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कांगड़ा जिले के ऐतिहासिक कालेश्वर महादेव मंदिर के अधिग्रहण मामले में हिमाचल व केंद्र सरकार को नोटिस - हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

Himachal Pradesh Kangra Kaleshwar Mahadev Temple: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर के अधिग्रहण मामले में प्रदेश और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 12 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. पढ़ें क्या है पूरा मामला...

Kaleshwar Mahadev Temple
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 2, 2024, 6:38 PM IST

शिमला: जिला कांगड़ा के ऐतिहासिक काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर का अधिग्रहण करने के खिलाफ दायर याचिका में प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय सहित प्रदेश के पर्यटन सचिव, जिलाधीश कांगड़ा व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 12 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने स्वामी विश्वनंद सन्यासी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किया. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार तहसील परागपुर में व्यास तट पर काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना मंदिर है.

लगभग 300 साल पहले बनाए इस मंदिर में महंतों का डेढ़ सौ साल का रिकॉर्डेड इतिहास है. यहां शिव व काली की पूजा होती है. यहां पर वैदिक पाठशाला की व्यवस्था कुछ समय से चली आ रही है. यहां पर गौशाला की भी व्यवस्था की गई है. मंदिर की 80 कनाल जगह पहले महंत अरुनानन्द के नाम दर्ज थी. बाद में यह मंदिर काली नाथ महंत के नाम दर्ज हो गया. वैदिक पद्धति की शिक्षा दिए जाने के कारण यहां से विद्यार्थी वैदिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, क्योंकि यह मंदिर सरकार की जमीन पर नहीं बनाया गया है. इस कारण राज्य सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करना कानून के विपरीत है.

सुबह शाम इस इस मंदिर में रहने वाले महंतो द्वारा पूजा की जाती रही है. मगर अधिग्रहण के पश्चात इन महंतों को सुबह-शाम पूजा करने के लिए अनुमति तो दी गई है मगर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा करवाने व भेंट चढ़ाने की मनाही है. इस गौशाला और लंगर की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है. मंदिर का पुराना इतिहास होने के कारण यहां वैदिक पद्धति के चलते कई साधु संतों व महंतों का आना-जाना लगा रहता था और यहां पर उनकी समाधियां भी बनाई गई हैं.

मंदिर परिसर में हर साल बैसाखी के दिन बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने से पहले इस विषय में राज्य सरकार की ओर से कोई जरूरी औपचरिकताएं पूरी नहीं की और आनन फानन में अधिसूचना जारी कर दी और मंदिर की भूमि को अपने नाम दर्ज करवा लिया. मामले पर सुनवाई 26 मार्च 2024 के लिए निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें- हिट एंड रन कानून में हुए बदलाव को लेकर हिमाचल में चालकों की हड़ताल, पेट्रोल-डीजल की किल्लत

शिमला: जिला कांगड़ा के ऐतिहासिक काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर का अधिग्रहण करने के खिलाफ दायर याचिका में प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय सहित प्रदेश के पर्यटन सचिव, जिलाधीश कांगड़ा व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 12 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने स्वामी विश्वनंद सन्यासी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किया. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार तहसील परागपुर में व्यास तट पर काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना मंदिर है.

लगभग 300 साल पहले बनाए इस मंदिर में महंतों का डेढ़ सौ साल का रिकॉर्डेड इतिहास है. यहां शिव व काली की पूजा होती है. यहां पर वैदिक पाठशाला की व्यवस्था कुछ समय से चली आ रही है. यहां पर गौशाला की भी व्यवस्था की गई है. मंदिर की 80 कनाल जगह पहले महंत अरुनानन्द के नाम दर्ज थी. बाद में यह मंदिर काली नाथ महंत के नाम दर्ज हो गया. वैदिक पद्धति की शिक्षा दिए जाने के कारण यहां से विद्यार्थी वैदिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, क्योंकि यह मंदिर सरकार की जमीन पर नहीं बनाया गया है. इस कारण राज्य सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करना कानून के विपरीत है.

सुबह शाम इस इस मंदिर में रहने वाले महंतो द्वारा पूजा की जाती रही है. मगर अधिग्रहण के पश्चात इन महंतों को सुबह-शाम पूजा करने के लिए अनुमति तो दी गई है मगर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा करवाने व भेंट चढ़ाने की मनाही है. इस गौशाला और लंगर की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है. मंदिर का पुराना इतिहास होने के कारण यहां वैदिक पद्धति के चलते कई साधु संतों व महंतों का आना-जाना लगा रहता था और यहां पर उनकी समाधियां भी बनाई गई हैं.

मंदिर परिसर में हर साल बैसाखी के दिन बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने से पहले इस विषय में राज्य सरकार की ओर से कोई जरूरी औपचरिकताएं पूरी नहीं की और आनन फानन में अधिसूचना जारी कर दी और मंदिर की भूमि को अपने नाम दर्ज करवा लिया. मामले पर सुनवाई 26 मार्च 2024 के लिए निर्धारित की गई है.

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