शिमला: आईजीएमसी के बाहर से तहबाजारियों (street vendors) को हटाने में नगर निगम व आईजीएमसी प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, हाईकोर्ट के आदेशों की भी यहां पर अवहेलना हो रही है. कुछ समय पहले हाईकोर्ट के सख्त आदेश आए थे कि यहां पर से तहबाजारियों को हटाया जाए. प्रशासन ने इन्हें हटाया था भी लेकिन तहबाजारी फिर से बैठ गए हैं. तहबाजारियों ने आईजीएमसी के बाहर फिर से दुकानें सजा दी हैं. यहां फल, अंडे और कपड़े आदि की दुकानें लगाई गई है. (Street vendors outside IGMC)
वहीं, इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने आईजीएमसी के एमएस प्रवीण भाटिया से बात करने की कोशिश की तो पहले उन्होंने इस मामले में बात करने के इनकार कर दिया. फिर बाद में ये कहा कि वो देखेंगे. कुल मिलाकर एमएस प्रवीण भाटिया ने संतोष जनक जवाब नहीं दिया. ऐसे में आईजीएमसी प्रशासन की मिली भगत सामने आ रही है.
आईजीएमसी के बाहर पार्किंग की समस्या: आईजीएमसी के बाहर गाड़ियों को पार्क करने की जगह नहीं है. वहीं, चिकित्सकों और एंम्बुलेंस को पार्क करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हैरानी इस बात है कि इन तहबाजारियों को हटाना तो दूर की बात है, उन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि तहबाजारी मरीजों व तीमारदारों को ऊंचे दामों में अपने सामान बेच रहे हैं. 20 रुपए का मिलने वाला सामान 40 रुपए में मिल रहा है.
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किसको हटाना है तहबाजारी, यह भी तय नहीं: हैरानी की बात है कि जब भी आईजीएमसी व नगर निगम प्रशासन से तहबाजारियों को हटाने की बात की जाती है, तो उनका तर्क है कि उन्होंने अपने क्षेत्र से तहबाजारियों को हट दिया है. सवाल यह है कि आईजीएमसी के बाहर जो तहबाजारी बैठे हैं, फिर यह जमीन किसकी है? आईजीएमसी और नगर निगम एक दूसरे पर सारा ठीकरा फोड़ने का काम कर रहे हैं.