शिमलाः हिमाचल में पशुपालक यदि गौवंश को सडकों पर भटकने को छोड़ेगा, तो उसकी खैर नहीं. ऐसे पशुपालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार इस बारे में मौजूदा प्रावधानों में बदलाव करेगी. ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला के सवाल पर पंचायती राज मंत्री ने बताया कि सजा देने के लिए वेटरीनरी अधिकारियों को अधिकृत किया जाएगा. ध्वाला का कहना था कि निजी संस्थाओं के तहत चल रही गौशालाओं में मनमानी होती है. वे पशुओं की अच्छे से देखभाल नहीं करते. सरकार ऐसी गौशालाओं की मॉनिटरिंग की क्या व्यवस्था कर रही है. सरकार का चैक होना चाहिए.
ध्वाला की बातों पर मंत्री ने सहमति जताई
पंचायती राज मंत्री ने विधायक ध्वाला की बातों से सहमति जताई और कहा कि जो भी व्यक्ति सडक़ों पर बेसहारा पशु छोड़ता है, उसे सजा का प्रावधान होगा. मंत्री के मुताबिक प्रदेश में 36311 पशु बेसहारा सडक़ों पर भटक रहे थे. इनमें से 16550 पशुओं को गोशालाओं, गोसदनों, गो सेंक्चुरी में आश्रय दिया जा चुका है. ऐसे 211 गैर सरकारी संगठन हैं, जो गोशालाएं चला रहे हैं. इसमें से 115 पंजीकृत हैं. मंत्री के अनुसार गो सेवा आयोग पूरी मॉनीटरिंग करता है. तीन गौ सेंक्चुरी सिरमौर के कोटला बड़ोग, ऊना के थाना कलां, सोलन के हांडा-कुंडी में स्थापित हो चुकी है.
महिला दिवस पर दो महिला विधायकों ने पूछे सवाल
महिला दिवस पर दो महिला विधायकों ने पूछे सवाल महिला दिवस के मौके पर दो महिला विधायकों कमलेश कुमारी व रीता देवी ने सवाल पूछे. ग्रामीण विकास व कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने भाजपा विधायक कमलेश कुमारी के सवाल के जवाब में जानकारी दी कि हिमाचल को आर्गेनिक प्रदेश बनाने को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की दिशा में सरकार बढ़ी थी. इसमें लागत कम होती है, जबकि रासायनिक खेती महंगी है.
107564 किसान अपना चुके हैं प्राकृतिक खेती
कंवर ने कहा कि अब तक 107564 किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं और 5561 हेक्टेयर में यह खेती की जा रही है. इस खेती में 50 हजार और किसानों को इस खेती से जोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि इस खेती से लागत में 43 फीसदी की कमी आई है. किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सबसे जरूरी है कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है. इससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा.
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हिमाचल प्रदेश के छह बड़े प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से निवेश की क्लीयरेंस
बाढ़ सुरक्षा नियंत्रण, प्रबंधन से जुड़े हिमाचल प्रदेश के छह बड़े प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की तरफ से निवेश की क्लीयरेंस मिली है. जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने विधायक कर्नल इंद्र सिंह के सवाल के जवाब में कहा कि इन प्रोजेक्टों की शेल्फ केंद्र के भेजी गई थी. पब्बर नदी की टेक्नीकल एडवायजरी कमेटी यानी टीएसी 2015-16 में हुई. मौजूदा सरकार ने इस मामले को प्रधानमंत्री, जल शक्ति मंत्री के साथ भी उठाया. अब 190 करोड़ के प्रोजेक्ट को निवेश की क्लीयरेंस मिल गई है.
इनके अलावा पांवटा में यमुना नदी पर 231 करोड़, कांगड़ा के नकेड़ खड्ड के तटीकरण के 231 करोड़ , सीर खड्ड को 157 करोड़ के, स्वां नदी के एक और 46 करोड़ के प्रोजेक्ट की क्लीयरेंस हो चुकी है. सुकेती खड्ड के 508 करोड़ के प्रोजेक्ट टीएसी, सीर खड्ड का 160 करोड़ का एक और प्रोजेक्ट, स्वां नदी पर ही गगरेट क्षेत्र का एक और 280 करोड़ का प्रोजेक्ट टीएसी स्टेज पर है.
मटौर कॉलेज के भवन निर्माण पर पूछा सवाल
वहीं, कांग्रेस सदस्य पवन काजल ने मटौर कॉलेज के भवन निर्माण को लेकर सवाल किया. शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि इस कॉलेज के भवन के लिए प्रशासनिक मंजूरी 11 करोड़ रुपए से अधिक की है. अब तक इस कालेज के लिए 1.11 करोड़ रुपए अलाट किए जा चुके हैं और वहां जमीन की ट्रांसफर का मामला लटका था. अब दूसरी जगह भूमि का चयन कर लिया है और भूमि लैंड ट्रांसफर होने वाली है और इसका कार्य जल्द शुरू करवाया जाएगा. पवन काजल की आपत्ति थी कि वे हर बार इस मामले को उठाते हैं.वे चाहते थे कि निर्माण कार्य जल्द शुरू हो.
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