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प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने पर भड़की कांग्रेस, PCC चीफ ने सरकार को दी चेतावनी

जयराम सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने के निर्णय का प्रदेश कांग्रेस ने विरोध जताया है. पीसीसी चीफ कुलदीप राठौर ने सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है. राठौर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वे इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे.

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Published : Jul 4, 2019, 4:54 PM IST

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह ठाकुर

शिमला: जयराम सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले का प्रदेश कांग्रेस ने विरोध जताया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे ट्रिब्यूनल को बंद करने का निर्णय लिया है.

राठौर ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने से पहले सरकार को सभी कर्मचारी संगठनों से बातचीत करनी चाहिए थी. उसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन सरकार ने जल्दबाजी में ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला किया, जोकि गलत है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह ठाकुर

ये भी पढे़ं-जयराम सरकार ने बंद किया प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, पूर्व में धूमल सरकार ने भी किया था यही फैसला

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट के माध्यम से कर्मचारियों के काफी मामले सुलझ रहे थे, जिससे कर्मचारियों के समय की भी बचत हो रही थी. राठौर ने सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है. वहीं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वे इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे.

बता दें कि बुधवार को प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का फैसला लिया है. इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था. वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. जिसके बाद अब जयराम सरकार ने फिर इसे बंद कर दिया है.

ये भी पढे़ं-लाहौल-स्पीति और लेह जाने वाले सैलानियों को लेना होगा ऑनलाइन परमिट

शिमला: जयराम सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले का प्रदेश कांग्रेस ने विरोध जताया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे ट्रिब्यूनल को बंद करने का निर्णय लिया है.

राठौर ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने से पहले सरकार को सभी कर्मचारी संगठनों से बातचीत करनी चाहिए थी. उसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन सरकार ने जल्दबाजी में ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला किया, जोकि गलत है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह ठाकुर

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट के माध्यम से कर्मचारियों के काफी मामले सुलझ रहे थे, जिससे कर्मचारियों के समय की भी बचत हो रही थी. राठौर ने सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है. वहीं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वे इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे.

बता दें कि बुधवार को प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का फैसला लिया है. इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था. वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. जिसके बाद अब जयराम सरकार ने फिर इसे बंद कर दिया है.

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Intro:जयराम सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले का प्रदेश कांग्रेस ने विरोध जताया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में बिना सोचे समझे ट्रिब्यूनल को बंद करने का निर्णय लिया है। ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने से पहले सरकार को सभी कर्मचारी संगठनों से बातचीत करनी चाहिए और उसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए था । लेकिन सरकार ने जदबाजी में ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला किया है जोकि गलत है !
Body:कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि ट्रिब्यूनल कोर्ट के माध्यम से कर्मचारियों के काफी मामले सुलझ रहे थे जिससे कर्मचारियों के समय की भी बचत हो रही थी। राठौर ने सरकार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है। वहीं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो वह इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे।Conclusion:बता दे बुधवार को प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने का फैसला लिया है ! बता दे पूर्व धूमल सरकार के कार्यकाल में जुलाई 2008 में भी ट्रिब्यूनल भंग किया गया था। उस वक्त भी सारे मामले हाईकोर्ट को शिफ्ट किए थे। इसके बाद फरवरी 2015 में इसे तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने इसे फिर बहाल किया। लेकिन अब फिर इसे भंग कर दिया है!
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