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इंडो-तिब्बत बॉर्डर से सटे कुन्नौचारंग में ना मोबाइल सिग्नल...ना सड़क सुविधा, लोग परेशान - कुनोचरंग पंचायत किन्नौर नेटवर्क प्रोबलम

किन्नौर के दुर्गम व इंडो-तिब्बत बॉर्डर से लगता हुआ क्षेत्र कुन्नौचारंग में आज तक लोग बिना मोबाइल नेटवर्क सुविधा के रहने पर मजबूर हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में बिना इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क सुविधा के लोगों को कई परेशानियां भी होती है.

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Published : Mar 25, 2021, 9:10 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर के दुर्गम व इंडो-तिब्बत बॉर्डर से लगते क्षेत्र कुन्नौचारंग में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. आजादी के बाद भी यहां के लोग बिना मोबाइल नेटवर्क सुविधा के रहने पर मजबूर हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में बिना नेटवर्क सुविधा के लोगों को कई परेशानियां भी होती हैं.

कुन्नौचारंग के पूर्व पंचायत प्रधान सुरेंद्र नेगी ने कहा कि कुन्नौचारंग क्षेत्र जिला का एक ऐसा क्षेत्र है. जहां आजादी के बाद मोबाइल सिग्नल की सुविधा आजतक नहीं मिली है. जिसके चलते कुन्नौचारंग पंचायत के लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में भी कुन्नौचारंग क्षेत्र में स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में समस्याए आई थी, जिससे न केवल बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, बल्कि सरकारी कार्यालयों के काम भी प्रभावित हो रहे हैं.

वीडियो.

मूलभूत सुविधाओं की कमी

सुरेंद्र नेगी ने कहा कि कुन्नौचारंग पंचायत आज जिला की ऐसी पंचायत है, जो सरकार की कई सुविधाओं से वंचित रहता है, जिसमें कच्ची सड़क, मोबाइल नेटवर्क नहीं होना, पंचायतों में व स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा की असुविधा, मोबाइल सिग्नल न होने से बाहरी क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क न कर पाना और भी बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जो कुन्नौचारंग पंचायत को देश दुनियां से पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में लाती है.

नेगी ने कहा कि आजादी के बाद सरकारें आई और गई, लेकिन कुन्नौचारंग के लोगों से हर वक्त सौतेला व्यवहार होता रहा है, जिसके चलते कुन्नौचारंग क्षेत्र आजादी के बाद भी आधुनिकता के बिना असुविधाओं का गुलाम बना हुआ है. ऐसे में उन्होंने सरकार से कुन्नौचारंग क्षेत्र के स्कूली बच्चों के भविष्य, पंचायत, सरकारी कार्यालयों के लिए नेटवर्क की सुविधा मुहैया करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें: हमीरपुर में फिर पांव पसार रहा कोरोना! वृंदावन से लौटे 14 श्रद्धालुओं समेत 38 लोग संक्रमित

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किन्नौर: जिला किन्नौर के दुर्गम व इंडो-तिब्बत बॉर्डर से लगते क्षेत्र कुन्नौचारंग में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. आजादी के बाद भी यहां के लोग बिना मोबाइल नेटवर्क सुविधा के रहने पर मजबूर हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में बिना नेटवर्क सुविधा के लोगों को कई परेशानियां भी होती हैं.

कुन्नौचारंग के पूर्व पंचायत प्रधान सुरेंद्र नेगी ने कहा कि कुन्नौचारंग क्षेत्र जिला का एक ऐसा क्षेत्र है. जहां आजादी के बाद मोबाइल सिग्नल की सुविधा आजतक नहीं मिली है. जिसके चलते कुन्नौचारंग पंचायत के लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में भी कुन्नौचारंग क्षेत्र में स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में समस्याए आई थी, जिससे न केवल बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, बल्कि सरकारी कार्यालयों के काम भी प्रभावित हो रहे हैं.

वीडियो.

मूलभूत सुविधाओं की कमी

सुरेंद्र नेगी ने कहा कि कुन्नौचारंग पंचायत आज जिला की ऐसी पंचायत है, जो सरकार की कई सुविधाओं से वंचित रहता है, जिसमें कच्ची सड़क, मोबाइल नेटवर्क नहीं होना, पंचायतों में व स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा की असुविधा, मोबाइल सिग्नल न होने से बाहरी क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क न कर पाना और भी बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जो कुन्नौचारंग पंचायत को देश दुनियां से पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में लाती है.

नेगी ने कहा कि आजादी के बाद सरकारें आई और गई, लेकिन कुन्नौचारंग के लोगों से हर वक्त सौतेला व्यवहार होता रहा है, जिसके चलते कुन्नौचारंग क्षेत्र आजादी के बाद भी आधुनिकता के बिना असुविधाओं का गुलाम बना हुआ है. ऐसे में उन्होंने सरकार से कुन्नौचारंग क्षेत्र के स्कूली बच्चों के भविष्य, पंचायत, सरकारी कार्यालयों के लिए नेटवर्क की सुविधा मुहैया करने की मांग की है.

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