शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए प्रस्तुत बजट को दिशाहीन एवं रोजगार विरोधी बजट करार दिया है. उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष को देखते हुए केन्द्र सरकार से उम्मीद की जा रही थी कि युवाओं और बेरोजगारों के लिए रोजगारपरक नीति की घोषणा होती लेकिन इस बजट ने हर वर्ग को निराश किया है.
मीडिया सलाहकार ने कहा कि वास्तव में महंगाई और बेरोजगारी से आम आदमी त्रस्त है और बजट में इस दिशा में कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि पैट्रोल, डीजल और घरेलू गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं जबकि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इनकी कीमतों में ठहराव आया है. महिलाओं के लिए इस बजट में कोई योजना नहीं हैं. किसानों, बागवानों तथा आम आदमी को कोई राहत प्रदान नहीं की गई है. हिमाचल की आर्थिकी पर्यटन विकास पर आधारित है लेकिन बजट में पर्यटन विकास के लिए कोई योजना नहीं है.
टैक्स दरों को उलझाने का किया काम
नरेश चौहान ने कहा कि टैक्स दरों में भी लोगों को उलझाने का प्रयास किया गया है जबकि बचत को प्रोत्साहित करने की बजाय खर्चों को बढ़ा दिया गया है. इससे लगता है कि यह बजट आम लोगों को राहत देने के विपरीत उन्हें भ्रमित करने वाला मात्र आंकड़ों का मायाजाल है.
हिमाचल प्रदेश का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पहले ही कर्ज में डूबा हुआ है और पिछली सरकारों का 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा ही 30 हजार करोड़ का कर्ज है. सरकार के पास करोड़ों रुपये की देनदारियां हैं. कर्मचारियों और पेंशनधारकों को छठे वेतन आयोग के बकाया की करोड़ों रुपये की राशि देय है और इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से हिमाचल को 10 हजार करोड़ रुपये का विशेष अनुदान दिया जाना चाहिए था लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा हिमाचल को निराश किया गया है.
रोजगार देने वाली मनरेगा की बजट में कोई चर्चा तक नहीं की
नरेश चौहान ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर रोजगार प्रदान करने वाली महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना के लिए केन्द्रीय वित्त बजट में कोई चर्चा नहीं है. पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए भी कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट के लिए पूरी तैयारियां आरम्भ कर दी हैं और बजट को और अधिक लोक केन्द्रित बनाने के उद्देश्य से समाज के विभिन्न हितधारकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं. आम जनमानस, उद्योगों, व्यापारिक तथा कृषक संगठनों से बजट के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए हैं.
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