शिमला: नगर निगम शिमला की परिधि से बाहर के इलाके में पेयजल न देने पर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता उमेश की तरफ से दाखिल आवेदन की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार तथा शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड को जवाब देने के आदेश जारी किए. प्रार्थी उमेश ने अपनी याचिका में बताया कि उसने शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड के समक्ष पीने के पानी के लिए कनेक्शन देने को लेकर आवेदन दाखिल किया है. (HP High Court)
शिमला जल प्रबंधन की तरफ से मौखिक तौर पर प्रार्थी को बताया गया कि नगर निगम और प्रबंधन ने फिलहाल एमसी शिमला की बाउंड्री से बाहर पीने के पानी का कनेक्शन न देने का निर्णय पारित कर रखा है. याचिका में प्रार्थी ने कहा है कि उसने लोअर खलीनी के भगवती नगर में स्थित माधव भवन में एक रिहायशी फ्लैट खरीद रखा है. यह भवन नगर निगम शिमला की सीमा पर बनाया गया है. इस भवन में निगम ने पीने के पानी के तीन कनेक्शन जारी किए हैं.
दलील दी गई कि इस स्थान पर जल शक्ति विभाग की कोई पानी की सप्लाई से जुड़ी कोई स्कीम नहीं है. जलशक्ति विभाग ने इस बाबत अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी भी जारी कर दिया है कि प्रार्थी को निगम की ओर से पानी मुहैया करवाया जाए. प्रार्थी का कहना है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे करने के बाद भी लोगों को पीने के पानी के लिए इस तरह से तरसना पड़ रहा है. प्रार्थी ने कहा है कि पीने का पानी मुहैया करवाना सरकार का दायित्व है. इसके साथ ही इसे भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है. हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार व एसजेपीएल प्रशासन से जवाब मांगा और अगली सुनवाई 12 जनवरी को तय की है.
हाईकोर्ट में 12 अधिकारी व कर्मचारी प्रमोट: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 12 अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन आदेश पारित किए हैं. प्रमोशन आर्डर के अनुसार सहायक पंजीयक शीला सूद को उप पंजीयक के पद पर प्रमोट किया गया है. अनुभाग अधिकारी सुषमा कपिला और रमेश चंद शर्मा को सहायक पंजीयक बनाया गया है. निशा आहलूवालिया और रमेश चंद बिंटा को कोर्ट मास्टर के रूप में प्रमोट किया गया है. रणदेव, जोगिंदर पाल, राजेंद्र पाल, हिमीचंद शर्मा को चपरासी, चमन लाल माली, सुनील कुमार सफाई कर्मचारी को अशर और राम कली ठाकुर को कोर्ट जमादार बनाया गया है.
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