शिमला: हिमाचल में सावन महीने की शुरुआत हो गई है. इसके चलते सावन के पहले ही दिन शिवालयों में भगवान शिव की पूजा आराधना की गई और शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया गया.
कोविड 19 के बीच मंदिरों को सरकार की ओर से अभी तक नहीं खोला गया है. ऐसे में श्रद्धालु शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर सके. मंदिरों में बंद कपाटों के पीछे ही पुजारियों ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की. प्रदेश में यह पहली बार हुआ कि सावन में शिवालय बंद रहे और श्रद्धालु मंदिरों में आकर भगवान शंकर की पूजा आराधना नहीं कर पाए.
प्रदेश में आज संक्रांति से सावन की शुरुआत हुई है. सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश के साथ ही प्रदेश में सावन का आगमन माना जाता है. यह महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना का विशेष महत्व है. सावन के दौरान प्रदेश में मौजूद शिव धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह शिव धाम खाली ही नजर आए.
शिमला के मिडल बाजार में स्थित शिव मंदिर में भी जहां लोगों की कतारें भगवान शिव के दर्शनों के साथ ही जलाभिषेक के लिए लगती थी. इस बार यह संभव नहीं हो पाया. मंदिर के पुजारी ने कहा कि मंदिर में कोविड की वजह से लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए नहीं आ पा रहे है, लेकिन मंदिर के अंदर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश के कई जिलों में जहां सावन की शुरुवात 6 जुलाई से हो चुकी है, लेकिन प्रदेश में इस महीने की शुरुवात 16 जुलाई से हुई है.
संक्रांति से शुरू हुए सावन का समापन 15 अगस्त को होगा. माना जाता है कि सावन में हर सोमवार को उपवास कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर विशेष फल मिलता है. मंदिरों के पंडित भी लोगों को यही सलाह दे रहे हैं कि मंदिर के खुलने तक लोग अपने घरों में रहकर भगवान भोले शंकर की पूजा आराधना करें.
शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है. तब से सावन की शुरुआत होती है. सावन भगवान शिव का प्रिय महीना होता है. इसी महीने में भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन हुआ था.
माता पार्वती ने इसी महीने में भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी. इसी को देखते हुए सावन का खास महत्व धार्मिक दृष्टि से होता है. इस महीने के बीच आने वाले सोमवार को उपवास रखा जाता है. भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है और उनका जलाभिषेक किया जाता है, जिससे भगवान भोले शंकर प्रसन्न होते हैं.
सावन में चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है. नई शुरुआत के लिए भी सावन को बेहद ही शुभ और पवित्र माना जाता है. कोई भी काम सावन में शुरू किया जा सकता है. प्रदेश में सावन की शुरुआत से ही मणिमहेश, श्री खंड और किन्नर कैलाश की यात्राओं की भी शुरुआत होती है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण इन यात्राओं को लेकर भी असमंजस है.
कहीं पर चंद्र मास तो कहीं संक्रांति से मानी जाती है सावन की शुरुआत
कुछ प्रदेशों में सावन की शुरुआत हो गई है. इसके चलते बुद्ध पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन की पूर्णिमा तक यह महीना मनाया जाता है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और झारखंड के शिवधामों में आज से ही ज्योतिर्लिंगों की पूजा अर्चना शुरू हो गई है. वहीं, कुछ जगहों पर इसकी शुरुआत 21 जुलाई से भी होगी. हिमाचल में 16 जुलाई से 15 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा.
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