कुल्लू: ढालपुर में मिट्टी के दीपक बेच रहे लोग चाइनीज सामान के मार्केट में आने से काफी परेशान हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स लाइटों, दीए और दूसरे चाइनीज सम्मान ने लगभग पूरे बाजार और ग्राहकों पर अपना अधिपत्य बना लिया है.
चाइनीज सम्मान की अपेक्षा मिट्टी के बने दीए और दूसरे सामान की कम मात्रा में बिक्री हो रही है. हालांकि, लोग चाइनीज लाइटों का भी बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है. इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के कारोबार से लोग कमाई में जुटे हुए हैं.
वहीं, दीपावली पर मिट्टी के दीपक बनाने का काम करने वाले लोग भी दिन-रात मेहनत कर दीपक बना रहे हैं, लेकिन चाइनीज सामान का बोलबाला होने के कारण दीए बनाने वाले कारीगर आहत हैं.
मिट्टी के दीए बनाने वाले कारोबारियों ने कहा कि पिछले सालों में कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन पिछले तीन चार वर्षों से मार्केट में चाइनीज माल आने के कारण उनके काम को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि चाइनीज लाइटों की झालर 20 रुपये से शुरू होकर 40 रुपये तक में मिल जाती है. मिट्टी के दीये में मेहनत और समय ज्यादा लगता है ऐसे में एक दीया एक चाइनीज झालर के बराबर है.
कारोबारियों का कहना है कि अब लोग सिर्फ आरती के लिए दीपक जलाते हैं और बाकी सारा घर चाइनीज झालरों से सजाते हैं. इस बार आरती के दीये, श्री गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति वाले दीये, चिराग, चहुंमुखी दीये दिवाली के लिए बनाए गए हैं. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि चाइनीज बाजार पर पाबंदी लगाई जाए और स्वदेशी माल की बिक्री पर जोर दिया जाए.