शिमलाः आईजीएमसी के डाॅक्टर दंपत्ति ने साेलन की आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा काे इंसुलिन पंप दिया है. छात्रा का शुगर अक्सर इतना ज्यादा बढ़ जाता था कि इंजेक्शन लेकर मां काे स्कूल पहुंचना पड़ता था. दिन में पांच इंजेक्शन देकर भी डायबिटीज कंट्राेल में लाना मुश्किल हाे जाता था. परिजन काे बेटी की काफी चिंता सताने लगी थी. उन्हाेंने मेडिसिन डिपार्टमेंट में प्राेफेसर जितेंद्र माेक्टा काे अपनी समस्या बताई.
इंसुलिन पंप छात्रा के लिए वरदान
परिजनाें की हालत देखकर डाॅक्टर माेक्टा और उनकी पत्नी माइक्राेबायाेलाॅजी की असिस्टेंट प्राेफेसर डाॅ. किरण माेक्टा ने 2.30 लाख रुपए खर्च करके बेटी काे इंसुलिन पंप दिया. अब ना ताे उसके शरीर में इंसुलिन कम हाेगा और ना ही बार-बार इंजेक्शन लगाने की जरूरत रहेगी. मंगलवार काे डाॅक्टर जितेंद्र माेक्टा और डाॅ. किरण माेक्टा ने परिजनाें काे पंप के लिए 2.30 लाख रुपए का चैक भेंट किया.
2010 में कारगिल में शहीद हुए थे बेटी के पिता
आईजीएमसी में कार्यरत बेटी के मामा भीम सिंह ने बताया कि उन्हें डाॅ. जितेंद्र और डाॅ. किरण ने उनकी बहन की चिंता खत्म कर दी है. उन्हाेंने कहा कि अक्सर स्कूल में उनकी भांजी की इंसुलिन खत्म हाे जाती थी, ताे उनकी बहन काे तुरंत इंजेक्शन लेकर स्कूल पहुंचना पड़ता था. हालांकि, सुबह वह इंजेक्शन लगाकर स्कूल जाती थी. शाम काे भी इंजेक्शन दिया जाता था.
कई बार दिन में पांच इंजेक्शन लगाने पड़ते थे. मगर अब उन्हें इंसुलिन पंप मिल गया है, इससे उन्हें दिक्कत नहीं रहेगी. उन्हाेंने बताया कि उनके बहनाेई 2010 में कारगिल में हुए एक ब्लाॅस्ट में शहीद हाे चुके हैं. ऐसे में परिवार की हालत इतनी बेहतर नहीं है कि बेटी के लिए वह इतना महंगा इंजेक्शन खरीद सकें.
डाॅ. जितेंद्र माेक्टा ने बताया
डाॅ. जितेंद्र माेक्टा ने बताया की आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली डायबिटीक छात्रा के बारे में कुछ दिन पहले उसके मामा ने बताया. उनकी घर की हालत बेहतर नहीं थी ताे ऐसे में मैने और मेरी पत्नी ने छात्रा काे इंसुलिन पंप देने का निर्णय लिया.
मंगलवार काे परिजनाें काे पंप के लिए 2.30 लाख रुपए का चैक भेंट कर दिया गया. पंप से अब छात्रा काे इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं रहेगी. पंप से उसके शरीर में जितनी इंसुलिन की जरूरत हाेगी खुद जाती रहेगी. पंप खरीदकर परिजनाें के चेहरे पर खुशी का एहसास देखकर काफी अच्छा लगा.