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IGMC Shimla: हाईटेक जमाने में पिछड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल, Online Transaction की सुविधा तक नहीं, नकद नहीं तो दवाई भी नहीं देते दुकानदार - ऑनलाइन ट्रांजेक्शन

हिमाचल प्रदेश में जहां एक ओर डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा तक नहीं है. जिसके कारण मरीज दवाइयों के लिए भटकने को मजबूर हो गए हैं.

No Online Transaction Facility Available at IGMC Shimla
शिमला आईजीएमसी में नहीं है ऑनलाइन ट्रांजेक्सन सुविधा
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Published : Apr 16, 2023, 1:20 PM IST

शिमला: देशभर के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश भी डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. प्रदेश में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देते हुए 5G लॉन्च कर हाईटेक होने की राह पर है. देश में एक ओर जहां डिजिटल करेंसी की बात हो रही है, तो वहीं हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी डिजिटल के क्षेत्र में आज भी बेहद पिछड़ा हुआ है. बता दें कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में प्रतिदिन 3 हजार के करीब ओपीडी होती है. इस दौरान जब मरीज दवाई लेने जाते हैं तो दुकानदार सिर्फ नकद पैसे लेकर ही दवाई देते हैं और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए साफ मना कर देते हैं. आईजीएमसी अस्पताल में मरीज चाहे जितना भी गंभीर हालात में हो लेकिन अगर तीमारदार के पास नकदी पैसे नहीं हैं तो मरीज दवाइयां नहीं ले सकता, जिसके कारण उसका ईलाज भी नहीं होगा.

दवाई के लिए रात में भटकते हैं मरीज: वहीं, सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों को अस्पताल में रात के समय में पेश आती है. आपातकाल की स्थिती में आने वाले मरीजों को डॉक्टर दवाई या सर्जरी का सामान दुकान से लाने के लिए कहते हैं, जब मरीज या तीमारदार उसे लेने जाता है तो कई बार दवाई ज्यादा महंगी होने के चलते नकद पैसे कम पड़ जाते हैं. ऐसे में तीमारदार जब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कहता है तो दुकानदार साफ मना कर देते हैं. जिसके कारण तीमारदारों को दवाई के लिए रात में भटकना पड़ता है. सिर्फ इस लिए की उसके जेब में नकद रुपये नहीं हैं. बात दें की परिसर में लगे एटीएम अकसर खराब रहते हैं. जिसके कारण मरीज और तीमारदार पैसे भी नहीं निकल पाते हैं.

IGMC में कई बार कट चुकी है लोगों की जेब: आईजीएमसी अस्पताल में आए दिन मरीजों, तीमारदारों के पॉकेट मारी के मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें तीमारदारों की जेब कई बार कट चुकी है. बीते महीने भी आईजीएमसी में लैब के बाहर एक व्यक्ति के जेब से 10 हजार रुपये निकाल लिए गए थे. तीमारदार अपने मरीज का टेस्ट करवा कर दवाई लेने जा रहा था, लेकिन जब जेब में हाथ डाला तो उसे पता चला कि उसकी जेब कट चुकी है. इन्हीं कारणों के चलते तीमारदार अपने पास नकद रुपये रखने से बचते हैं और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना पसंद करते हैं. लेकिन प्रदेश के सबसे अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा ही मौजूद नहीं है, जबकि आज छोटी से छोटी दुकानों पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा मौजूद है.

IGMC में कब होगी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सुविधा: बता दें की सरकार ने विधानसभा में कार्यवाही को पेपर लेस कर दिया है. सचिवालय भी पेपर लेस हो रहा है और डिजिटल हो रहा है. लेकिन लोगों से जुड़ा हुआ आईजीएमसी अभी तक इस मामले में पिछड़ा हुआ है. अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा नहीं होने के चलते पहले से परेशान मरीजों को और ज्यादा भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

क्या कहते हैं तमीरदार: संजौली से आए रमेश का कहना है कि वह रात में अपने बेटे के इलाज के लिए आए थे. डॉक्टर ने आपातकाल में दवाइयां लिखी, जब वह दवाई के दुकान में गए तो दवाई इतनी महंगी थी कि उनके पास पर्याप्त नकद पैसे नहीं थे. उन्होंने जब गूगल पे करने के लिए कहा तो दुकान दार ने उन्हें साफ मना कर दिया. वहीं, रोहड़ू से आए जोगिन्दर ने बताया कि वह अपने रिश्तेदार के इलाज के लिए यहां आए हैं पर यहां सबसे बड़ी अव्यवस्था यह है कि अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा तक मौजूद नहीं है. उनका कहना था कि आज कल फीस ऑनलाइन जमा हो जाती, टिकेट ऑनलाइन बुक हो जाती है, यहां तक की रेहड़ी-फड़ी वाले भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन रखते हैं. ऐसे में प्रदेश के सबसे बडे़ अस्प्ताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सुविधा नहीं होना सबसे बड़ी परेशानी है.

ये भी पढ़ें: आईजीएमसी व टांडा अस्पताल में छह महीने में शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी, मुख्यमंत्री ने एक पखवाड़े में मांगी रिपोर्ट

शिमला: देशभर के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश भी डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. प्रदेश में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देते हुए 5G लॉन्च कर हाईटेक होने की राह पर है. देश में एक ओर जहां डिजिटल करेंसी की बात हो रही है, तो वहीं हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी डिजिटल के क्षेत्र में आज भी बेहद पिछड़ा हुआ है. बता दें कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में प्रतिदिन 3 हजार के करीब ओपीडी होती है. इस दौरान जब मरीज दवाई लेने जाते हैं तो दुकानदार सिर्फ नकद पैसे लेकर ही दवाई देते हैं और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए साफ मना कर देते हैं. आईजीएमसी अस्पताल में मरीज चाहे जितना भी गंभीर हालात में हो लेकिन अगर तीमारदार के पास नकदी पैसे नहीं हैं तो मरीज दवाइयां नहीं ले सकता, जिसके कारण उसका ईलाज भी नहीं होगा.

दवाई के लिए रात में भटकते हैं मरीज: वहीं, सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों को अस्पताल में रात के समय में पेश आती है. आपातकाल की स्थिती में आने वाले मरीजों को डॉक्टर दवाई या सर्जरी का सामान दुकान से लाने के लिए कहते हैं, जब मरीज या तीमारदार उसे लेने जाता है तो कई बार दवाई ज्यादा महंगी होने के चलते नकद पैसे कम पड़ जाते हैं. ऐसे में तीमारदार जब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कहता है तो दुकानदार साफ मना कर देते हैं. जिसके कारण तीमारदारों को दवाई के लिए रात में भटकना पड़ता है. सिर्फ इस लिए की उसके जेब में नकद रुपये नहीं हैं. बात दें की परिसर में लगे एटीएम अकसर खराब रहते हैं. जिसके कारण मरीज और तीमारदार पैसे भी नहीं निकल पाते हैं.

IGMC में कई बार कट चुकी है लोगों की जेब: आईजीएमसी अस्पताल में आए दिन मरीजों, तीमारदारों के पॉकेट मारी के मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें तीमारदारों की जेब कई बार कट चुकी है. बीते महीने भी आईजीएमसी में लैब के बाहर एक व्यक्ति के जेब से 10 हजार रुपये निकाल लिए गए थे. तीमारदार अपने मरीज का टेस्ट करवा कर दवाई लेने जा रहा था, लेकिन जब जेब में हाथ डाला तो उसे पता चला कि उसकी जेब कट चुकी है. इन्हीं कारणों के चलते तीमारदार अपने पास नकद रुपये रखने से बचते हैं और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना पसंद करते हैं. लेकिन प्रदेश के सबसे अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा ही मौजूद नहीं है, जबकि आज छोटी से छोटी दुकानों पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा मौजूद है.

IGMC में कब होगी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सुविधा: बता दें की सरकार ने विधानसभा में कार्यवाही को पेपर लेस कर दिया है. सचिवालय भी पेपर लेस हो रहा है और डिजिटल हो रहा है. लेकिन लोगों से जुड़ा हुआ आईजीएमसी अभी तक इस मामले में पिछड़ा हुआ है. अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा नहीं होने के चलते पहले से परेशान मरीजों को और ज्यादा भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

क्या कहते हैं तमीरदार: संजौली से आए रमेश का कहना है कि वह रात में अपने बेटे के इलाज के लिए आए थे. डॉक्टर ने आपातकाल में दवाइयां लिखी, जब वह दवाई के दुकान में गए तो दवाई इतनी महंगी थी कि उनके पास पर्याप्त नकद पैसे नहीं थे. उन्होंने जब गूगल पे करने के लिए कहा तो दुकान दार ने उन्हें साफ मना कर दिया. वहीं, रोहड़ू से आए जोगिन्दर ने बताया कि वह अपने रिश्तेदार के इलाज के लिए यहां आए हैं पर यहां सबसे बड़ी अव्यवस्था यह है कि अस्पताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा तक मौजूद नहीं है. उनका कहना था कि आज कल फीस ऑनलाइन जमा हो जाती, टिकेट ऑनलाइन बुक हो जाती है, यहां तक की रेहड़ी-फड़ी वाले भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन रखते हैं. ऐसे में प्रदेश के सबसे बडे़ अस्प्ताल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सुविधा नहीं होना सबसे बड़ी परेशानी है.

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