शिमला: राजधानी शिमला के लिफ्ट के समीप बहुमंजिला पार्किंग में पानी और बिजली की सुविधा बकाया नगर निगम को देने के बाद ही बहाल होगी. पार्किंग संचालक को निगम को 7 करोड़ की राशि देनी है. इसके अलावा पार्किंग में नियमों को ताक पर रख कर अवैध निर्माण भी किया गया है. जिसके चलते नगर निगम ने पार्किंग के बिजली पानी का कनेक्शन काट दिया गया है.
यही नहीं नगर निगम शिमला ने साफ कर दिया है कि यदि नियमों के तहत पार्किंग का संचालन नहीं किया गया तो इसे सरकार अपने कब्जे में भी कर सकती है. हालांकि नगर निगम द्वारा पार्किंग चलाने की अनुमति तो दे दी गई है, लेकिन समय तह कर दिया गया है. पार्किंग सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही खुली रहेगी. शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि यह पार्किंग लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई थी, लेकिन यहां पर लोगों की सुविधाएं कम पार्किंग संचालक अपने फायदे के लिए पार्किंग को चला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पार्किंग में मनमाने दाम गाड़ियों से वसूले जा रहे हैं. इसके अलावा अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है. यही नहीं पार्किंग संचालक द्वारा जो नगर निगम को पैसा देना था वह भी कई वर्षों से नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि पार्किंग संचालक की मनमानी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि नियमों के तहत यह पार्किंग नहीं चलाई जाती तो सरकार इसे ओवरटेक भी कर सकती है.
बता दें कि शिमला के लिफ्ट के समीप पार्किंग बनाने वाली कंपनी ने एक करोड़ रुपए सालाना 2016 से नगर निगम को देने थे. इसमें से कोई भी पैसा नगर निगम प्रशासन को नहीं मिला है. इसमें पार्किंग संचालक का दावा है कि उसे पार्किंग का कंप्लीशन 2019 से मिला, ऐसे में एक करोड़ की राशि 7 साल की बजाय 4 साल की ही वसूली जानी चाहिए. इस मामले में बातचीत भी चली हुई है. दूसरी तरफ नगर निगम प्रशासन का कहना है कि 2016 में यह पार्किंग बना कर दे दी गई थी.
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