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शारदीय नवरात्र का छठा दिन, मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की हो रही पूजा

नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में से छठा स्वरूप मां कात्यायनी का है. पौराणिक कथा के मुताबिक कात्यायनी मां ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं. कहते हैं कि जब पृथ्वी पर महिषासुर का अत्याचर बढ़ गया तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. इसलिये इन्हें दानवों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है.

Mother Katyayani is worshiped on the sixth day of Navratri
मां कात्यायनी.
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Published : Oct 22, 2020, 7:36 AM IST

शिमला: आज शारदीय नवरात्र का छठा दिन है. नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में से छठा स्वरूप मां कात्यायनी का है. नवरात्र के दौरान लोग मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. मां कात्यायनी की पूजा से सारे बिगड़े काम-काज संवर जाते हैं. मां की उपासना से साधक को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी फल प्राप्त होते हैं जबकि हर रोग, शोक, संताप और डर का नाश होता है.

मां कात्यायनी ने किया महिषासुर का संहार

पौराणिक कथा के मुताबिक कात्यायनी मां ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं. कहते हैं कि जब पृथ्वी पर महिषासुर का अत्याचर बढ़ गया तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. इसलिये इन्हें दानवों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा. कहते हैं कि मां भगवती जगदम्बा को पुत्री रूप में पाने के लिए महर्षि कात्यायन ने कई वर्षों की कठिन तपस्या की थी.

मनोकामना पूरी करने वाली माता

अगर किसी की शादी में कई तरह की अड़चनें आ रही हैं या वैवाहिक जीवन में किसी तरह की बाधा आती है तो मां कात्यायनी की पूजा करने से उन्हें लाभ मिलता है. कहते हैं कि भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने मां कात्यायनी की पूजा की थी. मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्या को अच्छे वर का वरदान देते हैं. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर सकता है. मां कात्यायनी को अमोद्य फलदायिनी माना जाता है. मां की पूजा गृहस्थ और विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के साथ-साथ शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत साधकों की मनोकामना भी पूर्ण करती है,

ऐसा है मां का यह स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही भव्य और दिव्य है. मां का स्वरूप सोने की भांति चमकीला है. मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं जिनमें एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल का फूल सुशोभित है. जबकि मां के अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं.

माता के मंदिरों में भक्तों का तांता

कोरोना संकट काल में मंदिर के कपाट बंद रहे. इन दिनों सरकार के दिशा निर्देश और कोविड-19 की सावधानियां बरतते हुए भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिरों के कपाट कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण बंद थे लेकिन शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिरों के कपाट खुल गए हैं. ऐसे में लोग मंदिर में माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं और माता से हर कोरोना संकट को हरने की प्रार्थना कर रहे हैं.

नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. माता के दर पर भक्त हाजिरी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. माता के मंदिर जय माता दी के जयकारों से गूंज रहे हैं. देशभर में मौजूद शक्तिपीठों से लेकर माता के अन्य मंदिरों में भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. कई भक्त नवरात्र के दौरान व्रत रखते हैं और माता की पूजा करते हैं. हिमाचल के विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठों में भी दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे हैं.

शिमला: आज शारदीय नवरात्र का छठा दिन है. नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में से छठा स्वरूप मां कात्यायनी का है. नवरात्र के दौरान लोग मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. मां कात्यायनी की पूजा से सारे बिगड़े काम-काज संवर जाते हैं. मां की उपासना से साधक को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी फल प्राप्त होते हैं जबकि हर रोग, शोक, संताप और डर का नाश होता है.

मां कात्यायनी ने किया महिषासुर का संहार

पौराणिक कथा के मुताबिक कात्यायनी मां ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं. कहते हैं कि जब पृथ्वी पर महिषासुर का अत्याचर बढ़ गया तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. इसलिये इन्हें दानवों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा. कहते हैं कि मां भगवती जगदम्बा को पुत्री रूप में पाने के लिए महर्षि कात्यायन ने कई वर्षों की कठिन तपस्या की थी.

मनोकामना पूरी करने वाली माता

अगर किसी की शादी में कई तरह की अड़चनें आ रही हैं या वैवाहिक जीवन में किसी तरह की बाधा आती है तो मां कात्यायनी की पूजा करने से उन्हें लाभ मिलता है. कहते हैं कि भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने मां कात्यायनी की पूजा की थी. मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्या को अच्छे वर का वरदान देते हैं. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर सकता है. मां कात्यायनी को अमोद्य फलदायिनी माना जाता है. मां की पूजा गृहस्थ और विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के साथ-साथ शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत साधकों की मनोकामना भी पूर्ण करती है,

ऐसा है मां का यह स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही भव्य और दिव्य है. मां का स्वरूप सोने की भांति चमकीला है. मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं जिनमें एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल का फूल सुशोभित है. जबकि मां के अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं.

माता के मंदिरों में भक्तों का तांता

कोरोना संकट काल में मंदिर के कपाट बंद रहे. इन दिनों सरकार के दिशा निर्देश और कोविड-19 की सावधानियां बरतते हुए भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिरों के कपाट कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण बंद थे लेकिन शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिरों के कपाट खुल गए हैं. ऐसे में लोग मंदिर में माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं और माता से हर कोरोना संकट को हरने की प्रार्थना कर रहे हैं.

नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. माता के दर पर भक्त हाजिरी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. माता के मंदिर जय माता दी के जयकारों से गूंज रहे हैं. देशभर में मौजूद शक्तिपीठों से लेकर माता के अन्य मंदिरों में भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. कई भक्त नवरात्र के दौरान व्रत रखते हैं और माता की पूजा करते हैं. हिमाचल के विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठों में भी दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे हैं.

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