेक निजी स्कूल हैं और हर निजी स्कूल में फीस और बस को लेकर वित्तीय प्रबंधन अपने मुताबिक है.
कुछ स्कूल ऐसे हैं जो मनमानी कर रहे हैं, लेकिन उनकी मनमानी से प्रदेश के सभी निजी स्कूल बदनाम हो रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ यूनियन स्कूल और अभिभावकों के बीच खाई को बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि निजी स्कूल लगातार अपनी मनमानी कर रहे हैं, लेकिन जहां तक बात हिमाचल शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल की है, तो वह सभी स्कूल छात्रों से जायज फीस ले रहे हैं. किसी भी तरह की भारी-भरकम फीस छात्रों से नहीं वसूली जा रही.
फीस न देने की वजह से किसी को नहीं निकाला बाहर
निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष यूसी चौहान ने कहा कि कोविड 19 की विषम परिस्थितियों के बीच इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे बहुत से अभिभावकों के पास अपने बच्चों की फीस देने के लिए पैसे नहीं हैं और उन्होनें फीस नहीं दी है. फीस न मिलने की वजह से न तो किसी बच्चे को स्कूल से बाहर निकाला गया है और न ही उन्हें परीक्षा देने से रोका गया है.
निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को एक तराजू में नहीं तोला जा सकता. अभी तक शिक्षा विभाग के नियम सभी स्कूल के लिए एक जैसे हैं, जो गलत हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि निजी स्कूल पर से अभिभावकों का विश्वास उठाने की कोशिश की जा रही है. इससे उन्हें बच्चों और स्कूल के भविष्य की चिंता सताने लगी है. उन्होंने यह मांग की है कि जो निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई सरकार की ओर से की जानी चाहिए.
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निजी स्कूल को दुकान कहने पर आहत
निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि शिक्षा व्यापार नहीं है. इसे फायदे के लिए नहीं चलाया जाता. छात्रों के हितों के लिए स्कूल खोले गए हैं और किसी भी स्कूल को फायदा नहीं हो रहा है. फीस से ही यह स्कूल चलते हैं और अगर कुछ एक आमदनी होती भी है, तो उसे स्कूल की को बेहतर बनाने के साथ ही छात्रों के हित में लगाया जाता है.
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