शिमला: प्रदेश में अबकी बार मानसून ने जानमाल को भारी क्षति पहुंचाई है. प्रदेश में सैकड़ों सड़कें, पानी की परियोजनाओं को भारी नुकसान हुआ है. प्रदेश में करीब 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. प्रदेश सरकार आपदा निपटने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन संसाधनों की कमी से अकेले यह काम करना सरकार के लिए संभव नहीं है. यही वजह है कि सरकार समाज के सभी वर्गों का इसके लिए सहयोग ले रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके लिए आपदा राहत कोष-2023 बनाया है, जिसमें कई लोग से अंशदान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री की ओर से इसके लिए अपील भी गई. इसी का नतीजा है कि आपदा राहत कोष में 16.50 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा हो चुकी है.
दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा राहत प्रबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए आपदा राहत कोष-2023 की स्थापना 16 जुलाई को की थी. यह राहत कोष भारी बारिश से हुए नुकसान के बाद अब लोगों के पुनर्वास व अधोसंरचना की बहाली एवं मरम्मत कार्यों के लिए स्थापित किया गया है. इसमें प्रदेशवासियों, विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से किया जा रहा है. अब तक ₹16.50 करोड़ रुपये से अधिक का अंशदान इस राहत कोष में प्राप्त हुआ है.
राज्यपाल, मंत्री, विधायकों ने किया एक माह का वेतन डोनेट: प्रदेश में आई इस आपदा से निपटने के लिए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल सहित प्रदेश सरकार के मंत्रियों, सत्ता और विपक्ष के सभी विधायकों ने अपने एक माह का वेतन देने का फैसला किया है. इसके अलावा विभिन्न विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों ने एक दिन का वेतन आपदा राहत कोष में दिया है. कई लोग व्यक्तिगत तौर पर भी इसमें कोष में दान दे रहे हैं.
प्रदेश में सभी जिलों को 188 करोड़ की राहत राशि जारी: प्रदेश में राहत व पुर्नवास कार्यों के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी उपायुक्तों को राहत कार्यों के लिए ₹188.50 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इस संकट के समय में सामूहिक प्रयासों से लोगों के दुखों को बांट कर उनकी कठिनाइयों को कम करने का काम किया है. प्रदेशवासियों और सरकार के सामंजस्य और त्वरित प्रतिक्रिया से बचाव एवं राहत कार्यों में सफलता हासिल हुई है.
सुक्खू सरकार ने आपदा प्रभावितों के लिए राहत राशि बढ़ाई: राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने इस आपदा में प्रभावित लोगों को राहत राशि देने का फैसला किया है. सरकार की ओर से तत्काल सहायता के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की गई है. राहत राशि में की गई यह वृद्धि मानव जीवन, संपत्ति आदि की हानि और राहत श्रेणी के लिए प्रदान की गई है. सरकार ने क्षतिग्रस्त घरों (कच्चे और पक्के मकानों) और दुकानों के लिए मुआवजे राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये किया है. सामान के नुकसान के एवज में दस गुणा बढ़ोतरी कर 10 हजार रुपये के स्थान पर, अब एक लाख रुपये प्रदान किए जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री सुक्खू ने किया बचाव कार्यों का संचालन: प्रदेश में भारी बारिश के बाद फंसे लोगों और सैलानियों को निकालने के अभियान का मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद संचालन किया. मुख्यमंत्री ने कुल्लू, मंडी, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जाकर बचाव कार्यों की निगरानी की. प्रदेश में लोगों ने भी कई जगह सैलानियों और अन्य फंसे हुए लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की. कई होटलों ने अपने यहां निशुल्क खाने और रहने की व्यवस्था कर सभी ने इस संकट में अपना हाथ बढ़ाया.
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