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'इन डिग्री धारकों को नहीं दी जाए JBT भर्ती में मान्यता', शिक्षा निदेशक के पास पहुंचा मामला

बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए मान्यता देने के फैसले का प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ लगातार विरोध जता रहे हैं. मांग को लेकर संघ के सदस्यों ने बुधवार को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जम्वाल से मुलाकात की.

जेबीटी प्रतिनिधिमंडल
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Published : Mar 13, 2019, 6:37 PM IST

शिमलाः प्रदेश के बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए मान्यता देने के फैसले का प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ लगातार विरोध जता रहे हैं. संघ बार-बार यही मांग कर रहा है प्रेदश में बीएड को जेबीटी भर्ती में मान्यता न दी जाए और जेबीटी बेरोजगारों की फौज न खड़ी की जाए.

JBT union
जेबीटी प्रतिनिधिमंडल

अपनी इसी मांग को लेकर संघ के सदस्यों ने बुधवार को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जम्वाल से मुलाकात की. संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा निदेशक के समक्ष अपनी मांग रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जेबीटी बेरोजगारों का ध्यान रखे और बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती में मान्यता न दे. शिक्षा निदेशक ने संघ के सदस्यों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को मानकर जेबीटी प्रशिक्षुओं को राहत दी जाएगी.

प्रदेश के जेबीटी बेरोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 20 हजार जेबीटी डिप्लोमा धारक है और अब जेबीटी में बीएड धारकों को मान्यता देने से इन बेरोजगारों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. बीएड को अगर जेबीटी में मान्यता दी जाती है तो इससे 50 फीसदी बैचवाइज में उन्हीं का नंबर आएगा और जेबीटी प्रशिक्षु बेरोजगार रह जाएंगे. बीएड का 1999 और 2000 का बैच चल रहा है, जबकि जेबीटी का 2008-10 का बैच चल रहा है. ऐसे में अगर बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल किया जाता है तो उनका नंबर पहले आएगा .

जेबीटी बेरोजगार संघ का कहना है कि एनसीटीई की अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियम उन्हीं राज्यों के लिए है जहां जेबीटी प्रशिक्षु नहीं मिल रहे हैं. संघ का कहना है कि उन्होंने शिक्षा मंत्री के समक्ष भी अपनी बात को रखा है, जहां से उन्हें आश्वाशन मिला है.

संघ ने सरकार को चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार हजारों बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं को लेकर कोई फैसला नहीं करती है तो मजबूरन इन्हें सड़को पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा और साथ ही इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने से भी गुरेज नही करेंगे.

बता दें कि प्रदेश में 11 डाइट और 28 के करीब निजी संस्थान ऐसे है, जहां विद्यार्थी जेबीटी डिप्लोमा कर रहे हैं. ऐसे में इन्हें बेरोजगार रख कर सरकार किस आधार पर बीएड को प्राथमिकता दे सकती है. संघ का कहना है कि जेबीटी एक ट्रेंड टीचर है और प्रवेश परीक्षा के आधार पर उनकी योग्यता परखने के बाद ही उन्हें इस कोर्स में प्रवेश मिलता है, जबकि बीएड के तो कई छात्र ऐसे हैं, जो बाहरी राज्यों में इस डिग्री को हासिल कर अब प्रदेश में रोजगार हासिल कर रहे हैं.

शिमलाः प्रदेश के बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए मान्यता देने के फैसले का प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ लगातार विरोध जता रहे हैं. संघ बार-बार यही मांग कर रहा है प्रेदश में बीएड को जेबीटी भर्ती में मान्यता न दी जाए और जेबीटी बेरोजगारों की फौज न खड़ी की जाए.

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जेबीटी प्रतिनिधिमंडल

अपनी इसी मांग को लेकर संघ के सदस्यों ने बुधवार को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जम्वाल से मुलाकात की. संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा निदेशक के समक्ष अपनी मांग रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जेबीटी बेरोजगारों का ध्यान रखे और बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती में मान्यता न दे. शिक्षा निदेशक ने संघ के सदस्यों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को मानकर जेबीटी प्रशिक्षुओं को राहत दी जाएगी.

प्रदेश के जेबीटी बेरोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 20 हजार जेबीटी डिप्लोमा धारक है और अब जेबीटी में बीएड धारकों को मान्यता देने से इन बेरोजगारों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. बीएड को अगर जेबीटी में मान्यता दी जाती है तो इससे 50 फीसदी बैचवाइज में उन्हीं का नंबर आएगा और जेबीटी प्रशिक्षु बेरोजगार रह जाएंगे. बीएड का 1999 और 2000 का बैच चल रहा है, जबकि जेबीटी का 2008-10 का बैच चल रहा है. ऐसे में अगर बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल किया जाता है तो उनका नंबर पहले आएगा .

जेबीटी बेरोजगार संघ का कहना है कि एनसीटीई की अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियम उन्हीं राज्यों के लिए है जहां जेबीटी प्रशिक्षु नहीं मिल रहे हैं. संघ का कहना है कि उन्होंने शिक्षा मंत्री के समक्ष भी अपनी बात को रखा है, जहां से उन्हें आश्वाशन मिला है.

संघ ने सरकार को चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार हजारों बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं को लेकर कोई फैसला नहीं करती है तो मजबूरन इन्हें सड़को पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा और साथ ही इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने से भी गुरेज नही करेंगे.

बता दें कि प्रदेश में 11 डाइट और 28 के करीब निजी संस्थान ऐसे है, जहां विद्यार्थी जेबीटी डिप्लोमा कर रहे हैं. ऐसे में इन्हें बेरोजगार रख कर सरकार किस आधार पर बीएड को प्राथमिकता दे सकती है. संघ का कहना है कि जेबीटी एक ट्रेंड टीचर है और प्रवेश परीक्षा के आधार पर उनकी योग्यता परखने के बाद ही उन्हें इस कोर्स में प्रवेश मिलता है, जबकि बीएड के तो कई छात्र ऐसे हैं, जो बाहरी राज्यों में इस डिग्री को हासिल कर अब प्रदेश में रोजगार हासिल कर रहे हैं.

Intro:प्रदेश के बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए मान्यता देने के फ़ैसले का प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ लगातार विरोध जता रहे है। संघ बार-बार यही मांग कर रहा है प्रेदश में बीएड को जेबीटी भर्ती में मान्यता ना दी जाए और जेबीटी बेरोजगारों की फौज ना खड़ी की जाए। अपनी इसी मांग को लेकर संघ के सदस्यों ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जम्वाल से मुलाकात की। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा निदेशक के समक्ष अपनी मांग रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जेबीटी बेरोजगारों का ध्यान रखे और बीएड धारकों को जेबीटी भर्ती में मान्यता ना दे। शिक्षा निदेशक ने संघ के सदस्यों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को मानकर राहत जेबीटी प्रशिक्षुओं को दी जाएगी।


Body:प्रदेश के जेबीटी बेरोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में 20 हजार जेबीटी डिप्लोमा धारक है और अब जेबीटी में बीएड धारकों को मान्यता देने से इन बेरोजगारों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। बीएड को अगर जेबीटी में मान्यता दी जाती है तो इससे 50 फीसदी बैचवाइज में उन्ही का नम्बर आएगा और जेबीटी प्रशिक्षु बेरोजगार राह जाएंगे।बीएड का 1999 ओर 2000 का बैच चल रहा है जबकि जेबीटी का 2008-10 का बैच चल रहा है । ऐसे में अगर बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल किया जाता है तो उनका नम्बर पहले आएगा ।


Conclusion:जेबीटी बेरोजगार संघ का कहना है कि एनसीटीई की अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियम उन्ही राज्यो के लिए जहाँ जेबीटी प्रशिक्षु नही मिल रहे है। संघ का कहना है कि उन्होंने शिक्षा मंत्री के समक्ष भी अपनी बात को रखा हैं। जहाँ से उन्हें आश्वाशन मिला है । संघ को सरकार को चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार हजारो बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं को लेकर कोई फैसला नही करती है तो मजबूरन इन्हें सड़को पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा ओर साथ ही इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने से भी गुरेज नही करेंगे।
बता दे कि प्रदेश में 11 डाइट ओर 28 के करीब निजी संस्थान ऐसे है जहाँ विद्यार्थी जेबीटी डिप्लोमा कर रहे हैं ऐसे में इन्हें बेरोजगार रख कर सरकार किस आधार पर बीएड को प्राथमिकता दे सकती है। संघ का कहना है कि जेबीटी एक ट्रेंड टीचर है और प्रवेश परीक्षा के आधार पर उनकी योग्यता परखने के बाद ही उन्हें इस कोर्स में प्रवेश मिलता है जबकि बीएड के तो कई छात्र ऐसे है जो बाहरी राज्यों में इस डिग्री को हासिल कर अब प्रदेश में रोजगार हासिल कर रहे है।।
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