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कैसे हैप्पी होगी कुम्हारों की दीवाली...चाइनीज लाइटों की रंगीन रोशनी में 'बुझ' गया मिट्टी का दीया - भारत सरकार

चाइनीज सम्मान की अपेक्षा मिट्टी के बने दीए और दूसरे सामान की कम मात्रा में बिक्री हो रही है. हालांकि, लोग चाइनीज लाइटों का भी बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है. इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के कारोबार से लोग कमाई में जुटे हुए हैं.

no customers for clay lamp on diwali
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Published : Oct 26, 2019, 10:34 AM IST

कुल्लू: ढालपुर में मिट्टी के दीपक बेच रहे लोग चाइनीज सामान के मार्केट में आने से काफी परेशान हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स लाइटों, दीए और दूसरे चाइनीज सम्मान ने लगभग पूरे बाजार और ग्राहकों पर अपना अधिपत्य बना लिया है.

चाइनीज सम्मान की अपेक्षा मिट्टी के बने दीए और दूसरे सामान की कम मात्रा में बिक्री हो रही है. हालांकि, लोग चाइनीज लाइटों का भी बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है. इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के कारोबार से लोग कमाई में जुटे हुए हैं.

वहीं, दीपावली पर मिट्टी के दीपक बनाने का काम करने वाले लोग भी दिन-रात मेहनत कर दीपक बना रहे हैं, लेकिन चाइनीज सामान का बोलबाला होने के कारण दीए बनाने वाले कारीगर आहत हैं.

वीडियो.

मिट्टी के दीए बनाने वाले कारोबारियों ने कहा कि पिछले सालों में कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन पिछले तीन चार वर्षों से मार्केट में चाइनीज माल आने के कारण उनके काम को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि चाइनीज लाइटों की झालर 20 रुपये से शुरू होकर 40 रुपये तक में मिल जाती है. मिट्टी के दीये में मेहनत और समय ज्यादा लगता है ऐसे में एक दीया एक चाइनीज झालर के बराबर है.

कारोबारियों का कहना है कि अब लोग सिर्फ आरती के लिए दीपक जलाते हैं और बाकी सारा घर चाइनीज झालरों से सजाते हैं. इस बार आरती के दीये, श्री गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति वाले दीये, चिराग, चहुंमुखी दीये दिवाली के लिए बनाए गए हैं. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि चाइनीज बाजार पर पाबंदी लगाई जाए और स्वदेशी माल की बिक्री पर जोर दिया जाए.

कुल्लू: ढालपुर में मिट्टी के दीपक बेच रहे लोग चाइनीज सामान के मार्केट में आने से काफी परेशान हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स लाइटों, दीए और दूसरे चाइनीज सम्मान ने लगभग पूरे बाजार और ग्राहकों पर अपना अधिपत्य बना लिया है.

चाइनीज सम्मान की अपेक्षा मिट्टी के बने दीए और दूसरे सामान की कम मात्रा में बिक्री हो रही है. हालांकि, लोग चाइनीज लाइटों का भी बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है. इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के कारोबार से लोग कमाई में जुटे हुए हैं.

वहीं, दीपावली पर मिट्टी के दीपक बनाने का काम करने वाले लोग भी दिन-रात मेहनत कर दीपक बना रहे हैं, लेकिन चाइनीज सामान का बोलबाला होने के कारण दीए बनाने वाले कारीगर आहत हैं.

वीडियो.

मिट्टी के दीए बनाने वाले कारोबारियों ने कहा कि पिछले सालों में कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन पिछले तीन चार वर्षों से मार्केट में चाइनीज माल आने के कारण उनके काम को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि चाइनीज लाइटों की झालर 20 रुपये से शुरू होकर 40 रुपये तक में मिल जाती है. मिट्टी के दीये में मेहनत और समय ज्यादा लगता है ऐसे में एक दीया एक चाइनीज झालर के बराबर है.

कारोबारियों का कहना है कि अब लोग सिर्फ आरती के लिए दीपक जलाते हैं और बाकी सारा घर चाइनीज झालरों से सजाते हैं. इस बार आरती के दीये, श्री गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति वाले दीये, चिराग, चहुंमुखी दीये दिवाली के लिए बनाए गए हैं. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि चाइनीज बाजार पर पाबंदी लगाई जाए और स्वदेशी माल की बिक्री पर जोर दिया जाए.

Intro:चाइनीज लाइट की चमक में खो रहे मिट्टी के दीये
कुल्लू में भी दीये पर भारी चाइनीज लाइट की चमकBody:

कुल्लू के ढालपुर में मिट्टी के दीपक बेचने वाले लोग दीवाली पर चाइनीज सामान के मार्केट में आने से काफी निराश हैं। उनका मानना है कि इस वर्ष भी मिट्टी से बने दीपकों पर चाइनीज बाजार की मार पड़ने वाली है। हालांकि लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक हुए है और चाइनीज लाइटों का भी लोग बहिष्कार कर रहे है। लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है। इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के बिजनेस में लोग अपना कारोबार कर कमाई करना चाहते हैं, वहीं दीपावली पर मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करने वाले लोग भी दिन रात मेहनत कर दीपक बना रहे हैं। मगर मिट्टी के दीपक बनाने वाले लोग चाइनीज मार्केट से काफी आहत दिखाई दे रहे हैं। इस संबंध में मिट्टी के दीपक बनाने के कार्य से पुश्तैनी तौर से जुड़े कारोबारी ने बताया कि वह मिट्टी के दीपक बनाने के कारोबार से पिछले लंबे समय से जुड़े हुए हैं। उनका दीपक बनाने का कार्य जहां पिछले वर्षो में काफी बढि़या था, लेकिन पिछले तीन चार वर्षो से मार्केट में चाइनीज माल आने के कारण उनके कार्य को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि चाइनीज लड़ी लगभग 20 रुपये से शुरू होकर 40 रुपये तक की बढि़या आ जाती है, ऐसे में मिट्टी के दीये जिन पर काफी मेहनत आती है, वह एक एक दीया एक-एक लड़ी की कीमत के बराबर है। इससे दीये को लोग नहीं खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीवाली के दिन मिट्टी के दीये जलाए जाने को शुभ माना जाता है, मगर अब लोग अपने घरों में मात्र आरती के लिए ही दीपक जलाते हैं और बाकी सारा घर चाइनीज लड़ियों से सजा लेते हैं। उन्होंने कहा कि वह पूरे वर्ष में इस दीपक के कार्य पर निर्भर रहते हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह इस समय आरती के दीये, श्री गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति वाले दीये, चिराग, चहुंमुखी दीये बना रहे हैं, जिन्हें मार्केट में दीवाली के लिए उतारा गया है। Conclusion:उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि चाइनीज बाजार पर पाबंदी लगाई जाए और स्वदेशी माल की बिक्री पर जोर दिलाया जाए।

बाईट: विपिन दुकानदार

बाईट: जानवी

बाईट: विवेक
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