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विंटर सेशन से पहले सुखविंदर सरकार में फेरबदल के आसार, नए मंत्रियों को मिलेंगे विभाग, संतुलन साधेंगे सीएम सुक्खू - Yadavindra Goma becomes cabinet minister

हिमाचल प्रदेश में विंटर सेशन से पहले सुखविंदर सरकार में फेरबदल के आसार नजर आ रहे हैं. सुक्खू कैबिनेट मंत्री में दो नए मंत्री राजेश धर्माणी व यादविंद्र गोमा को शामिल हुए हैं. अब दोनों को जाने वाले विभागों को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 13, 2023, 2:02 PM IST

शिमला: एक साल बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट में दो सहयोगी शामिल कर ही लिए. राजेश धर्माणी व यादविंद्र गोमा के शपथ लेने के बाद अब उन्हें दिए जाने वाले विभागों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. साथ ही कैबिनेट में खाली रह गए एक पद को भरने पर भी अनुमान लगने आरंभ हो गए हैं. चूंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धर्मपुर से विधायक चंद्रशेखर को अहम जिम्मेदारी देने की बात मीडिया में खुल कर कही है, इससे संकेत मिल रहे हैं कि विधानसभा के विंटर सेशन से पहले हिमाचल में सियासी हलचल होगी.

अभी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर का पद भी खाली है. ऐसे में दो नए मंत्रियों को विभागों के बंटवारे के साथ डिप्टी स्पीकर बनाए जाने और कैबिनेट में फेरबदल के पक्के आसार हैं. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने क्षेत्रीय संतुलन साधने की चुनौती है. ये चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं. यहां पड़ताल करते हैं कि आने वाले समय में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी सरकार को क्या रूप देने का विचार रखते हैं.

ये बात सभी जानते हैं कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता संभालने के बाद अपने हिसाब से ही सरकार चलाई है. उन्होंने कैबिनेट में भी अपने भरोसेमंद और पुराने साथियों को प्राथमिकता दी है. इसके लिए क्षेत्रीय संतुलन की भी परवाह नहीं की गई. उदाहरण के लिए शिमला जिला से ही रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह व अनिरुद्ध सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. इनमें से रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह सीएम सुखविंदर सिंह के करीबी हैं. इसके अलावा हाल ही में शामिल हुए राजेश धर्माणी व यादविंद्र सिंह गोमा का नाम भी उल्लेखनीय है. राजेश धर्माणी सीएम सुक्खू के पुराने भरोसे के साथी हैं.

वीरभद्र सिंह सरकार के समय धर्माणी ने सीपीएस की कुर्सी छोड़ी थी. उन्हें वीरभद्र सिंह विरोध कैंप में होने के कारण अनदेखी झेलनी पड़ी थी. अब वे लाइम लाइट में हैं. इसी तरह यादविंद्र सिंह गोमा के पिता और पूर्व विधायक मिल्खी राम गोमा का भी दौर रहा है. वे जयसिंहपुर (तब राजगीर सीट) से विधायक रहे, लेकिन उनकी भी वीरभद्र सिंह सरकार में कोई खास पूछ नहीं थी. अब उनके बेटे कैबिनेट मंत्री हैं.

अब राजेश धर्माणी और यादविंद्र गोमा कैबिनेट मंत्री हैं. उन्हें अब विभागों का इंतजार है. विभागों का सिलसिला देखें तो इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास गृह, वित्त, योजना, सामान्य प्रशासन, उर्जा, आबकारी, वन आदि विभाग हैं. इसी तरह डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास परिवहन, जलशक्ति, आर्ट एंड कल्चर आदि विभागों का कार्यभार है. सीएम सुखविंदर सिंह वन विभाग, उर्जा विभाग, कार्मिक, सामान्य प्रशासन आदि विभागों में से कुछ को बांट सकते हैं. यदि फेरबदल की बात की जाए तो सियासी गलियारों में विधानसभा के स्पीकर कुलदीप पठानिया को मंत्री बनाने की सुगबुगाहट है.

कुलदीप पठानिया तेजतर्रार, अनुभवी नेता हैं. उन्हें मंत्री बनाया जाए तो क्षेत्रीय संतुलन भी सध जाएगा. कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री बढ़ जाएगा. इस समय कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से चंद्र कुमार मंत्री हैं और यादविंद्र गोमा के रूप में एक और नंबर बढ़ा है. कुलदीप पठानिया मंत्री बनाए गए तो तीन नए कैबिनेट मंत्री हो जाएंगे. चर्चा ये भी है कि स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल को स्पीकर का पद दिया जाए. इसका सियासी लाभ ये होगा कि शिमला संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री कम हो जाएगा और कुलदीप पठानिया के रूप में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में एक मंत्री बढ़ जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने निकट सहयोगी सीपीएस सुंदर ठाकुर को भी एडजस्ट कर सकते हैं. वे सीपीएस हैं और संभव है कि उनकी प्रमोशन हो जाए.

अब चर्चा लोकसभा चुनाव के समीकरण की है. इस समय हमीरपुर सीट सीएम सुखविंदर सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. इस सीट से वे सीएम के तौर पर हैं और डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश अग्निहोत्री हैं. यहां से राजेंद्र राणा भी कैबिनेट मंत्री की चाह रखते हैं. हालांकि उनके नाम पर विचार नहीं हो रहा है. इसके सियासी कारण हैं. उनकी चर्चा बाद में, लेकिन हमीरपुर सीट अनुराग ठाकुर से छीनने के लिए सीएम सुक्खू को कड़ी मेहनत करनी होगी. ये सीट भाजपा का गढ़ हैं और राजेंद्र राणा ने यहां से अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल को पराजित किया है. ऐसे में राजेंद्र राणा की अनदेखी भारी पड़ सकती है. इसका तोड़ सीएम सुक्खू को निकालना होगा.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का अनुसार शिमला सीट से भाजपा लगातार जीत दर्ज करती आ रही है. इसी सीट से सबसे अधिक कैबिनेट मंत्री हैं. ऐसे में ये सीट भी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. यहां से जीत दिलाना कैबिनेट मंत्रियों के लिए चुनौती है. मंडी सीट पर प्रतिभा सिंह यदि फिर से चुनाव मैदान में उतरती हैं तो ये वीरभद्र सिंह की लीगेसी के लिए साख का सवाल होगी. कांगड़ा सीट का समीकरण कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व पर निर्भर करेगा.

इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए हिमाचल में पार्टी के भीतर कोई चुनौती नहीं है. उनके फैसले दिखाते हैं कि वे सर्वेसर्वा बनकर उभरे हैं. अब लोकसभा चुनाव में जीत का भार भी उनके ही कंधे पर होगा. धनंजय शर्मा का कहना है कि फिलहाल कैबिनेट में फेरबदल और विंटर सेशन के बाद ही लोकसभा चुनाव 2024 की स्थिति अधिक स्पष्ट होगी.

ये भी पढ़ें: जयराम ठाकुर ने 'ऑपरेशन लोटस' के दिए संकेत, 'कभी भी कुछ भी हो सकता है, ये सरकार अपने ही बोझ तले दब जाएगी'

शिमला: एक साल बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट में दो सहयोगी शामिल कर ही लिए. राजेश धर्माणी व यादविंद्र गोमा के शपथ लेने के बाद अब उन्हें दिए जाने वाले विभागों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. साथ ही कैबिनेट में खाली रह गए एक पद को भरने पर भी अनुमान लगने आरंभ हो गए हैं. चूंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धर्मपुर से विधायक चंद्रशेखर को अहम जिम्मेदारी देने की बात मीडिया में खुल कर कही है, इससे संकेत मिल रहे हैं कि विधानसभा के विंटर सेशन से पहले हिमाचल में सियासी हलचल होगी.

अभी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर का पद भी खाली है. ऐसे में दो नए मंत्रियों को विभागों के बंटवारे के साथ डिप्टी स्पीकर बनाए जाने और कैबिनेट में फेरबदल के पक्के आसार हैं. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने क्षेत्रीय संतुलन साधने की चुनौती है. ये चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं. यहां पड़ताल करते हैं कि आने वाले समय में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी सरकार को क्या रूप देने का विचार रखते हैं.

ये बात सभी जानते हैं कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता संभालने के बाद अपने हिसाब से ही सरकार चलाई है. उन्होंने कैबिनेट में भी अपने भरोसेमंद और पुराने साथियों को प्राथमिकता दी है. इसके लिए क्षेत्रीय संतुलन की भी परवाह नहीं की गई. उदाहरण के लिए शिमला जिला से ही रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह व अनिरुद्ध सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. इनमें से रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह सीएम सुखविंदर सिंह के करीबी हैं. इसके अलावा हाल ही में शामिल हुए राजेश धर्माणी व यादविंद्र सिंह गोमा का नाम भी उल्लेखनीय है. राजेश धर्माणी सीएम सुक्खू के पुराने भरोसे के साथी हैं.

वीरभद्र सिंह सरकार के समय धर्माणी ने सीपीएस की कुर्सी छोड़ी थी. उन्हें वीरभद्र सिंह विरोध कैंप में होने के कारण अनदेखी झेलनी पड़ी थी. अब वे लाइम लाइट में हैं. इसी तरह यादविंद्र सिंह गोमा के पिता और पूर्व विधायक मिल्खी राम गोमा का भी दौर रहा है. वे जयसिंहपुर (तब राजगीर सीट) से विधायक रहे, लेकिन उनकी भी वीरभद्र सिंह सरकार में कोई खास पूछ नहीं थी. अब उनके बेटे कैबिनेट मंत्री हैं.

अब राजेश धर्माणी और यादविंद्र गोमा कैबिनेट मंत्री हैं. उन्हें अब विभागों का इंतजार है. विभागों का सिलसिला देखें तो इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास गृह, वित्त, योजना, सामान्य प्रशासन, उर्जा, आबकारी, वन आदि विभाग हैं. इसी तरह डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास परिवहन, जलशक्ति, आर्ट एंड कल्चर आदि विभागों का कार्यभार है. सीएम सुखविंदर सिंह वन विभाग, उर्जा विभाग, कार्मिक, सामान्य प्रशासन आदि विभागों में से कुछ को बांट सकते हैं. यदि फेरबदल की बात की जाए तो सियासी गलियारों में विधानसभा के स्पीकर कुलदीप पठानिया को मंत्री बनाने की सुगबुगाहट है.

कुलदीप पठानिया तेजतर्रार, अनुभवी नेता हैं. उन्हें मंत्री बनाया जाए तो क्षेत्रीय संतुलन भी सध जाएगा. कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री बढ़ जाएगा. इस समय कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से चंद्र कुमार मंत्री हैं और यादविंद्र गोमा के रूप में एक और नंबर बढ़ा है. कुलदीप पठानिया मंत्री बनाए गए तो तीन नए कैबिनेट मंत्री हो जाएंगे. चर्चा ये भी है कि स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल को स्पीकर का पद दिया जाए. इसका सियासी लाभ ये होगा कि शिमला संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री कम हो जाएगा और कुलदीप पठानिया के रूप में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में एक मंत्री बढ़ जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने निकट सहयोगी सीपीएस सुंदर ठाकुर को भी एडजस्ट कर सकते हैं. वे सीपीएस हैं और संभव है कि उनकी प्रमोशन हो जाए.

अब चर्चा लोकसभा चुनाव के समीकरण की है. इस समय हमीरपुर सीट सीएम सुखविंदर सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. इस सीट से वे सीएम के तौर पर हैं और डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश अग्निहोत्री हैं. यहां से राजेंद्र राणा भी कैबिनेट मंत्री की चाह रखते हैं. हालांकि उनके नाम पर विचार नहीं हो रहा है. इसके सियासी कारण हैं. उनकी चर्चा बाद में, लेकिन हमीरपुर सीट अनुराग ठाकुर से छीनने के लिए सीएम सुक्खू को कड़ी मेहनत करनी होगी. ये सीट भाजपा का गढ़ हैं और राजेंद्र राणा ने यहां से अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल को पराजित किया है. ऐसे में राजेंद्र राणा की अनदेखी भारी पड़ सकती है. इसका तोड़ सीएम सुक्खू को निकालना होगा.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का अनुसार शिमला सीट से भाजपा लगातार जीत दर्ज करती आ रही है. इसी सीट से सबसे अधिक कैबिनेट मंत्री हैं. ऐसे में ये सीट भी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. यहां से जीत दिलाना कैबिनेट मंत्रियों के लिए चुनौती है. मंडी सीट पर प्रतिभा सिंह यदि फिर से चुनाव मैदान में उतरती हैं तो ये वीरभद्र सिंह की लीगेसी के लिए साख का सवाल होगी. कांगड़ा सीट का समीकरण कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व पर निर्भर करेगा.

इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए हिमाचल में पार्टी के भीतर कोई चुनौती नहीं है. उनके फैसले दिखाते हैं कि वे सर्वेसर्वा बनकर उभरे हैं. अब लोकसभा चुनाव में जीत का भार भी उनके ही कंधे पर होगा. धनंजय शर्मा का कहना है कि फिलहाल कैबिनेट में फेरबदल और विंटर सेशन के बाद ही लोकसभा चुनाव 2024 की स्थिति अधिक स्पष्ट होगी.

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