शिमला: राजधानी शिमला के लोगों के लिए राहत की खबर है. शहर में फिलहाल संपत्ति कर नहीं बढ़ेगा. नगर निगम के 1 अप्रैल से 10 फीसदी संपत्ति कर में बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव को एक साल के लिए डेफर करने के निर्देश स्थानीय विधायक हरीश जनारथा ने दिए. बुधवार को स्थानीय विधायक हरीश जनारथा ने नगर निगम शिमला की रिव्यू बैठक ली. निगम की रिव्यू बैठक में उन्होंने प्रशासन को लोगों पर बोझ डालने की बजाए अपनी संपत्तियों से आय कमाने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा कि शहर में पार्किंग, लीज पर दी गई जमीनों के कई मामले ऐसे हैं जहां पर निगम पैसे वसूलने में पूरी तरह से नाकाम है. शहर में ही निगम की संपत्तियों से प्रशासन किराया तक नहीं ले रहा है. शहर में शराब की दुकानों की संख्या काफी ज्यादा है. राजधानी में साथ लगते क्षेत्रों के मुकाबले शराब की खपत सबसे ज्यादा है. इसलिए निगम की कमाई बढ़ाने के लिए प्रति बोतल 10 रुपये सेस लगाने का प्रस्ताव दिया है.
उन्होंने कहा कि राजधानी में जितने भी केंद्र सरकार के ऑफिस हैं, वे सभी सहुलियतें निगम से ले रहे हैं, लेकिन निगम को टैक्स नहीं दे रहे हैं. इन सभी से भी पूरा टैक्स लिया जाना चाहिए. वहीं, राजधानी में निगम की कई पार्किंग ऐसी हैं जहां से निगम को आय के नाम पर कुछ नहीं आता है. ऐसे में सभी संस्थानों से पैसे कमाने चाहिए. सैहब सोसायटी की बकाया राशि को भी वसूलने क निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि शहर में निगम के एक फैसले के मुताबिक हर तीन साल के बाद टैक्स में दस फीसद बढ़ोतरी होती है. इस बार अप्रैल से इसे बढ़ाना है, इस पर विधायक ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि इसे एक साल के लिए स्थगित करें, नया हाउस बनने के बाद इस पर अलग से फैसला लेंगे.
तहबाजारियों से सालना फीस लेकर बनेगा लाइसेंस: शिमला के बाजारों और सड़कों पर हजारों की संख्या में अवैध तरीके से अतिक्रमण करने वाले तहबाजारियों पर नगर निगम शिमला लगाम कसने जा रहा है. तहबजारी फ्री में अब सड़कों पर नहीं बैठ पाएंगे. एमसी तहबाजारियों से बैठने की फीस लेगा साथ ही इनके लिए वैंडर जोन बनाएगा ताकि तहबाजारी यहां पर बैठ सके. नगर निगम शिमला तहबजारियों को लाइसेंस बनाकर देगा, इसके एवज में निगम सालाना फीस वसूल करेगा ताकि निगम को भी आमदनी हो सके.
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