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कालका-शिमला हैरिटेज रेलवे लाइन को दिया जाए बाबा भलखू का नाम, साहित्यकारों ने रखा प्रस्ताव - हिमाचल न्यूज टुडे

अब कालका-शिमला हैरिटेज रेल लाइन को बाबा भलखू का नाम दिया जाएगा. ये प्रस्ताव बाबा भलखू के गांव की साहित्यिक यात्रा पर निकले साहित्यकारों समेत बाबा भलखू के गांव के लोगों ने पारित किया है.

कालका-शिमला हैरिटेज रेलवे लाइन
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Published : Aug 25, 2019, 11:32 PM IST

शिमला: विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में बाबा भलखू का अतुलनीय योगदान है. उनके नाम पर ही अब कालका-शिमला हैरिटेज रेल लाइन को बाबा भलखू का नाम दिया गया है. ये प्रस्ताव बाबा भलखू के गांव की साहित्यिक यात्रा पर निकले साहित्यकारों समेत बाबा भलखू के गांव के लोगों ने पारित किया है.

बता दें कि साहित्य को बंद दीवारों से बाहर निकाल कर आम लोगों के बीच ले जाने की पहल हिमालय मंच की ओर से की जा रही है. इसके लिए कालका शिमला हैरिटेज रेलवे ट्रैक के साथ ही बाबा भलखू के गांव में भी अब साहित्यिक यात्राएं साहित्यकार कर रहे हैं.

इसी कड़ी में रविवार को भी शिमला और सोलन के साहित्यकारों ने मिलकर विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अतुलनीय योगदान देने वाले बाबा भलखू के गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की. इस यात्रा में 25 से ज्यादा लेखकों ने भाग लिया और बाबा भलखू के गांव में जा कर अपनी-अपनी रचनाएं सांझा की.

ये भी पढ़ें-पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन पर CM ने जताया शोक, कहा- पार्टी ने खोया एक मजबूत स्तंभ

लेखक व हिमालय मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने कहा कि कालका-शिमला रेल साहित्य संवाद दो के सफल आयोजन के बाद रविवार को 25 से ज्यादा लेखकों ने न केवल उनके गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की बल्कि उनके पुशतैनी मकान में भी रहे. उन्होंने बताया कि यहां साहित्यकारों ने बाबा भलखू की छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात के बाद गांव में ही लोगों के मध्य साहित्य संवाद और गोष्ठी का आयोजन किया.

हरनोट ने कहा कि लेखकों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की गई कि कालका-शिमला विश्व धरोहर के सर्वेक्षण करने वाले अनपढ़ इंजीनियर भलखू के गांव चायल झाझा तक रेल लाइन बिछाई जाए. चायल वैसे भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, विश्व में सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान और चायल पैलेस के लिए अंकित है.

सरकार से ये भी मांग की गई कि शिमला में स्थापित भलखू संग्रहालय को उनके गांव बदला जाए और शिमला रेलवे का नाम बाबा भलखू कालका-शिमला धरोहर रेल किया जाए. इसके साथ ही चायल में स्थापित भलखू पार्क का नवीनीकरण भी हो. भलखू के डेढ सौ वर्ष पुराने घर को धरोहर का दर्जा उनके परिवार के साथ विचार-विमर्श कर दिया जाए.

हरनोट ने बताया कि लेखकों ने सर्वप्रथम चायल पैलेस का भ्रमण किया, जो अब हिमाचल पर्यटन विकास निगम का हेरिटेज होटल है. उसके बाद भलखू पार्क का अवलोक न करते हुए उसकी पुअर मेंटेनेंस पर गहरी चिंता व्यक्त की. वहीं, इसी दौरान झाझा गांव की दो नन्हीं कवियित्रियों अंशिका और काव्या ने कविताएं पढ़ी.

ये भी पढ़ें-ज्वालामुखी में मूसलाधार बारिश के बाद मौसम हुआ कूल-कूल, लोगों ने ली राहत की सांस

शिमला: विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में बाबा भलखू का अतुलनीय योगदान है. उनके नाम पर ही अब कालका-शिमला हैरिटेज रेल लाइन को बाबा भलखू का नाम दिया गया है. ये प्रस्ताव बाबा भलखू के गांव की साहित्यिक यात्रा पर निकले साहित्यकारों समेत बाबा भलखू के गांव के लोगों ने पारित किया है.

बता दें कि साहित्य को बंद दीवारों से बाहर निकाल कर आम लोगों के बीच ले जाने की पहल हिमालय मंच की ओर से की जा रही है. इसके लिए कालका शिमला हैरिटेज रेलवे ट्रैक के साथ ही बाबा भलखू के गांव में भी अब साहित्यिक यात्राएं साहित्यकार कर रहे हैं.

इसी कड़ी में रविवार को भी शिमला और सोलन के साहित्यकारों ने मिलकर विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अतुलनीय योगदान देने वाले बाबा भलखू के गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की. इस यात्रा में 25 से ज्यादा लेखकों ने भाग लिया और बाबा भलखू के गांव में जा कर अपनी-अपनी रचनाएं सांझा की.

ये भी पढ़ें-पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन पर CM ने जताया शोक, कहा- पार्टी ने खोया एक मजबूत स्तंभ

लेखक व हिमालय मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने कहा कि कालका-शिमला रेल साहित्य संवाद दो के सफल आयोजन के बाद रविवार को 25 से ज्यादा लेखकों ने न केवल उनके गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की बल्कि उनके पुशतैनी मकान में भी रहे. उन्होंने बताया कि यहां साहित्यकारों ने बाबा भलखू की छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात के बाद गांव में ही लोगों के मध्य साहित्य संवाद और गोष्ठी का आयोजन किया.

हरनोट ने कहा कि लेखकों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की गई कि कालका-शिमला विश्व धरोहर के सर्वेक्षण करने वाले अनपढ़ इंजीनियर भलखू के गांव चायल झाझा तक रेल लाइन बिछाई जाए. चायल वैसे भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, विश्व में सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान और चायल पैलेस के लिए अंकित है.

सरकार से ये भी मांग की गई कि शिमला में स्थापित भलखू संग्रहालय को उनके गांव बदला जाए और शिमला रेलवे का नाम बाबा भलखू कालका-शिमला धरोहर रेल किया जाए. इसके साथ ही चायल में स्थापित भलखू पार्क का नवीनीकरण भी हो. भलखू के डेढ सौ वर्ष पुराने घर को धरोहर का दर्जा उनके परिवार के साथ विचार-विमर्श कर दिया जाए.

हरनोट ने बताया कि लेखकों ने सर्वप्रथम चायल पैलेस का भ्रमण किया, जो अब हिमाचल पर्यटन विकास निगम का हेरिटेज होटल है. उसके बाद भलखू पार्क का अवलोक न करते हुए उसकी पुअर मेंटेनेंस पर गहरी चिंता व्यक्त की. वहीं, इसी दौरान झाझा गांव की दो नन्हीं कवियित्रियों अंशिका और काव्या ने कविताएं पढ़ी.

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Intro:विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में जिन बाबा भलखू का अतुलनीय योगदान है उनके नाम पर ही अब कालका-शिमला हैरिटेज रेल लाइन को बाबा भलखू का नाम दिया। यह प्रस्ताव बाबा भलखू के गांव की साहित्यिक यात्रा पर निकले साहित्यकारों के साथ ही बाबा भलखू के गांव के लोगों ने पारित किया है। बता दे कि साहित्य को बंद दीवारों से बाहर निकाल कर आम लोगों के बीच ले जाने की पहल हिमालय मंच की ओर से की जा रही है। इसके लिए कालका शिमला हैरिटेज रेलवे ट्रैक के साथ ही बाबा भलखू के गांव में भी अब साहित्यिक यात्राएं कर साहित्यिक आयोजन साहित्यकार कर रहे है।

Body:इसी कड़ी में रविवार को भी शिमला ओर सोलन के साहित्यकारों ने मिलकर विश्वधरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को बनाने में अतुलनीय योगदान देने वाले बाबा भलखू के गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की। इस यात्रा में 25 से ज्यादा लेखकों ने भाग लिया और बाबा भलखू के गांव में जा कर अपनी-अपनी रचनाएं सांझा की। लेखक ओर हिमालय मंच के अध्यक्ष एस.आर. हरनोट ने कहा कि कालका- शिमला रेल साहित्य संवाद दो के सफल आयोजन के बाद रविवार को 25 से ज्यादा लेखकों ने न केवल उनके गांव झाझा चायल की साहित्यिक यात्रा की बल्कि उनके पुशतैनी मकान में भी रहे। उन्होंने बताया कि यहां साहित्यकारों ने बाबा भलखू की छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात के बाद गांव में ही लोगों के मध्य साहित्य संवाद और गोष्ठी का आयोजन किया गया।

Conclusion:उन्होंने कहा कि लेखकों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की गई कि कालका शिमला विश्व धरोहर के सर्वेक्षण करने वाले अनपढ़ इंजीनियर भलखू के गांव चायल झाझा तक रेल लाइन बिछाई जाए। चायल वैसे भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, विश्व में सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान और चायल पैलेस के लिए अंकित है। सरकार से यह भी मांग की गई कि शिमला में स्थापित भलखू संग्रहालय को उनके गांव बदला जाए और शिमला रेलवे का नाम बाबा भलखू कालका शिमला धरोहर रेल किया जाए। इसके साथ ही चायल में स्थापित भलखू पार्क का नवीनीकरण भी हो। भलखू के डेढ सौ वर्ष पुराने घर को धरोहर का दर्जा उनके परिवार के साथ विचार विमर्श कर दिया जाए। हरनोट ने बताया कि शिमला और सोलन से इस यात्रा में तकरीबन 25 लेखक शामिल हुए। लेखकों ने सर्वप्रथम चायल पैलेस का भ्रमण किया जो अब हिमाचल पर्यटन विकास निगम का हेरिटेज होटल है और उसके बाद भलखू पार्क का अवलोक न करते हुए उसकी पुअर मेंटेनेंस पर गहरी चिंता व्यक्त की। झाझा गांव की दो नन्हीं कवियित्रियों अंशिका और काव्या ने कविताएं पढ़ी।
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