शिमला: सियासत में विरोध अपनी जगह है, लेकिन जब बात जनहित की आती है तो सरकार भी हठ नहीं करती. हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद सीएम सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्व में जयराम सरकार के कार्यकाल में खोले गए सैंकड़ों संस्थान डी-नोटिफाई कर दिए. कांग्रेस सरकार ने जयराम सरकार के अंतिम नौ माह के फैसले रिव्यू करने की बात कही थी और इसी कड़ी में कई संस्थान डी-नोटिफाई हो गए.
आटे के साथ जिस तरह घुन पिस जाता है, ठीक उसी तरह डी-नोटिफिकेशन के चक्कर में एक महत्वपूर्ण संस्थान सुखविंदर सरकार की टेढ़ी नजर का शिकार हो गया. बाद में भाजपा नेताओं ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर जमीनी हकीकत बताई तो संस्थान नए सिरे से नोटिफाई हो गया. मामला बिलासपुर का है. दरअसल, बिलासपुर में एम्स खुलने के बाद अस्पताल में विभिन्न हादसों में घायल लोगों को इलाज के लिए लाया जाता है. हादसों के मामले में घायल का इलाज मेडिको लीगल केस के रूप में होता है.
पहले पुलिस में एमएलसी कटती है फिर इलाज आरंभ होता है. बिलासपुर में पुलिस चौकी खोली गई थी. उस पुलिस चौकी के कर्मचारी एमएलएसी व एम्स में कानून से जुड़े मसले देखते थे. सुखविंदर सरकार ने जब डी-नोटिफिकेशन के आदेश जारी किए तो पूर्व की सरकार के समय खुली चौकी भी बंद हो गई. वहीं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा के स्थानीय विधायक रणधीर शर्मा ने इस मामले को सीएम सुखविंदर सिंह के समक्ष लाया तो मुख्यमंत्री को भी वास्तविकता का पता चला. उसके बाद पुलिस चौकी को लेकर सारी रिपोर्ट मंगवाई गई.
अब राज्य सरकार ने इस चौकी को नए सिरे से नोटिफाई कर दिया है. गृह विभाग की तरफ से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. उल्लेखनीय है कि सुखविंदर सिंह सरकार ने 12 दिसंबर को डी-नोटिफिकेशन का फैसला लिया था. इसमें एम्स बिलासपुर की पुलिस चौकी भी डी-नोटिफिकेशन की जद में आ गई थी. अब उसे बहाल कर दिया है. पहले ये चौकी बिलासपुर जिला के ब्रह्मपुखर थाने के तहत कार्य करती थी. अब इसे सदर पुलिस थाना बिलासपुर के तहत लाया गया है. चौकी बहाल होने से एम्स प्रबंधन ने भी राहत की सांस ली है.
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