नई दिल्ली/शिमला: कांगड़ा से सांसद किशन कपूर ने लोकसभा में नई शिक्षा नीति को हिमालयी राज्यों में प्रभावी ढंग से लागू करने की बात कही. किशन कपूर ने कहा कि एनसीईआरटी की तर्ज पर हिमालयी राज्यों के लिए संयुक्त शिक्षा परिषद बनाई जाए, ताकि नई शिक्षा नीति प्रभावी ढंग से लागू हो सके.
किशन कपूर ने कहा कि केंद्र सरकार ने गत जुलाई माह में नई शिक्षा नीति की घोषणा की है. यह शिक्षा के गुणात्मक सुधार की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है. कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक फैले हुए विशाल हिमालय राज्य में शिक्षा के प्रचार प्रसार को लेकर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है.
हिमालय राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत ढांचे की कमी है. हिमालय राज्यों के दूरदराज क्षेत्रों में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ अध्यापकों और स्कूलों तक डिजिटल टेक्नोलॉजी की पहुंच का अभाव है. इसके अतिरिक्त मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाने का संकल्प भी वर्तमान स्थिति में पूरा होने की संभावनाएं क्षीण हैं.
पहाड़ी राज्यों में एक कहावत प्रचलित है, 'कोस-कोस पर पाणी बदले, चार कोस पर वाणी' हिमाचल प्रदेश के लिए तो ये अकसर सच बैठता है. हिमाचल में 12 जिले हैं और इन 12 जिलों में 14 बोलियां बोली जाती हैं, जोकि राज्य अधिकृत रूप से हिंदी और अंग्रेजी पर आश्रित हैं.
इन जिलों में मातृभाषा में पढ़ाना तब तक संभव नहीं है जब तक कि पहाड़ी भाषाओं पर शोध कर उन्हें पढ़ाए जाने योग्य बनाया जा सके, जैसा कि शिक्षा नीति में वर्णित है.
मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि हिमालय राज्यों के लिए NCERT की तर्ज पर संयुक्त शिक्षा परिषद् गठित की जाए, ताकि इन राज्यों में नई शिक्षा नीति प्रभावी ढंग लागू की जाए और मातृभाषा में पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम आदि की समस्या पर विचार किया जा सके.