शिमलाः विश्वभर में हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से जाना जाता है. मंदिर यहां की पहचान हैं. लोग यहां दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं. दर्शन के लिए पहुंचने वाले यहां श्रद्धा और हैसियत के मुताबिक चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. देवभूमि के मंदिरों के पास अरबों रुपये की संपत्ति और इसमें सोना-चांदी से लेकर बैंक बैलेंस और बेशकीमती जमीनें भी हैं.
सूबे के मंदिर परिसर के आसपास की जमीन पर अकसर अवैध कब्जाधारियों की बुरी नजर लगी रहती है. ऐसे में इनकी सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती रहती है. आए दिन जमीन पर छोटे-मोटे कब्जों के मामले आते भी रहते हैं.
रामगोपाल मंदिर में 96 लोगों का कब्जा
मंदिर की संपत्ति पर बड़े कब्जों को लेकर सबसे चर्चित मामला कांगड़ा जिला के डमटाल में स्थित रामगोपाल मंदिर का है. यह मंदिर विक्रम संवत 1550 में बना था. हिमाचल सरकार ने इस मंदिर का अधिग्रहण जनवरी 1996 में किया था.
अब इस मंदिर की जमीन पर 96 लोगों ने कब्जा कर रखा है. हैरानी की बात है कि रामगोपाल मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जाधारियों ने कॉलोनी तक बना दी है. इलाके के लोग चर्चा करते थे कि लालची कब्जाधारियों ने धक्केशाही में कॉलोनी बना दी. इसी वजह से इस कॉलोनी का नाम भी धक्का कॉलोनी रखा गया है. यही नहीं, कब्जाधारियों ने मंदिर की जमीन पर 12 क्रेशर तक लगा दिये हैं.
विधानसभा में भी गूंजा था मामला
राज्य सरकार ने तीन साल पहले अवैध कब्जों को हटाने के लिए आदेश जारी किए थे. उस समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इन सब बातों का जिक्र किया था. तीन साल पहले जयराम सरकार के सत्ता संभालने के बाद बजट सत्र में रामगोपाल मंदिर को लेकर सवाल गूंजा था. 2 अप्रैल 2018 को प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी के राकेश पठानिया ने यह मामला उठाया था. उस समय के विधायक राकेश पठानिया अब मंत्री हैं और अब उन्हें लगता है कि जल्द ही यह मामला सुलझ जाएगा.
कांग्रेस सरकार के समय प्रशासन ने कब्जों को किया नियमित
प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय में प्रशासन ने 3-3 लाख रुपये वसूल कर कब्जों को नियमित कर दिया था. विधानसभा में सरकार की तरफ से बताया गया था कि मंदिर की जमीन पर 883 लोगों का पोजेशन है और इनमें 419 लोगों से किराया वसूल जा रहा है.
फिलहाल रामगोपाल मंदिर की जमीन पर कब्जों के मामले में प्रशासन रिपोर्ट तैयार कर रहा है. लिहाजा, कब्जाधारियों और मंदिर की संपत्ति के आंकलन की प्रक्रिया में समय लग रहा है.
इन मंदिरों पर भी कब्जा
इसके अलावा चम्बा के लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास साल 1950 में 6 हजार 625 बीघा जमीन थी. अब यह जमीन कुल 8 बीघा रह गई है. इसके पीछे वजह यह है कि इस जमीन पर 7 मंदिर 54 दुकानें, म्यूजियम और एक सामुदायिक भवन है. यह मंदिर अब ट्रस्ट के अधीन है. साथ ही विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी में भी मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जे हुए हैं. यहां मंदिर के आसपास की जमीन पर लोगों ने दुकानें बनाई हैं और छज्जों को बढ़ाया गया है. समय समय पर मंदिर न्यास कब्जे हटाता है, लेकिन कुछ समय बाद लोग फिर कब्जा कर लेते हैं.
उच्चस्तरीय कमेटी कर रही जांच
तीन साल पहले सीएम ने माना कि अभी तक मंदिर की जमीन को लेकर पूरी कैलकुलेशन नहीं हुई है कि मंदिर के पास कितनी जमीन है. इस मामले की जांच के लिए सरकार ने उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है. उच्चस्तरीय कमेटी सभीत तथ्यों का पता लगा रही है. अभी इन सब में कितना समय लगेगा. इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना साफ है कि यह सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
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