शिमला: प्रदेश सरकार के हर गांव सड़क पहुंचाने के दावे खोकले साबित हो रहे हैं. शिमला शहर के साथ लगते डूमी और भौंट पंचायत के कई गांव तक सड़क की सुविधा न होने के चलते ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बैवलीधार के घरों में अगर चार लोग न हो तो मरीज को अस्पताल पहुंचाना नामुमकिन हो जाता है.
कुछ दिन पहले ही एक गर्भवती महिला को डिलवरी के बाद घर ले जाना ग्रामीणों और महिला के परिजनों के लिए चुनौती बन गया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क से उनका गांव 10 किलोमीटर दूर है. प्रशासन को भी इस बारे में कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन वह गहरी नींद में सोया हुआ है.
राजधानी से सटी मशोबरा विकास खंड के भौंट पंचायत के बैवलीधार दला, डूमी पंचायत के झोलो, लोअर झोलो, मकनैना, बेशक और शीला जैसे गांव के सैकड़ों लोग आज भी सड़क से महरूम है. आज भी किसी के बीमार होने पर उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर लाना पड़ता है. जिससे मरीजों को डंडों और कंबल का स्ट्रेचर बनाकर उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.
इन दो पंचायतों में सड़क सुविधा से वंचित गांव को सड़क से जोड़ने के लिए करीब 7 से 8 किलोमीटर लंबी सड़क का स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर सर्वे भी हुआ था. फॉरेस्ट क्लीयरेंस ना होने के चलते पिछले 6 वर्षों से काम शुरू ही नहीं हो पा रहा है.
स्थानीय निवासी प्रोमिला का कहना है कि राजधानी के नजदीक रहकर भी सुविधा से महरूम है. उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. सड़क तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि वह कई बार पंचायत प्रधान और स्थानीय विधायक से मांग कर चुके हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
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