देहरादून: आजादी के बाद से आजतक देश कई आतंकी हमलों का गवाह रहा है. मुंबई आतंकी हमला इन्ही में से एक था. 26 नवंबर 2008 को समुद्र से मुंबई में दाखिल हुए 10 आतंकवादियों ने मुंबई में गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ दहशत फैला दी थी. मुंबई में हुआ ये आतंकी हमला आज भी लोगों के जहन में मौजूद है. मुंबई हमलों में जिंदा पकड़े गये आतंकी कसाब को इंटेरोगेट करने वाले और ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के कमांडेंट ब्रिगेडियर गोविंद सिसोदिया भी इन्हीं में से एक हैं.
शिमला से हैं ब्रिगेडियर सिसोदिया
हिमाचल के शिमला जिला से संबंध रखने वाले रि. ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया ने 26/11 हमले में भारतीय एनएसजी कमांडोज को लीड किया था और 60 घंटों में ही इस ऑपरेशन को पूरा करने पर सेना ने उन्हें विशिष्ट सेना मेडल से सम्मानित किया था.
ब्रिगेडियर सिसोदिया का जन्म चौपाल के भरनो गांव में हुआ था. वे परिवार में चार भाइयों में से सबसे छोटे हैं. इनके पिता शेर सिंह सिसोदिया राजस्व सेवा में अधिकारी थे. ब्रिगेडियर सिसोदिया ने मंडी शहर के गवर्नमेंट विजय हाई स्कूल से दसवीं तक की पढ़ाई की और 1975 में भारतीय सेना ज्वाइन करने से पहले इन्होंने एसडी कालेज शिमला से पढ़ाई पूरी की.
कमांडेंट ब्रिगेडियर गोविंद सिसोदिया इन दिनों देहरादून में बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. सिसोदिया की टीम के साहस और शौर्य के कारण ही मुंबई महफूज हो पाई. मुंबई हमले की 12वीं बरसी के मौके पर ईटीवी भारत ने कमांडेंट ब्रिगेडियर गोविंद सिसोदिया से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने मुंबई हमले की यादों को सिलसिलेवार तरीके से साझा किया.
मुंबई में हालात बेकाबू हुए तो भारत सरकार ने NSG को बुलाया
ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के कमांडेंट ब्रिगेडियर गोविंद सिसोदिया ने बताया कि मुंबई हमले के दौरान जब हालात बिगड़ने लगे तो भारत सरकार ने आतंकवादियों से निपटने के लिए NSG को बुलाया, तब उन्होंने इस ऑपरेशन को ब्लैक टॉरनेडो नाम दिया. उन पर ऑपरेशन को जल्द खत्म करने का दबाव था. आतंकी गतिविधियों का अनुभव होने के नाते उन्होंने रणनीति बनाई कि जितना समय ज्यादा लगेगा उतना एक जगह पर घिरे आतंकवादियों पर दबाव बनेगा, जिससे वो गलती करेंगे. इसमें नुकसान इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि आतंकी एक जगह पर फंस चुके थे. इसके बाद NSG कमांडोज ने आतंकवादियों को निशाना बनाया, जिसमें 10 आतंकवादियों में से 9 को मार गिराया गया. एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया.
ऐसे की गई अजमल कसाब से पूछताछ
ब्रिगेडियर सिसोदिया बताते हैं कि जब उन्होंने अजमल कसाब से पहली दफा पूछताछ की तो वो सामने कुर्सी लगी होने के बावजूद भी वो जमीन पर बैठ गए. यह उनकी स्टेर्टजी का एक हिस्सा था ताकि आतंकी उनके सामने कंफर्टेबल हो सके. इसके अलावा ब्रिगेडियर सिसोदिया ने बताया कि वे आर्मी की सिख रेजीमेंट से थे, जिसके कारण अच्छी पंजाबी बोलते हैं. अजमल कसाब भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत से था, वह भी पंजाबी में कंफर्टेबल था. उन्होंने अजमल कसाब से पंजाबी में ही बातचीत शुरू की.
गूगल अर्थ की मदद से किया था हमला
ब्रिगेडियर सिसोदिया बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति से उसकी लोकल भाषा में बात करने से फायदा होता है. इससे वह फ्लो में बोल पाता है, जिसके कारण उसे सोचने का समय नहीं मिलता है. पूछताछ में सामने आया कि आतंकवादियों ने मुंबई को इसलिए सॉफ्ट टारगेट बनाया क्योंकि वह यहां समुद्री रास्ते से पहुंच सकते थे, क्योंकि जमीनी और आसमानी रास्ते से आतंकवादियों को ज्यादा परेशानियां होती हैं. उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने गूगल अर्थ की मदद से अपने हमले को अंजाम दिया था.
चौथी पास होने के बावजूद सारी बारीकियां जानता था कसाब
चौंकाने वाली बात ये थी कि हमले का मास्टरमाइंड अजमल कसाब केवल कक्षा चार तक ही ही पढ़ा हुआ था, इसके बावजूद भी वह सारी तकनीकियां जानता था. सिसोदिया ने अजमल कसाब से पंजाबी में पूछा कि,( तू चार पढ़या ऐ...इना एक्पर्ट किथो बणया) 'तू चौथी पढ़ा हुआ है, उसके बाद भी तू इतना एक्सपर्ट कैसे है?' आतंकी ने अपनी ट्रेनिंग का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें ट्रेनिंग में ही ये सारी चीजें सिखाई गईं.
'कसाब को वहीं गोली मार देनी थी' वालों को जवाब
ब्रिगेडियर सिसोदिया बताते हैं कि मुंबई हमले में आतंकियों को ढेर करने के लिए चलाए गये ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो की सफलता के बाद 10 में से 9 आतंकवादियों को मार गिराया गया. अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया. जिसके बाद कई लोगों का कहना था कि अजमल कसाब को भी वहीं गोली मार देनी चाहिए थी. ब्रिगेडियर बताते हैं कि अगर ऐसा होता तो यह सबसे बड़ी भूल होती. उन्होंने बताया कि अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया यह भारत के लिए एक सबसे बड़ी जीत थी. कसाब पाकिस्तान की नापाक हरकत की एकमात्र जिंदा सुबूत था, उसके जरिए ही इस हरकत के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जा सकता था.
उन्होंने बताया कि शुरुआत में पाकिस्तान इस हमले से खुद को अलग बता रहा था. मगर, अजमल कसाब के जिंदा पकड़े जाने के बाद और अजमल कसाब के पाकिस्तानी साबित हो जाने के बाद पूरे विश्व ने यह माना कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का ठिकाना है. उन्होंने कहा अगर अजमल कसाब को गोली मार दी जाती तो हिंदुस्तान ये कभी साबित नहीं कर पाता कि मुंबई में 26/11 को जो भी हुआ उसकी सारी कहानी पाकिस्तान में ही लिखी गई थी.