शिमला: हिमाचल सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया है. बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में इस आशय का फैसला लिया गया. प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों की सुनवाई होती थी.
इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आ गया था.
दिलचस्प बात है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में पुनर्गठन के बाद 23125 मामलों का निपटारा किया है. ट्रिब्यूनल के पास 30 जून तक 34111 मामले आए थे, जिनमें से 23125 निपटाए गए. इस तरह अभी भी करीब 11 हजार मामले ट्रिब्यूनल के पास निपटारे के लिए पेंडिंग थे, जिनका भार अब हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.
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एक तथ्य ये भी है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के समक्ष हाईकोर्ट से ही निपटारे के लिए 6485 मामले आए थे. ये सर्विस मैटर होते हैं यानी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामले. हाईकोर्ट से आए 6485 मामलों में से ट्रिब्यूनल ने 1739 का निपटारा किया है.
गौरतलब है कि 18 अप्रैल, 2017 और 14 अप्रैल, 2018 को ट्रिब्यूनल के दो सदस्यों (प्रशासन) का कार्यकाल पूरा होने के बाद हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में वर्तमान में सिर्फ चेयरमैन और एक न्यायिक सदस्य वाली पीठ के रूप में कार्य कर रहा था. हाल ही में ट्रिब्यूनल के सदस्य प्रेम कुमार सेवानिवृत हुए थे. ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस रिटायर वीके शर्मा हैं.
पूर्व में जिस समय प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने वर्ष 2008 में ट्रिब्यूलन को भंग किया था, उस समय ये तर्क दिया गया था कि सर्विस मैटर निपटारे में देरी होती है. फिलहाल, बुधवार को जयराम सरकार ने फिर से ट्रिब्यूनल को बंद किया है.
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