शिमलाः 'अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं'. इन पंक्तियों से सीख लेकर निरमंड के युवा किसान प्रेम पॉल का कहना है कि आजकल युवा स्व-रोजगार को पीछे छोड़ता जा रहा है. उनका कहना है कि स्व-रोजगार के लिए पॉली हाउस तकनीक सबसे आसान और कारगर साबित हो सकती है. प्रेम पाल ने अपने अथक प्रयास से पॉली हाउस में सब्जी उत्पादन की शुरुआत की. इसके बाद सरकारी सहायता से करीब पांच लाख की लागत से पॉली हाउस लगाया, जिसमें सरकार की ओर से 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया. आज प्रेम पाल अपने स्तर पर पॉली हाउस में बेमौसमी सब्जी उत्पादन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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उनका कहना है कि अब पॉली हाउस में सब्जी उत्पादन का क्रेज बढ़ने लगा है. निरमंड, रामपुर, कुमारसैन आदि क्षेत्र के सैकड़ों युवा अब पॉली हाउस तकनीक अपना कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. पॉली हाउस में अधिकतर बेमौसमी सब्जियों की मांग ज्यादा रहती है. इसमें वह शिमला मिर्च, टमाटर, गोभी के अलावा पुष्प उत्पादन भी कर रहे हैं.
निरमंड के प्रेम पल पॉली हाउस में पूरे तौर पर देसी गाय के गो-मूत्र व गोबर आदि से बनाए गए जीवामृत का ही उपयोग करते हैं, जिससे ऑरगेनिक उत्पाद तैयार किया जा रहा है. इन उत्पादनों की मांग बाजार में दिनों-दिन बढ़ रही है और कीमत भी अच्छी मिलती है. प्रेमपाल ने 2015 में पॉली हाउस में सब्जी का उत्पादन किया और एक साल से कम अरसे में वे दो लाख की कमाई कर डाली.
अब केवल निरमंड क्षेत्र में ही करीब 60 युवा प्रेम पाल के कर कमलों पर सरकारी अनुदान से पॉली हाउस लगा रहे हैं और सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की ओर से भी युवाओं को पूरी सहायता दी जा रही है. पॉली हाउस लगाने के लिए सरकार 80 प्रतिशत अनुदान राशि मुहैया करवा कर युवाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित कर रही है और सैकड़ों बेरोजगार युवा इस तकनीक को अपना कर लाखों रुपये कमा रहे हैं.
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