शिमला : रविवार को लगने वाले सूर्य ग्रहण के लिए शनिवार रात को सूतक 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो गया है. सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिक बेहद दुर्लभ संयोग बता रहे हैं. वहीं,ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह ग्रहण दुर्लभ और 25 साल बाद इस तरह का संयोग देखने को मिलेगा जब पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इससे प्राकृतिक आपदाओं की संभावना रहेगी.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ राशियों पर इस सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव भी देखने को मिलेगा तो कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण शुभ फल भी देगा. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस सूर्य ग्रहण का सूतक शनिवार रात 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो गया है. वहीं, सूर्य ग्रहण रविवार को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा. दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर यह ग्रहण अपने चरम पर होगा. इस समय पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. वहीं, दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर यह सूर्य ग्रहण समाप्त होगा.
अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव
पंडित मोहन लाल शर्मा ने बताया कि इसका अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलेगा. मिथुन राशि में यह ग्रहण लगेगा. जिस समय मिथुन राशि में यह ग्रहण लगेगा उस समय 9 में से 6 ग्रहों की गति वक्री अवस्था में चल रही होगी. जिससे कि ज्यादातर इस ग्रहण का अशुभ प्रभाव देखने को मिलेगा. जिस कारण भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संभावना ज्यादा होगी.
उन्होंने माना कि कुछ क्षेत्रों में इस ग्रहण का शुभ प्रभाव भी दिखेगा. पंडित मोहन लाल शर्मा ने बताया कि अलग-अलग राशियों पर दुष्प्रभावों की बात की जाए तो मिथुन राशि पर इस ग्रहण का अधिक दुष्प्रभाव देखने के लिए मिलेगा. वहीं, मेष, वृष और कर्क राशि के लिए यह ग्रहण शुभ फलदायक रहेगा. उन्होंने बताया कि इस ग्रहण के दौरान ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भोजन करना और जल ग्रहण करना पूरी तरह से निषेध रहता है. मात्र बुजुर्ग, रोगी और बच्चे ही सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन और पानी ग्रहण कर सकते हैं.
वहीं, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी. सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने से इसका मन और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
दान और मंत्रों का जाप शुभ
पंडित मोहन लाल शर्मा ने कहा कि ग्रहण के दौरान दान-पुण्य करना और मंत्रों का जाप करना शुभ रहेगा. ग्रहण के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है. वहीं, ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करने के बाद ही भोजन पकाना और करना चाहिए. इसके साथ ही दान- पुण्य भी करना विशेष फलदायक रहेगा. ग्रहण के समाप्त होने के बाद वस्त्र फल और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान देने से रोगों से मुक्ति मिलती है.
1995 में देखा गया था ग्रहण
बता दें कि 1995 में इस तरह का सूर्य ग्रहण देखा गया था, जिसमें दिन के समय ही रात हो गई थी और सब ओर अंधेरा छा गया था. उसी तरह का संयोग अब 25 सालों बाद दोबारा से बन रहा है. इस सूर्य ग्रहण में दिन के समय जब यह ग्रहण अपने पूर्ण रूप पर होगा तो 12:15 पर दिन में एक बार फिर से अंधेरा छा जाएगा.
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