शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में प्रदेश में सभी पेयजल योजनाओं में फिल्टर और यूवी जैसी अत्याधुनिक तकनीकी का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा. शिमला में आयोजित विधायक प्राथमिकता बैठक के दौरान नाहन से विधायक अजय सोलंकी के सवाल पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने यह बात कही.
जल गुणवत्ता के लिए मानकों का पालन: उन्होंने कहा कि सभी पेयजल योजनाओं में जल की गुणवत्ता संबंधी मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने जल शक्ति विभाग को पेयजल योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में इसके लिए उचित प्रावधान करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि दूषित पेयजल की आपूर्ति से जलजनित रोगों के फैलने की आशंका बनी रहती है. उन्होंने विभाग को पाइपों की गुणवत्ता में भी सुधार लाने और इनमें गंदगी इत्यादि न पनप सके, इसके लिए पुख्ता उपाय करने के भी निर्देश दिए.
दुग्ध उत्पादन में हिमाचल बनेगा आत्मनिर्भर: विधायक प्राथमिकता बैठक में आगामी 5 वर्षों में हिमाचल की प्रगति के प्रति प्रदेश सरकार और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री की सोच की परिलक्षित हुई. उन्होंने आनी विधायक की ओर से उठाए गए मामले पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार अब हिमाचल को फल राज्य के बाद दुग्ध उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर, बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि इससे विशेष तौर पर ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती प्रदान की जा सकेगी.
पर्वतमाला योजना से होंगे ज्यादा काम: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने ने विधायकों से प्रदेश में सड़क परियोजनाओं से हटकर रोप-वे और सुरंगों के निर्माण को प्राथमिकता के साथ प्रस्ताव लाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि पर्वतमाला योजना के अंतर्गत हिमाचल में इस पर निकट भविष्य में काफी कार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत विधायक सुरंग निर्माण और रोप-वे इत्यादि की संभावनाएं तलाशते हुए इसके लिए प्रस्ताव लाएं.
अनछुए पर्यटन स्थलों का होगा विकास: सुखविंदर सिंह ने कहा कि अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए भी विधायक प्रस्ताव लेकर आए. प्रमुख पर्यटन स्थलों में बेतरतीब निर्माण पर उन्होंने संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि हिमाचल के परिवेश के अनुसार भवनों के निर्माण को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित एवं सुरक्षित रखा जा सके.
फॉरेस्ट क्लीयरेंस की समय सीमा तय: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए वन स्वीकृतियों एवं अन्य आपत्तियों के निपटारे के लिए समय सीमा तय की गई है. उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशों से संबंधित सभी मामलों की सूची उपलब्ध करवाएं ,ताकि उच्चतम स्तर पर विचार विमर्श कर हल निकाला जा सके. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर पर ऐसे मामलों की निरंतर निगरानी कर रहा है.