शिमला: हिमाचल विश्वविद्यालय में तीन छात्रों के निलंबन (Three students suspended in Himachal University) पर एनएसयूआई भड़क गई है. गुरुवार को एनएसयूआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि कुलपति ने यह कार्रवाई बदले की भावना से की है. एनएसयूआई के छात्र विभिन्न मांगों को लेकर कुलपति से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तानाशाही के बल पर तीन छात्रों को निष्काषित किया गया है.
एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष छतर सिंह ने कहा कि बीते बुधवार को विश्वविद्यालय ने तुगलकी फरमान निकाला, जिसमें लाइब्रेरी व हॉस्टल को बंद (Library and hostel closed in Himachal University) किया गया. जिसको लेकर जब कुलपति को ज्ञापन दिया गया व घराव किया. यह शांतिपूर्ण धरना था, लेकिन सत्ता के नशे में चूर कुलपति ने एनएसयूआई के तीन छात्रों को निलंबित कर दिया. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई है.
छात्रों का कहना है कि कुलपति ने गलत तरीके से अपने बेटे को पीएचडी में दाखिला करवाया है, जिसके खिलाफ एनएसयूआई लगातार आवाज उठा रही है. इसी के चलते कुलपति ने यह कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि कुलपति हिमाचल विश्विद्यालय में भ्रष्टाचार (corruption in himachal university) को बढ़ावा दे रहे हैं. विश्वविद्यालय में शिक्षा के स्तर के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. विश्विद्यालय में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है.
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एनएसयूआई का कहा है कि विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रख कर भर्तियां हो रही हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वह भ्रष्ट कुलपति ( allegations against Vice Chancellor) को विश्विद्यालय से बाहर नहीं करा देते तब तक सड़क से लेकर सचिवालय तक उनका प्रदर्शन (NSUI Protest in Shimla) जारी रहेगा. अगर जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गई तो न्याय के लिए एनएसयूआई जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
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