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तीमारदारों ने फार्मासिस्टों पर लगाए मनमर्जी के आरोप, DDU में समय से पहले बंद कर दी गई डिस्पेंसरी

सोमवार को राजधानी के जिला अस्पताल डीडीयू में सामने आया, जब कई मरीज दवाई लेने के लिए डिस्पेंसरी के बाहर कतार में खड़े थे, लेकिन फार्मासिस्टों ने यह कहकर डिस्पेंसरी बंद कर दी कि उनका डिस्पेंसरी बंद करने का समय हो गया है, जबकि उस समय 8 से 10 मरीज कतार में खड़े हुए थे. मरीजों के बार-बार आग्रह करने के बाद भी फार्मासिस्टों ने दवाई नहीं दी

pharmacists being accused of not giving medicines
डीडीयू शिमला में फार्मासिस्टों पर मनमर्जी के आरोप
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Published : Mar 3, 2020, 7:46 AM IST

शिमलाः मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार ने अस्पतालों में निशुल्क दवाइयों का प्रावधान किया है. इसके लिए सभी अस्पतालों में डिस्पेंसरियां खोली गई हैं.

दरअसल जब डॉक्टर के पास ओपीडी में जांच करवाने के बाद मरीज को जो दवाएं ऑपीडी में लिखी जाती हैं, वह डिस्पेंसरी से निशुल्क मिलती हैं. मगर कुछ अस्पतालों में फार्मासिस्टों की मनमर्जी से मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

ऐसा ही मामला सोमवार को राजधानी के जिला अस्पताल डीडीयू में सामने आया, जब कई मरीज दवाई लेने के लिए डिस्पेंसरी के बाहर कतार में खड़े थे, लेकिन फार्मासिस्टों ने यह कहकर डिस्पेंसरी बंद कर दी कि उनका डिस्पेंसरी बंद करने का समय हो गया है, जबकि उस समय 8 से 10 मरीज कतार में खड़े हुए थे. मरीजों के बार-बार आग्रह करने के बाद भी फार्मासिस्टों ने दवाई नहीं दी. मजबूरन मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर दवाईयां खरीदनी पड़ी.

हालांकि अस्पतालों में ओपीडी का समय 4:50 बजे तक रहता है. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब ओपीडी 4:50 बजे तक चलती है तो डिस्पेंसरी 4 बजे ही बंद क्यों कर दी गई.

तीमारदार का आरोपः समय से पहले कर दी डिस्पेंसरी बंद

नेरवा से डीडीयू में अपने ससुर की जांच करवाने आए ओमप्रकाश ने बताया कि वह सुबह पहले ओपीडी की कतारों में जांच के लिए खड़े रहे. दोपहर बाद करीब 3 बजे उनका नंबर ऑपीडी में आया. ओपीडी में तुरंत जांच करवाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें दवाई लिखी और कहा कि यह सभी दवाइयां डिस्पेंसरी में मिल जाएगी.

वीडियो.

तीमारदार ओम प्रकाश का कहना है कि जब वह डिस्पेंसरी में पहुंचे तो 3:30 बज गए थे. वहां पर लंबी कतारें थी. इस दौरान आधे घंटे कतारों में खड़े रहने के बाद उनका नंबर जब आने ही वाला था, तो डिस्पेंसरी यह कहकर बंद कर दी गई कि अब उनका डिस्पेंसरी बंद करने का समय हो गया है.

ओम प्रकाश ने बताया कि डिस्पेंसरी के बाहर उस दौरान लाइन में 8 से 10 लोग थे, सभी ने फार्मासिस्टों से आग्रह किया कि वह दूर से आए हैं और दवाएं दे दें, लेकिन फार्मासिस्टों ने एक भी मरीज को दवा नहीं दी और बिना सुने डिस्पेंसरी बंद करके चले गए.

ओम प्रकाश ने सीएमओ के पास की शिकायत

वहीं, ईटीवी भारत ने जब सीएमओ डॉ. जितेंद्र चौहान से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके पास स्टाफ की कमी है. फार्मासिस्ट कम हैं, जो पूरा दिन डिस्पेंसरी में दवाएं देते हैं. उन पर काम का बोझ है जिस वजह से डिस्पेंसरी तय समय पर बंद कर दी जाती है.

ये भी पढ़ेंः विवादित नारों पर बढ़ सकती है अनुराग ठाकुर की मुश्किलें, शिमला में जीरो FIR दर्ज करने की शिकायत

शिमलाः मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार ने अस्पतालों में निशुल्क दवाइयों का प्रावधान किया है. इसके लिए सभी अस्पतालों में डिस्पेंसरियां खोली गई हैं.

दरअसल जब डॉक्टर के पास ओपीडी में जांच करवाने के बाद मरीज को जो दवाएं ऑपीडी में लिखी जाती हैं, वह डिस्पेंसरी से निशुल्क मिलती हैं. मगर कुछ अस्पतालों में फार्मासिस्टों की मनमर्जी से मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

ऐसा ही मामला सोमवार को राजधानी के जिला अस्पताल डीडीयू में सामने आया, जब कई मरीज दवाई लेने के लिए डिस्पेंसरी के बाहर कतार में खड़े थे, लेकिन फार्मासिस्टों ने यह कहकर डिस्पेंसरी बंद कर दी कि उनका डिस्पेंसरी बंद करने का समय हो गया है, जबकि उस समय 8 से 10 मरीज कतार में खड़े हुए थे. मरीजों के बार-बार आग्रह करने के बाद भी फार्मासिस्टों ने दवाई नहीं दी. मजबूरन मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर दवाईयां खरीदनी पड़ी.

हालांकि अस्पतालों में ओपीडी का समय 4:50 बजे तक रहता है. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब ओपीडी 4:50 बजे तक चलती है तो डिस्पेंसरी 4 बजे ही बंद क्यों कर दी गई.

तीमारदार का आरोपः समय से पहले कर दी डिस्पेंसरी बंद

नेरवा से डीडीयू में अपने ससुर की जांच करवाने आए ओमप्रकाश ने बताया कि वह सुबह पहले ओपीडी की कतारों में जांच के लिए खड़े रहे. दोपहर बाद करीब 3 बजे उनका नंबर ऑपीडी में आया. ओपीडी में तुरंत जांच करवाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें दवाई लिखी और कहा कि यह सभी दवाइयां डिस्पेंसरी में मिल जाएगी.

वीडियो.

तीमारदार ओम प्रकाश का कहना है कि जब वह डिस्पेंसरी में पहुंचे तो 3:30 बज गए थे. वहां पर लंबी कतारें थी. इस दौरान आधे घंटे कतारों में खड़े रहने के बाद उनका नंबर जब आने ही वाला था, तो डिस्पेंसरी यह कहकर बंद कर दी गई कि अब उनका डिस्पेंसरी बंद करने का समय हो गया है.

ओम प्रकाश ने बताया कि डिस्पेंसरी के बाहर उस दौरान लाइन में 8 से 10 लोग थे, सभी ने फार्मासिस्टों से आग्रह किया कि वह दूर से आए हैं और दवाएं दे दें, लेकिन फार्मासिस्टों ने एक भी मरीज को दवा नहीं दी और बिना सुने डिस्पेंसरी बंद करके चले गए.

ओम प्रकाश ने सीएमओ के पास की शिकायत

वहीं, ईटीवी भारत ने जब सीएमओ डॉ. जितेंद्र चौहान से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके पास स्टाफ की कमी है. फार्मासिस्ट कम हैं, जो पूरा दिन डिस्पेंसरी में दवाएं देते हैं. उन पर काम का बोझ है जिस वजह से डिस्पेंसरी तय समय पर बंद कर दी जाती है.

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