शिमलाः नगर निगम शिमला की मासिक बैठक में शनिवार को पानी के बिलों पर जमकर हंगामा देखने को मिला. मेयर सत्या कौंडल की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्षद बिट्टू कुमार ने पानी के बिलों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि हजारों रुपये का पानी का बिल आ रहा है. 8 हजार रुपये का मासिक वेतन कमाने वाले कर्मचारियों को 20 हजार का बिल निगम थमा रहा है. कूड़े के बिलों की बढ़ोतरी से भी पार्षद नाराज दिखे.
पानी के बिल में सीवरेज सेस जोड़ने के मसले में पार्षदों ने साफ किया कि इसे खत्म किया जाए. उन्होंने कहा कि लोगों से वसूलने व जवाब देने का काम निगम का रह गया है. पानी कंपनी को चला गया है. कंपनी अपने हिसाब से ही बिल वसूल रही है. पार्षदों तक की नहीं सुनी जा रही है.
बार खोलने का भी उठा मुद्दा
बैठक में ढली में बार खोलने का भी मुद्दा उठा. पार्षद ने आरोप लगाया कि उनके वार्ड में मंदिर व स्कूल के पास ही बार खोल दिया गया है. पार्षद से एनओसी तक नहीं लिया गया है. ये पूरी तरह से गैर कानूनी है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके लिए अनापत्ति पत्र डिप्टी मेयर की तरफ से जारी किया गया है. ये सरासर गलत है. इस पर काफी देर तक हंगामा होने के बाद सदन में फैसला लिया है कि पार्षद को इस पर आपत्ति है तो इसे रद्द किया जाए.
मामला प्रदेश सरकार भेजने के बाद नहीं मिली राहत
महापौर सत्या कौंडल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों ने हर रोज शहर में कूड़ा उठाया है और नगर निगम उनको वेतन देता रहा है. ऐसे में शहर के लोगों का कूड़ा व पानी के बिल माफ करने का मामला प्रदेश सरकार को भेजा था, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली है. ऐसे में नगर निगम फिलहाल कोई ऐसी राहत नहीं दे सकता है. शहर में कई विकास कार्यों को हरी झंडी दी गई है.
मेयर के उठकर जाने से नाराज हुए पार्षद
मेयर सत्या कौंडल सदन के बाद बाहर चली गई. हालांकि भाजपा के पार्षद ही इस दौरान पार्किंग से जुड़े मसले को उठा रहे थे. इस पर पार्षद काफी नाराज दिखे. बैठक में ही पार्षद ने कहा दिया कि यदि हमारे साथ ही ऐसा होगा तो नुकसान होगा.
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