शिमला: हिमाचल को एक बार फिर गौरव मिला है. कांगड़ा के रहने वाले जस्टिस संजय करोल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बनाए गए हैं. इससे पहले शिमला जिले के जस्टिस लोकेश्वर पांटा सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुके हैं. जस्टिस संजय करोल सहित पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस ए अमानुल्लाह, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मितल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है.
जस्टिस संजय करोल का जन्म 23 अगस्त 1961 को कांगड़ा जिले के गरली में हुआ और इनकी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के सेंट एडवर्ड से हुई. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री हासिल कर इन्होंने वर्ष 1986 में वकालत शुरू की. जस्टिस करोल वर्ष 1999 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मनोनीत हुए और केंद्र सरकार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के लिए वरिष्ठ पैनल में शामिल हुए. ये वर्ष 1998 से 2003 ये राज्य सरकार के महाधिवक्ता रहे. 8 मार्च 2007 को इन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया. जस्टिस करोल 25 अप्रैल 2017 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस बने और 5 अक्तूबर 2018 तक इस पद पर रहे. इसके बाद जस्टिस करोल 9 नवंबर, 2018 को त्रिपुरा के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए और 11 नवंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने.
जस्टिस करोल ने दिए कई अहम फैसले: जस्टिस संजय करोल ने हिमाचल हाईकोर्ट में न्यायधीश रहते हुए जनता के हित में कई फैसले दिए. शिमला में जानलेवा पीलिया फैलने पर जस्टिस संजय करोल ने रात को जाग कर पानी की सप्लाई की निगरानी की. जाखू रोपवे बनाए जाने के लिए उन्होंने समय समय पर जरुरी आदेश पारित किए. शिमला में ट्रैफिक जाम की समस्या को लेकर जनहित याचिका में संज्ञान लिया. इन्होंने कोटखाई गुड़िया रेप और मर्डर मामले में भी संज्ञान लिया. नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के किनारों पर शौचालय का निर्माण करवाया जाना सुनिश्चित करवाया. होटलों और पर्यटक स्थानों पर धड़ल्ले से चरस के कारोबार पर लगाम लगाई. हिमाचल प्रदेश में अवैध कब्जों को छुड़ाए जाने बारे समय-समय पर जरुरी आदेश पारित किए. हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चिन्हित क्लस्टर के साथ-साथ इन्होंने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से न होने के मामले पर संज्ञान लिया.
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