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रामपुर में श्रम कानून में बदलाव को लेकर सीटू का प्रदर्शन, सरकार को बताया किसान विरोधी - श्रम कानून में बदलाव का विरोध

श्रम कानून में किए गए बदलाव के विरोध में रामपुर में सीटू और किसान सभा ने गुरुवार को प्रदर्शन किया. किसान नेताओं ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया. वहीं, हिमाचल के माननीयों के वेतन में बढ़ोतरी पर भी विरोध जताया.

श्रम कानून में बदलाव को लेकर सीटू का प्रदर्शन
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Published : Sep 6, 2019, 5:14 AM IST

रामपुर: श्रम कानून में किए गए बदलाव के विरोध में गुरुवार को रामपुर में सीटू और हिमाचल किसान सभा ने प्रदर्शन किया. सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व किसान सभा के रामपुर ब्लॉक सचिव प्रेम कायथ व दिनेश मेहता ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया.

सीटू और किसान नेताओं ने कहा कि जबसे केंद्र में मोदी सरकार सत्ता आई है, तबसे सरकार लगातार किसान-मजदूर विरोधी नीतियां बनाकर पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने का काम कर रही है. मोदी सरकार ने अब पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने के लिए मजदूरों के श्रम कानून में बदलाव कर दिया है.

किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए लगातार भूमि अधिग्रहण बिल को पास कराने का प्रयास कर रही है. इस सरकार ने मजदूरों की 18000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को भी दरकिनार कर दिया है. वहीं, किसान नेताओं ने माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी पर राज्य सरकार पर निशाना साधा.

किसान नेताओं ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार कर्जे में डूबी हुई है. वहीं, दूसरी ओर सरकार खजाने को लुटा रही है. मंत्री व विधायकों की मंशा किसान विरोधी है.

रामपुर: श्रम कानून में किए गए बदलाव के विरोध में गुरुवार को रामपुर में सीटू और हिमाचल किसान सभा ने प्रदर्शन किया. सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व किसान सभा के रामपुर ब्लॉक सचिव प्रेम कायथ व दिनेश मेहता ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया.

सीटू और किसान नेताओं ने कहा कि जबसे केंद्र में मोदी सरकार सत्ता आई है, तबसे सरकार लगातार किसान-मजदूर विरोधी नीतियां बनाकर पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने का काम कर रही है. मोदी सरकार ने अब पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने के लिए मजदूरों के श्रम कानून में बदलाव कर दिया है.

किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए लगातार भूमि अधिग्रहण बिल को पास कराने का प्रयास कर रही है. इस सरकार ने मजदूरों की 18000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को भी दरकिनार कर दिया है. वहीं, किसान नेताओं ने माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी पर राज्य सरकार पर निशाना साधा.

किसान नेताओं ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार कर्जे में डूबी हुई है. वहीं, दूसरी ओर सरकार खजाने को लुटा रही है. मंत्री व विधायकों की मंशा किसान विरोधी है.

Intro:रामपुर बुशहर, 5 सितंबर मीनाक्षी Body:
सीटू व हिमाचल किसान सभा के बैनर तले रामपुर एस डी एम आफिस के बाहर मोदी सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया । धरने को सम्बोधित करते हुए सीटू शिमला जिला अध्यक्ष कुलदीप सिंह व किसान सभा के रामपुर ब्लॉक सचिव प्रेम कायथ व दिनेश मेहता ने कहा है कि जबसे केंद्र में मोदी सरकार सत्ता आई है तबसे सरकार ने लगातार किसान मजदूर विरोधी नीतियों बनाकर पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने का काम किया है । देश की मोदी 2 सरकार ने अब पूंजीपतियों को फायदा पंहुचाने के लिए मजदूरों के श्रम कानूनों में हमला कर दिया है। उन्होने कहा 44 प्रकार के श्रम कानूनों को 4 कोड में बदलकर पूंजीपतियों की थाली में मुनाफा आसानी से जाए ऐसा काम किया जा रहा है । किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए लगातार भूमि अधिग्रहण बिल को पास कराने का प्रयास कर रही है। इस सरकार ने मजदूरों की 18000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को दरकिनार करके फ्लोर वेज देने की बात कर रही है।

।किसानों को जीरो बजट खेती के काल्पनिक खेती करने की तरकीब में डाला जा रहा है जिससे किसानी फायदे मंद नहीं बल्कि घाटे की किसानी की ओर किसानों को धकेला जा रहा है
किसान सभा के नेताओं ने कहा किसानो को दूध सब्जी सेब तथा अन्य फसलों को कोढ़िया के भाव दिया जा रहा है। जिससे किसान बहुत दुखी है बागवान परेशान है । किसानो की किसानी खतरे में है , किसान सभा विधायकों के बड़े हुए वेतन भत्तों का भी विरोध करती है। एक तरफ जहां हमारी सरकार करोड़ो के कर्जे में डूबी है वही दूसरी तरफ हमारे मंत्री महंगी गाड़िया और विधायक अपने भत्ते भड़ा कर हिमाचल पर आर्थिक बोझ डाल रहे है। हमारा यह भी मानना है की जब मजदूर अपने न्यूनतम वेतन 18000 रुपए की मांग करता है और कर्मचारी अपनी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग करता है। तो वही दूसरी तरफ सरकार आर्थिक बोझ का रोना शुरू कर देती है। इससे प्रतीत होता है की हमारे मंत्री व् विधायकों की मंशा किसान व मजदुर विरोधी है!
हिमाचल किसान सभा व सीटू अडानी व बीजा द्वारा की जा रही सेब उत्पादकों की लूट का कड़ा विरोध करती है। जिसके खिलाफ भी किसान सभा प्रदर्शन करेगी।

Conclusion:
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