शिमलाः सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की उचित सुविधा न होने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हैरानी की बात है कि सरकारी अस्पतालों में उन्हीं मरीजों को आयुष्मान व हिमकेयर पर डायल्सिस की निशुल्क सुविधा है, जो कि अस्पताल में भर्ती है. अन्य जो मरीज अस्पताल में आते हैं और भर्ती नहीं होते हैं, उन्हें डायल्सिस की निशुल्क सुविधा का प्रावधान नहीं है.
शिमला में दो अस्पतालों में होता है डायलिसिस
डायलिसिस मरीजों का इलाज इलाज काफी लंबा चलता है. बार-बार मरीजों को डायलिसिस करवाने पड़ते है. मरीज कम समय के लिए अस्पतालों में भर्ती रहता है, उसके बाद उसे घर से डायल्सिस करवाने अस्पताल आना पड़ता है.
शिमला की अगर बात की जाए तो यहां पर सिर्फ दो अस्पताल आईजीएमसी और डीडीयू दो अस्पतालों में डायलिसिस होते हैं. लेकिन यहां उन्हीं मरीजों के डायलिसिस होंगे जो कि अस्पताल में भर्ती होगा. अन्य मरीजों को निजी अस्पतालों में भारी पैसे खर्च डायल्सिस करवाने पड़ रहे हैं. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इंडोर और आउटडोर के सभी मरीजों के लिए डायल्सिस की निशुल्क सुविधा उपलबध क्यों नहीं है. मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए हजारों पैसे निजी अस्पतालों में खर्च करने पड़ते है. मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा देने को लेकर प्रशासन के दावें खोखले नजर आ रहे हैं.
दर-दर भटकने को मजबूर डायलिसिस करवाने वाले मरीज
सरकारी स्तर पर किडनी डायलिसिस मरीजों का नियमित डायलिसिस हो पाए इसके लिए अब तक किसी प्रकार की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. लिहाजा मरीजों को निजी स्तर पर ही डायलिसिस करवाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. हालांकि हिमाचल सरकार के दो-दो मंत्रियों ने डीडीयू अस्पताल में डायलिसिस सुविधा के लिए एक अस्थाई परिसर का उद्घाटन किया है. लेकिन इसके बाद इस सेंटर की ओर न तो मंत्री और न ही किसी स्वास्थ्य अधिकारी ने ध्यान दिया.
बताया जा रहा है कि आउटसोर्स पर तैयार हुए इस परिसर में कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. इतना ही नहीं यहां पर गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले गरीब लोगों का किसी भी प्रकार का कोई भी कार्ड नहीं चल रहा है. यहां पर एक टैक्नीशियन ही इस सुविधा को प्रदान कर रहा है.
डीडीयू के अधिकारियों ने बताया
इस संबंध में जब डीडीयू के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने डायलिसिस सुविधा को आऊटसोर्स पर एक कंपनी को दिया है. इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है. स्थानीय निवासी नरेंद्र, पूर्ण, सुभाष, कमलजीत, अक्षय, गीता राम सुखराम, निरज आदि ने सरकार से मांग की है कि दोनों ही सरकारी असपतालों में सभी मरीजों के लिए कार्ड पर निशुल्क डायलिसिस की सुविधा होनी चाहिए.
अपने पैसों से खरीदना पड़ता है पेरिटोनियल फ्लूइड
किसी मरीज का अगर पेरिटोनियल डायलिसिस होता है तो उसे पेरिटोनियल फ्लूइड अपने पैसों से खरीदना पड़ता है. इसकी मासिक किमत 30 हजार हजार रुपए की पड़ती है. हालांकि मरीज का पेरिटोनियल डायलिसिस डॉक्टर आईजीएमसी में कर देते हैं. लेकिन मरीज दिक्कतें वहीं आती है कि अपनी जेब से भारी पैसे खर्च करने पड़ते है.
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आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ.राहुल गुप्ता ने बताया आईजीएमसी में सभी मरीजों के डायलिसिस निशुल्क हो रहे हैं. जो भी मरीज हमारे पास आता है, उसे डे केयर सुविधा के तहत भर्ती कर लेते हैं और डायलिसिस करवाने के बाद उसे वापिस भेज देते हैं. अगर किसी भी मरीज को कोई दिक्कत आ रही है तो वे प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करें. मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्क्तें नहीं आने दी जाएंगी.