शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हनुमान जी का एक ऐतिहासिक मंदिर है. यह मंदिर जाखू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में हनुमान जी यहां आए थे. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है. यही वजह है कि आज सुबह-सुबह कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी जाखू मंदिर पहुंचीं और भगवान हनुमान जी से कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद मांगा. वहीं, चुनावी नतीजों को देखें तो कांग्रेस साफ-साफ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाती नजर आ रही है.
ऊंची पहाड़ी पर बना जाखू मंदिर: जाखू पहाड़ी पर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर जाखू मंदिर स्थित है. जहां से बर्फीली चोटियां, घाटियां और शिमला शहर का सुंदर और मनोरम दृश्य देखा जा सकता है. शिमला स्थित जाखू मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ-साथ अपने धार्मिक मान्यताओं को लेकर प्रसिद्ध है. दूर-दराज से यहां आम और खास श्रद्धालु आते हैं.
जाखू मंदिर से जुड़ी मान्यता: इस जाखू मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक और पौराणिक मान्यता है. मंदिर के पुजारी बीपी शर्मा ने बताया यह मंदिर बड़ा प्राचीन है. उन्होंने कहा ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग से ही यह मंदिर बना हुआ है. पौराणिक कथा के अनुसार प्रभु श्री राम और लंकापति रावण के बीच हुए युद्ध के दौरान मेघनाद के तीर से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. उस समय लक्ष्मण का सब उपचार निष्फल हो गया था. जिसके बाद वैद्यराज सुषेण ने कहा अब एक ही उपाय शेष बचा है. हिमालय की संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की जान बचायी जा सकती है.
त्रेता युग में यहां आए थे हनुमान जी: इस संकट की घड़ी में राम भक्त हनुमान ने कहा प्रभु मैं संजीवनी लेकर आता हूं. हनुमान जी हिमालय की ओर उड़े, रास्ते में उन्होंने पहाड़ी पर 'याकू' नामक ऋषि को देखा तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे. जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी. परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई. मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई. इस पहाड़ी का नाम 'जाखू' है. यह 'जाखू' नाम ऋषि याकू के नाम पर पड़ा था.
याकू ऋषि को हनुमान जी ने दिया था वचन: हनुमान ने ऋषि को नमन कर संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की. वहीं हनुमान जी ने ऋषि याकू को वचन दिया कि संजीवनी लेकर आते समय वह उनके आश्रम पर जरूर आएंगे. जिसके बाद हनुमान ने 'कालनेमी' नामक राक्षस द्वारा रास्ता रोकने पर युद्ध करके उसे परास्त किया. इस दौड़ धूप और समयाभाव के कारण हनुमान ऋषि के आश्रम नहीं जा सके. हनुमान याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए.
हनुमान की स्मृति में मंदिर निर्माण: ऋषि याकू ने हनुमान की स्मृति में यहां मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर में जहां हनुमान जी ने अपने चरण रखे थे, उन चरणों को संगमरमर पत्थर से बनाकर रखा गया है. ऋषि ने वरदान दिया कि बंदरों के देवता हनुमान जब तक यह पहाड़ी है, लोगों द्वारा पूजे जाएंगे. जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा लगी है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट है. ये प्रतिमा साल 2010 में स्थापित की गई थी. यह मूर्ति कंक्रीट से बनाई गयी है, जो एक व्यापारी नंदा परिवार ने बनवाया था.
क्या है मंदिर का इतिहास: जाखू मंदिर के पुजारी बीपी शर्मा ने बताया संजीवनी बूटी के बारे में जानने के लिए हनुमान जी यहां पर उतरे थे. उनके वेग से जाखू पर्वत जो पहले काफी ऊंचा था, आधा पृथ्वी के गर्भ में समा गया. संजीवनी बूटी के बारे में जानने के बाद हनुमान जी अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए हिमालय में द्रोण पर्वत की तरफ चले गए. जिस स्थल पर हनुमान जी उतरे थे, वहां पर आज भी जाखू में उनके चरण चिन्हों को मंदिर में अलग से एक कुटिया बनाकर संगमरमर से निर्मित कर सुरक्षित रखा गया है.
याकू ऋषि को दर्शन देने पहुंचे हनुमान: मान्यता है कि याकू ऋषि को वापसी में इसी स्थान पर लौटने का हनुमान जी ने वचन दिया था, लेकिन कालनेमी राक्षस के कुचक्र में उनका ज्यादा समय नष्ट होने के कारण छोटे मार्ग से होते हुए लंका लौट गए. उधर याकू ऋषि हनुमान जी के लौटने का व्याकुलता से इंतजार करते रहे. उसी समय हनुमान जी ने ऋषि को दर्शन दिए और लौटकर वापस न आने कारण बताया. मान्यता है कि हनुमान जी के ओझल होने के तुरंत बाद जाखू पर्वत पर एक स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए, जो आज भी पूजी जाती है.
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