शिमला: आइजीएमसी में शुक्रवार को (एमसीआई) मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने दबिश दी. यह टीम सबसे पहले रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में गई. दरअसल, एमसीआई की टीम रेडियोलॉजी में पीजी सीटों का जायजा लेने आई थी. 3 साल पहले रेडियोलॉजी में पीजी सीटों को 5 से बढ़ाकर 14 किया था. ऐसे में इसका रिकार्ड भी खंगाला. यह टीम 3 से 4 घंटे तक आईजीएमसी में रुकी. इस दौरान सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच अफरा-तफरी देखने को मिली.
स्कैन की मशीनें है खराब: बता दें, दो दिनों से आईजीएमसी में एमआरआई व सीटी स्कैन की मशीनें खराब हैं. मरीजों को निजी लैब में जाकर भारी पैसे खर्च कर एमआरआई व सीटी स्कैन करवाने पड़ रहे हैं. प्रशासन द्वारा मशीनों को ठीक करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. यह दोनों मशीनें काफी पुरानी हैं. ऐसे में बार बार मशीनें खराब हो रही हैं. इन दो मशीन के सहारे सैकड़ों मरीज हैं. आईजीएमसी में सीटी स्कैन की एक नई मशीन भी लगनी है, लेकिन यह पता नहीं कि कब स्थापित होगी. मरीज इन दिनों दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं. कुछ समय पहले भी एमसीआई टीम ने आईजीएमसी का दौरा किया था. उस समय टीम ने चिल्ड्रन वार्ड, सर्जिकल वार्ड व ब्लड बैंक का जायजा लिया था.
मरीजों को मिल रही तीन माह की डेट: एमआरआई के लिए मरीजों को तीन माह की डेट दी जा रही है. अगर मशीन खराब रही तो चार महीने भी लग जाते हैं. वहीं सीटी स्कैन के लिए भी मरीजों को एक माह लग जाता है. जब इस बारे में प्रशासनिक अधिकारी से बात की जाती है तो उनका कहना है कि मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ने के चलते लंबी डेट दी जाती है.
मशीनों की कीमत कम, मरम्मत करने में आया ज्यादा खर्चा: आईजीएमसी में एमआरआई व सीटी स्कैन की दोनों मशीनें जिस कीमत पर खरीदी गई थी. उससे ज्यादा खर्चा मरम्मत करने में लगा है. पहले मशीन दो महीने व 3 महीने में खराब होती थी अब एक सप्ताह चल रही है और फिर वापस खराब हो जाती है. IGMC की प्रिंसीपल डॉ. सीता ठाकुर ने बताया कि एमसीआई की टीम आई है. यह रूटीन दौरा रहता है. रेडियोलॉजी में पीजी की 3 साल पहले 5 से बढ़कर 14 सीट हुई हैं उसी का जायजा लेने टीम आई है.
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