शिमला: कोविड-19 के दौरान राज्य सरकार धीरे-धीरे विभिन्न सेक्टर्स में छूट दे रही है. ठप पड़ी औद्योगिक गतिविधियों को गति प्रदान करने के लिए सरकार ने शनिवार को इंडस्ट्री सेक्टर में लेबर की मूवमेंट को लेकर एसओपी यानी स्टेंडर्ड ऑपरेटिव प्रोसीजर का ऐलान किया है.
हिमाचल की अधिकतर औद्योगिक इकाइयां सीमावर्ती इलाकों में हैं. हरियाणा, पंजाब से लगती सीमाओं पर कारखाने स्थापित हैं, ऐसे में बीबीएन, कालाअंब, परवाणू, ऊना, ग्वालथाई, अंब इंडस्ट्रियल एरिया में स्थापित कारखानों के मालिक अगर प्रदेश के बाहर से रोजाना के आधार पर लेबर बुलाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए संबंधित जिला के डीसी के पास आवेदन करना होगा.
सीमावर्ती इलाकों की फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिक साथ लगते दूसरे प्रदेश के इलाकों से आते हैं. अधिकांश लेबर ने अपनी रिहायश हरियाणा व पंजाब के हिमाचल से लगते इलाकों में रखी है. ये इलाके हिमाचल में स्थापित कारखानों से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर हैं, लेकिन ये दूसरे प्रदेश की सीमा में, ऐसे में नजदीक के श्रमिकों को संबंधित कंपनी आई कार्ड जारी करेगी.
ये श्रमिक बैरियर पर आई कार्ड दिखा कर एंट्री कर सकते हैं. संबंधित जिला प्रशासन ऐसे श्रमिकों के लिए आने-जाने का रूट निर्धारित करेगा. सीमावर्ती इलाकों की फैक्ट्रियों के मालिक, जो अन्य प्रदेश में रहते हैं, वे अपने निजी वाहन से आ सकेंगे, लेकिन जो कारखाना मालिक या सीनियर अधिकारी दूसरे राज्य के कंटेनमेंट जोन में आते हैं, उन्हें अनुमति नहीं मिलेगी.
अन्य को भी एक दिन छोडकर आने की अनुमति होगी. कामगारों को घर से फैक्ट्री व फैक्ट्री से घर वापिस जाने के लिए सेनीटाइज व्हीकल का प्रयोग करना होगा. कोविड-19 को लेकर जो भी सुरक्षा उपाय हैं, जैसे मास्क लगाना व सेनीटाइजर का प्रयोग अनिवार्य होगा.
सुरक्षा के नजरिए से कामगारों को घर से फैक्ट्री आने के लिए प्रयोग होने वाला वाहन रास्ते में कहीं नहीं रुकेगा. सभी श्रमिकों व कर्मियों की स्क्रीनिंग तय नियमों के अनुसार होगी. राजस्व विभाग के प्रधान सचिव की तरफ से शनिवार को जारी एसओपी में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों को पालन जरूरी होगा.