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शहर में बंदरों के आतंक से मिल सकता है छुटकारा, नगर निगम शिमला ने तैयार किया ये प्लान

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Published : Jul 21, 2019, 3:18 PM IST

पर्यटन नगरी शिमला में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल जून में ही बंदरों के काटने के 122 मामले आईजीएमसी पहुंचे हैं.

डिजाइन फोटो

शिमला: राजधानी शिमला में तीसरी बार बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बाद भी लोग बंदरों को नहीं मार रहे हैं. वहीं, अब नगर निगम शिमला शहर में बंदरों को मारने के लिए वाइल्ड लाइफ विंग के साथ चर्चा करेगा. साथ ही एक कमेटी का गठन कर प्लान तैयार करेगा.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

गौरतलब है कि शिमला शहर में बंदरों के आतंक से लोग काफी परेशान हैं. स्थानीय लोगों के साथ बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर बंदर झपट पड़ते हैं. शहर में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के अस्पतालों में हर दिन बंदरों के काटने के 4 केस पहुंच रहे हैं.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

ये भी पढे़ं-स्कैब के बाद अब सेब की फसल पर माइट की मार, बागवानों के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें

नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बंदरों की समस्या शिमला में विकराल होती जा रही है. बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बावजूद निगम और वन्य जीव विंग कोई कठोर निर्णय नहीं ले पाया है. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में सेवानिवृत फौजियों को बंदरों को मारने के लिए तैनात किया गया है. वहीं, नगर निगम और वाइल्ड लाइफ विंग के अधिकारी अब इस मामले पर जल्द कोई अंतिम फैसला लेंगे.

वीडियो

बंदरों के आतंक से सहमे लोग
शिमला शहर में लोग बंदरों के आतंक से सहमे हुए हैं. लोग बंदरों के हमले में बुरी तरह से जख्मी हो रहे हैं. आईजीएमसी शिमला में जून में ही 122 बंदरों के काटने के मामले पहुंचे हैं. बंदर ज्यादातर महिला और बच्चों को निशाना बना रहे हैं. बंदर खाने की चीजें देखते ही झपट पड़ते हैं. शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां बंदरों का आतंक नहीं है. बंदरों की संख्या पर अंकुश लगाने के वन विभाग की सारे प्लान भी फेल हो चुके हैं.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

बता दें कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर नगर निगम शिमला क्षेत्र में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है. इससे पहले भी 20 दिसंबर 2017 में बंदरों को प्रदेश भर में वर्मिन घोषित किया गया था. उसके बाद बंदरों को वर्मिन घोषित करने का सिलसिला जारी है, लेकिन विधानसभा में प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक प्रदेश में 5 बंदरों को मार गया है.

ये भी पढे़ं-शिमला में बंदरों का आतंक जारी, सरकार ने फिर किया वर्मिन घोषित करने का 'नाटक'

इसके अलावा अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 2156 बंदरों की नसबंदी का दावा भी प्रशासन कर रहा है, लेकिन इनमें भी ज्यादातर बंदर शहर से बाहर के हैं. पिछले पांच सालों की बात करें तो मंकी बाइट के 2015 में 1149, 2016 में 1419, 2017 में 1442, 2018 में 1744, और 2019 में अभी तक 773 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

शिमला: राजधानी शिमला में तीसरी बार बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बाद भी लोग बंदरों को नहीं मार रहे हैं. वहीं, अब नगर निगम शिमला शहर में बंदरों को मारने के लिए वाइल्ड लाइफ विंग के साथ चर्चा करेगा. साथ ही एक कमेटी का गठन कर प्लान तैयार करेगा.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

गौरतलब है कि शिमला शहर में बंदरों के आतंक से लोग काफी परेशान हैं. स्थानीय लोगों के साथ बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर बंदर झपट पड़ते हैं. शहर में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के अस्पतालों में हर दिन बंदरों के काटने के 4 केस पहुंच रहे हैं.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

ये भी पढे़ं-स्कैब के बाद अब सेब की फसल पर माइट की मार, बागवानों के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें

नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बंदरों की समस्या शिमला में विकराल होती जा रही है. बंदरों को वर्मिन घोषित करने के बावजूद निगम और वन्य जीव विंग कोई कठोर निर्णय नहीं ले पाया है. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में सेवानिवृत फौजियों को बंदरों को मारने के लिए तैनात किया गया है. वहीं, नगर निगम और वाइल्ड लाइफ विंग के अधिकारी अब इस मामले पर जल्द कोई अंतिम फैसला लेंगे.

वीडियो

बंदरों के आतंक से सहमे लोग
शिमला शहर में लोग बंदरों के आतंक से सहमे हुए हैं. लोग बंदरों के हमले में बुरी तरह से जख्मी हो रहे हैं. आईजीएमसी शिमला में जून में ही 122 बंदरों के काटने के मामले पहुंचे हैं. बंदर ज्यादातर महिला और बच्चों को निशाना बना रहे हैं. बंदर खाने की चीजें देखते ही झपट पड़ते हैं. शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां बंदरों का आतंक नहीं है. बंदरों की संख्या पर अंकुश लगाने के वन विभाग की सारे प्लान भी फेल हो चुके हैं.

mc on terror of monkeys in shimla
शहर में बंदरों का आतंक

बता दें कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर नगर निगम शिमला क्षेत्र में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है. इससे पहले भी 20 दिसंबर 2017 में बंदरों को प्रदेश भर में वर्मिन घोषित किया गया था. उसके बाद बंदरों को वर्मिन घोषित करने का सिलसिला जारी है, लेकिन विधानसभा में प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक प्रदेश में 5 बंदरों को मार गया है.

ये भी पढे़ं-शिमला में बंदरों का आतंक जारी, सरकार ने फिर किया वर्मिन घोषित करने का 'नाटक'

इसके अलावा अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 2156 बंदरों की नसबंदी का दावा भी प्रशासन कर रहा है, लेकिन इनमें भी ज्यादातर बंदर शहर से बाहर के हैं. पिछले पांच सालों की बात करें तो मंकी बाइट के 2015 में 1149, 2016 में 1419, 2017 में 1442, 2018 में 1744, और 2019 में अभी तक 773 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

Intro:तीसरी बार शिमला में बंदरो को वर्मिन घोषित होने के बाद भी लोग बंदरो को नही मार रहे है ! वही अब नगर निगम शिमला
शहर में बंदरो को मारने के लिए सेवानिवृत फोजियों को तैनात करने की योजना बना रहा ! बंदरो को कैसे मारा जाए इसको लेकर नगर निगम वाइल्ड लाइफ विंग के साथ चर्चा करेगा और एक कमेटी का गठन कर प्लान तैयार करेगा ! शिमला शहर में बंदरो के आंतक से लोग काफी परेशान है ! स्थानीय लोगो के साथ बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर बंदर झपट पढ़ते है ! शहर के अस्पतालों में हर माह एक सौ से अधिक लोग बंदरों के काटे हुए पहुंच रहे हैं। Body:शहर में बंदरों को वर्मिन घोषित करने की मांग भी की गई ताकि लोग खुद बंदरों को मार सके, लेकिन वर्मिन घोषित होने पर अब तक एक भी बंदर नहीं मारा गया है। लोग बंदरो को नही मार रहे है ऐसे में अब नगर निगम इन बंदरो के आतंक से कैसे छुटकारा दिलाए जाये इस पर मंथन करने लगा है ! नगर निगम शिमला की मेयर कुसुम सदरेट ने भी कहा कि बंदरों की समस्या शिमला में विकराल होती जा रही है. लेकिन बंदरों को बर्मिन घोषित करने के बाबजूद निगम और वन्य जीव विंग कोई कठोर निर्णय नहीं ले पाया है कि इन्हें कौन मारेगा? उन्होंने कहा कि नगर निगम और वाइल्ड लाइफ विंग के अधिकारी बैठकर इस मामले पर कोई अंतिम फैसला लेंगे और बंदरो को कैसे मारा जाए इस पर प्लान तैयार किया जायेगा ! उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रो में सेवानिवृत फोजियों को बंदरो को मारने के लिए तैनात किया गया है ! शिमला में इन्हें तैनात किया जाए इस पर वाइड लाइफ के साथ चर्चा की जाएगी ! Conclusion:जून माह में 122 लोगो को काटा

शिमला शहर में बंदरो के आंतक से लोग भी सहमे हुए है ! लोग बंदरों के हमले में बुरी तरह से जख्मी हो रहे हैं।जून के महीने में ही 122 बंदरों के काटने के मरीज आईजीएमसी में पहुंचे हैं। जय्दात्र महिला और बच्चो को बंदर निशाना बना रहे है ! बंदर खाने की चीजे देखते ही झपट पढ़ते है ! शहर का कोई इलाका ऐसा नही है जहा बंदरो का आतंक नही है ! बंदरो की संख्या पर अंकुश लगाने की वन विभाग की सारे प्लान भी फेल हो चुके है ! ऐसे में अब बंदरो को मार कर ही शहर में इनके आतंक से छुटकारा दिलाया जा सकत अहि !
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