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Himachal Scooty Special Number: 3 लोगों ने लगाई 1 करोड़ रुपए से ऊपर की बोली, हिमाचल में स्कूटी के फैंसी नंबर ने मचाई हलचल - himachal pradesh news

हिमाचल में स्कूटी का स्पेशल नंबर खूब चर्चा में है. हो भी क्यों न, इस नबंर पर तीन लोगों ने 1 करोड़ से ज्यादा की बोली लगाई है. पहले नंबर के बोलीदाता कोई देसराज नामक व्यक्ति हैं. उन्होंने एक करोड़, 12 लाख, 15 हजार 500 रुपए की बोली लगाई. बताया जा रहा है कि शनिवार या फिर सोमवार को इस मामले में सारी स्थिति स्पष्ट होगी. (Three people bid on scooty number) (Himachal Scooty Special Number) (rs one crore rupee for scooty number) (most expensive VVIP number for Scooty) (1.1 crore bid for scooty number)

Three people bid on scooty number
Three people bid on scooty number
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Published : Feb 17, 2023, 8:00 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 9:13 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्कूटी के फैंसी या यूं कहिए कि वीवीआईपी नंबर के लिए तीन लोगों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगाई है. देश भर में दो दिन से चर्चा में चल रहे इस मामले में शुक्रवार को पहला विराम लगा. यानी शुक्रवार शाम पांच बजे ऑॅक्शन की प्रक्रिया संपन्न हो गई. इसमें तीन लोगों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगाई है. अभी आगामी प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है.

तीन लोगों ने लगाई एक करोड़ रुपए से ऊपर की बोली: पहले नंबर के बोलीदाता कोई देसराज नामक व्यक्ति हैं. उन्होंने एक करोड़, 12 लाख, 15 हजार 500 रुपए की बोली लगाई. दूसरे नंबर के बोलीदाता का नाम संजय है. उन्होंने एक करोड़ 11 हजार रुपए दाम लगाया. तीसरे नंबर पर धर्मवीर नामक शख्स ने एक करोड़ पांच सौ रुपए दाम लगाए. अभी तीनों बोलीदाताओं ने परिवहन विभाग से इस नंबर को लेने के लिए संपर्क नहीं किया है. बताया जा रहा है कि शनिवार या फिर सोमवार को इस मामले में सारी स्थिति स्पष्ट होगी. उक्त नंबर कोटखाई सब डिविजन के तहत आता है. एचपी-99 कोटखाई में रजिस्ट्रेशन एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी यानी आरएलए के तहत है.

3 लोगों ने लगाई 1 करोड़ रुपए से ऊपर की बोली
3 लोगों ने लगाई 1 करोड़ रुपए से ऊपर की बोली

हिमाचल प्रदेश परिवहन निदेशालय के अनुसार अभी ये प्रावधान नहीं है कि यदि कोई व्यक्ति बोली लगाता है तो बाद में नंबर लेने के लिए उसे बाध्य होना ही पड़ेगा. इसके अलावा अभी बोली लगाने पर कोई सिक्योरिटी अमाउंट जमा करवाने का प्रावधान भी नहीं है. परिवहन निदेशालय के अनुसार यदि पहले नंबर का बोलीदाता नंबर नहीं लेता और क्विट कर जाता है तो दूसरे नंबर के बिडर की बारी आती है. यदि वो भी क्विट कर जाता है और फिर तीसरे नंबर का बोलीदाता भी हट जाता है तो फिर नंबर के लिए नए सिरे से ऑक्शन होता है. अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि इतनी भारी रकम की बोली लगाने के बाद उसकी कोई जवाबदेही तय हो. यानी उसे नंबर लेना पड़ेगा या फिर कोई पैनल्टी भुगतनी पड़ेगी.

यही कारण है कि कई बार लोग हाइप क्रिएट करने के लिए इतनी ऊंची बोली लगा देते हैं. इस प्रकरण के सामने आने के बाद परिवहन विभाग पैनल्टी व अन्य सख्त प्रावधानों पर विचार कर रहा है. वहीं, ताजा अपडेट के अनुसार परिवहन निदेशालय ने इस मामले की सारी जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को भिजवा दी है. ये भी उल्लेखनीय है कि यदि बोलीदाता पीछे हट जाता है तो परिवहन विभाग कुछ नहीं कर सकता, सिवाय नए सिरे से ऑक्शन के अलावा.

परिवहन विभाग के निम्न लिंक पर होती है ऑनलाइन बोली: मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज में एक लिंक के तहत ऑनलाइन फैंसी नंबर का ऑप्शन होता है. जब भी परिवहन विभाग किसी आरएलए के तहत कोई वीवीआईपी नंबर जारी करता है तो देश भर से कोई भी उस बोली में हिस्सा ले सकता है. आरंभ में स्कूटी या दोपहिया वाहन के लिए ये प्रक्रिया होती है. ऑक्शन होने के बाद कोई भी बोलीदाता बेस प्राइस से अधिक बोली लगा सकता है. बोली की रकम की कोई सीमा नहीं है. तय समय बाद लिंक पर से जानकारी हट जाती है. उसके बाद बोलीदाता परिवहन विभाग से संपर्क करता है और नंबर के लिए लगाई गई रकम जमा कर नंबर हासिल कर लेता है. फिर वो उस नंबर को दोपहिया या चौपहिया वाहन में इस्तेमाल कर सकता है. शौकीन लोग इसके लिए बड़ी रकम खर्च करने से भी पीछे नहीं हटते. कोटखाई सब डिविजन में ऐसा ही ये मामला सामने आया है. फिलहाल ये देखना है कि अब देसराज इस नंबर के लिए एक करोड़ 12 लाख से अधिक की रकम जमा करते हैं या फिर ये पब्लिसिटी स्टंट ही रहता है.

ये भी पढ़ें: देशभर में चर्चित हुआ स्कूटी का एक करोड़ी VVIP नंबर, सीएम सुक्खू ने पूछा ये माजरा क्या है ?

ये भी पढ़ें: VVIP नंबर का क्रेज: स्कूटी के नंबर के लिए लगी 1 करोड़ से अधिक की बोली

शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्कूटी के फैंसी या यूं कहिए कि वीवीआईपी नंबर के लिए तीन लोगों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगाई है. देश भर में दो दिन से चर्चा में चल रहे इस मामले में शुक्रवार को पहला विराम लगा. यानी शुक्रवार शाम पांच बजे ऑॅक्शन की प्रक्रिया संपन्न हो गई. इसमें तीन लोगों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगाई है. अभी आगामी प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है.

तीन लोगों ने लगाई एक करोड़ रुपए से ऊपर की बोली: पहले नंबर के बोलीदाता कोई देसराज नामक व्यक्ति हैं. उन्होंने एक करोड़, 12 लाख, 15 हजार 500 रुपए की बोली लगाई. दूसरे नंबर के बोलीदाता का नाम संजय है. उन्होंने एक करोड़ 11 हजार रुपए दाम लगाया. तीसरे नंबर पर धर्मवीर नामक शख्स ने एक करोड़ पांच सौ रुपए दाम लगाए. अभी तीनों बोलीदाताओं ने परिवहन विभाग से इस नंबर को लेने के लिए संपर्क नहीं किया है. बताया जा रहा है कि शनिवार या फिर सोमवार को इस मामले में सारी स्थिति स्पष्ट होगी. उक्त नंबर कोटखाई सब डिविजन के तहत आता है. एचपी-99 कोटखाई में रजिस्ट्रेशन एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी यानी आरएलए के तहत है.

3 लोगों ने लगाई 1 करोड़ रुपए से ऊपर की बोली
3 लोगों ने लगाई 1 करोड़ रुपए से ऊपर की बोली

हिमाचल प्रदेश परिवहन निदेशालय के अनुसार अभी ये प्रावधान नहीं है कि यदि कोई व्यक्ति बोली लगाता है तो बाद में नंबर लेने के लिए उसे बाध्य होना ही पड़ेगा. इसके अलावा अभी बोली लगाने पर कोई सिक्योरिटी अमाउंट जमा करवाने का प्रावधान भी नहीं है. परिवहन निदेशालय के अनुसार यदि पहले नंबर का बोलीदाता नंबर नहीं लेता और क्विट कर जाता है तो दूसरे नंबर के बिडर की बारी आती है. यदि वो भी क्विट कर जाता है और फिर तीसरे नंबर का बोलीदाता भी हट जाता है तो फिर नंबर के लिए नए सिरे से ऑक्शन होता है. अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि इतनी भारी रकम की बोली लगाने के बाद उसकी कोई जवाबदेही तय हो. यानी उसे नंबर लेना पड़ेगा या फिर कोई पैनल्टी भुगतनी पड़ेगी.

यही कारण है कि कई बार लोग हाइप क्रिएट करने के लिए इतनी ऊंची बोली लगा देते हैं. इस प्रकरण के सामने आने के बाद परिवहन विभाग पैनल्टी व अन्य सख्त प्रावधानों पर विचार कर रहा है. वहीं, ताजा अपडेट के अनुसार परिवहन निदेशालय ने इस मामले की सारी जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को भिजवा दी है. ये भी उल्लेखनीय है कि यदि बोलीदाता पीछे हट जाता है तो परिवहन विभाग कुछ नहीं कर सकता, सिवाय नए सिरे से ऑक्शन के अलावा.

परिवहन विभाग के निम्न लिंक पर होती है ऑनलाइन बोली: मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज में एक लिंक के तहत ऑनलाइन फैंसी नंबर का ऑप्शन होता है. जब भी परिवहन विभाग किसी आरएलए के तहत कोई वीवीआईपी नंबर जारी करता है तो देश भर से कोई भी उस बोली में हिस्सा ले सकता है. आरंभ में स्कूटी या दोपहिया वाहन के लिए ये प्रक्रिया होती है. ऑक्शन होने के बाद कोई भी बोलीदाता बेस प्राइस से अधिक बोली लगा सकता है. बोली की रकम की कोई सीमा नहीं है. तय समय बाद लिंक पर से जानकारी हट जाती है. उसके बाद बोलीदाता परिवहन विभाग से संपर्क करता है और नंबर के लिए लगाई गई रकम जमा कर नंबर हासिल कर लेता है. फिर वो उस नंबर को दोपहिया या चौपहिया वाहन में इस्तेमाल कर सकता है. शौकीन लोग इसके लिए बड़ी रकम खर्च करने से भी पीछे नहीं हटते. कोटखाई सब डिविजन में ऐसा ही ये मामला सामने आया है. फिलहाल ये देखना है कि अब देसराज इस नंबर के लिए एक करोड़ 12 लाख से अधिक की रकम जमा करते हैं या फिर ये पब्लिसिटी स्टंट ही रहता है.

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Last Updated : Feb 17, 2023, 9:13 PM IST
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