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हिमाचल में 3 साल से खाली है लोकायुक्त का पद, सवालों के घेरे में जयराम सरकार

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Published : Aug 18, 2020, 8:28 PM IST

Updated : Aug 18, 2020, 9:40 PM IST

प्रदेश में पिछले तीन साल से लोकयुक्त जैसे अहम पद खाली पड़ा हुआ है. विकास कार्यों को लेकर सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाते नहीं थकती, लेकिन इतने अहम पद का रिक्त होना प्रदेश सरकार की लापरवाही को दर्शाता है. वहीं, विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.

Post of Lokayukta vacant in Himachal for 3 years
फोटो.

शिमला: हिमाचल सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई बार इस बात को कह चुके हैं कि वह भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर नहीं सहन नहीं करेंगे, लेकिन राज्य में लोकयुक्त जैसे अहम पद का खाली होना सरकार पर कई सवाल खड़े करता है.

हिमाचल में लोकायुक्त का पद 2017 से खाली है. हैरानी की बात तो यह है कि पिछले तीन साल से इस पद पर तैनाती को लेकर सरकार ने कोई कवायद शुरू नहीं की. जयराम सरकार ने अपने अढ़ाई साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. विकास कार्यों को लेकर सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाते नहीं थकती, लेकिन इतने अहम पद का रिक्त होना प्रदेश सरकार की लापरवाही को दर्शाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

गौर करने वाली बात यह भी है कि विपक्ष भी इस मुद्दे को उठाने में नाकाम रहा है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय लोकायुक्त तैनात किया गया था और 2017 में जस्टिस एलएस पांटा सेवानिवृत्त हो गए थे. राठौर ने कहा कि तब से लेकर इस पद का ना भरा जाना सरकार की नाकामी है.

जयराम सरकार ने नया लोकायुक्त एक्ट तो लागू कर दिया है, लेकिन अभी तक लोकायुक्त की तैनाती नहीं की गई है. नए एक्ट के दायरे में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री विधायक, अधिकारी कर्मचारी भी आएंगे, लेकिन यह कब यह कब होगा, इस बात को कोई नहीं जानता. सीएम जयराम की माने तो सरकार जल्द से जल्द इस पद को भरने की कोशिश कर रही है.

हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट 2014 को राष्ट्रपति द्वारा 30 जून 2015 को मंजूरी दी गई थी. हिमाचल में पहली बार लोकायुक्त एक्ट सन 1983 में आया एक्ट में संशोधन के साथ सशक्त बनाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2011 में राष्ट्रपति को भेजा, लेकिन मंजूरी नहीं मिली थी 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो बजट सत्र 2013 में संशोधित बिल लाया गया था.

जिसे शीतकालीन सत्र धर्मशाला में विपक्ष द्वारा विरोध के बाद वापस लाया गया, फिर 2015 में बजट सत्र में संशोधन के साथ विधेयक पास किया गया, जिस पर 30 जून 2015 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दे दी गई.

बता दें कि पूर्व वीरभद्र सरकार में न्यायधीश लोकेश्वर पांटा प्रदेश के लोकायुक्त थे, लेकिन 2017 फरवरी में उनकी सेवानिवृति के बाद यह पद खाली पड़ा है. लोकायुक्त का अलग से अपना अभियोजन विंग होता है. लोकायुक्त के साथ सहयोग के लिए दो सदस्य भी नियुक्त किए जा सकते हैं.

प्रदेश में लोकायुक्त एक्ट 2014 के तहत नए लोकायुक्त की नियुक्ति होगी. वर्तमान में संस्थान में सचिव रजिस्ट्रार पीएसपी कार्यरत हैं. सचिव आईएएस रजिस्ट्रार जिला एवं सत्र न्यायाधीश रैंक के और एसपी पुलिस कैडर से हैं.

इसके अलावा करीब 36 कर्मचारियों का स्टाफ भी तैनात है. नए एक्ट के तहत लोक सेवक से लेकर जनप्रतिनिधि के भ्रष्टाचार मामलों की जांच हो सकती है, इनमें विधायक और मंत्री के भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच हो सकती है.

अभी तक हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त में करीब 200 से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. जिससे प्रदेश में लोकायुक्त के महत्त्व का पता चलता है, लेकिन कानून में भी पेचीदगियों और प्रदेश सरकारों की नकारात्मक दृष्टिकोण से लोकायुक्त का पद लंबे समय से प्रदेश में खाली चल रहा है.

शिमला: हिमाचल सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई बार इस बात को कह चुके हैं कि वह भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर नहीं सहन नहीं करेंगे, लेकिन राज्य में लोकयुक्त जैसे अहम पद का खाली होना सरकार पर कई सवाल खड़े करता है.

हिमाचल में लोकायुक्त का पद 2017 से खाली है. हैरानी की बात तो यह है कि पिछले तीन साल से इस पद पर तैनाती को लेकर सरकार ने कोई कवायद शुरू नहीं की. जयराम सरकार ने अपने अढ़ाई साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. विकास कार्यों को लेकर सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाते नहीं थकती, लेकिन इतने अहम पद का रिक्त होना प्रदेश सरकार की लापरवाही को दर्शाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

गौर करने वाली बात यह भी है कि विपक्ष भी इस मुद्दे को उठाने में नाकाम रहा है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय लोकायुक्त तैनात किया गया था और 2017 में जस्टिस एलएस पांटा सेवानिवृत्त हो गए थे. राठौर ने कहा कि तब से लेकर इस पद का ना भरा जाना सरकार की नाकामी है.

जयराम सरकार ने नया लोकायुक्त एक्ट तो लागू कर दिया है, लेकिन अभी तक लोकायुक्त की तैनाती नहीं की गई है. नए एक्ट के दायरे में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री विधायक, अधिकारी कर्मचारी भी आएंगे, लेकिन यह कब यह कब होगा, इस बात को कोई नहीं जानता. सीएम जयराम की माने तो सरकार जल्द से जल्द इस पद को भरने की कोशिश कर रही है.

हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट 2014 को राष्ट्रपति द्वारा 30 जून 2015 को मंजूरी दी गई थी. हिमाचल में पहली बार लोकायुक्त एक्ट सन 1983 में आया एक्ट में संशोधन के साथ सशक्त बनाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2011 में राष्ट्रपति को भेजा, लेकिन मंजूरी नहीं मिली थी 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो बजट सत्र 2013 में संशोधित बिल लाया गया था.

जिसे शीतकालीन सत्र धर्मशाला में विपक्ष द्वारा विरोध के बाद वापस लाया गया, फिर 2015 में बजट सत्र में संशोधन के साथ विधेयक पास किया गया, जिस पर 30 जून 2015 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दे दी गई.

बता दें कि पूर्व वीरभद्र सरकार में न्यायधीश लोकेश्वर पांटा प्रदेश के लोकायुक्त थे, लेकिन 2017 फरवरी में उनकी सेवानिवृति के बाद यह पद खाली पड़ा है. लोकायुक्त का अलग से अपना अभियोजन विंग होता है. लोकायुक्त के साथ सहयोग के लिए दो सदस्य भी नियुक्त किए जा सकते हैं.

प्रदेश में लोकायुक्त एक्ट 2014 के तहत नए लोकायुक्त की नियुक्ति होगी. वर्तमान में संस्थान में सचिव रजिस्ट्रार पीएसपी कार्यरत हैं. सचिव आईएएस रजिस्ट्रार जिला एवं सत्र न्यायाधीश रैंक के और एसपी पुलिस कैडर से हैं.

इसके अलावा करीब 36 कर्मचारियों का स्टाफ भी तैनात है. नए एक्ट के तहत लोक सेवक से लेकर जनप्रतिनिधि के भ्रष्टाचार मामलों की जांच हो सकती है, इनमें विधायक और मंत्री के भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच हो सकती है.

अभी तक हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त में करीब 200 से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. जिससे प्रदेश में लोकायुक्त के महत्त्व का पता चलता है, लेकिन कानून में भी पेचीदगियों और प्रदेश सरकारों की नकारात्मक दृष्टिकोण से लोकायुक्त का पद लंबे समय से प्रदेश में खाली चल रहा है.

Last Updated : Aug 18, 2020, 9:40 PM IST
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