शिमला: खुद को अनुशासित और पार्टी विद ए डिफरेंस कहलाने में गर्व महसूस करने वाली भाजपा के कई नेता इस चुनाव में बागी हो गए हैं. टिकट कटने से नाराज नेता चुनाव मैदान में उतर गए और कई सीटों पर मुकाबला तिकोना हो गया है. आलम ये है कि जिस सीट से चुनाव लड़कर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा साल 1993 और 1998 में विधायक बने थे , वहां भी सुभाष शर्मा बागी हो गए हैं. यानी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के गृह जिला की अपनी ही सीट भी तिकोने मुकाबले से नहीं बच पाई. ऐसा नहीं है कि बागियों ने केवल भाजपा की नाक में ही दम किया हुआ है, कुछ जगहों पर कांग्रेस को भी बागी उम्मीदवार नाकों चने चबवा रहे हैं. कांग्रेस के लिए चौपाल, पच्छाद जैसी सीटों पर बड़े नेता बागी बनकर मुकाबले को तिकोना बना चुके हैं, परंतु सबसे अधिक नुकसान भाजपा को है.
बीजेपी की मुश्किल बढ़ा रहे बागी- चुनावी साल में भाजपा ने नालागढ़ से लखविंद्र राणा और कांगड़ा से पवन काजल को कांग्रेस से खींचकर अपने पाले में मिला लिया. परिणाम ये हुआ कि नालागढ़ से भाजपा के पूर्व विधायक केएल ठाकुर बगावत करके निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए. अब यहां से भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी लखविंद्र राणा और कांग्रेस के हरदीप बावा के साथ केएल ठाकुर ने मिलकर मुकाबले को तिकोना बना दिया. भाजपा में बिलासपुर में पार्टी प्रत्याशी त्रिलोक जम्वाल के मुकाबले कांग्रेस के बंबर ठाकुर हैं तो साथ ही बागी पूर्व विधायक सुभाष शर्मा भी रण में हैं. दिलचस्प बात है कि यहां से 2017 में चुनाव जीते भाजपा के सुभाष ठाकुर भी नाराज हैं और अनमने मन से पार्टी के साथ हैं. उनका टिकट काटकर त्रिलोक जम्वाल को दिया गया है. (HP Election 2022) (Rebel candidates of BJP in Himachal)
मंडी में प्रवीण शर्मा बढ़ाएंगे भाजपा की मुश्किलें: बगावत के इस दौर में सबसे अधिक चर्चा मंडी सीट की है. यहां भाजपा के युवा नेता प्रवीण शर्मा पिन्नु इस बार टिकट न मिलने पर चुनाव मैदान में कूद गए. वो पिछले दो से तीन चुनाव से पार्टी के टिकट की राह देख रहे थे, इस बार सब्र टूटा तो बगावत का झंडा उठा लिया, उन्हें मनाने के प्रयास भी विफल रहे हैं. अब मंडी में पार्टी के उम्मीदवार अनिल शर्मा के साथ कांग्रेस की चंपा ठाकुर का मुकाबला तो है, लेकिन प्रवीण ने इस मुकाबले को तीसरा कोण दे दिया है.
इन सीटों पर भी बागी बिगाड़ सकते हैं भाजपा का खेल: फतेहपुर में कृपाल परमार ने जयराम ठाकुर के मंत्री राकेश पठानिया को तिकोने मुकाबले में फंसा दिया है तो धर्मशाला में विपिन नेहरिया ने यही स्थितियां पैदा की हैं. कांगड़ा में भी पवन काजल की राह कुलभाष चौधरी ने तिकोनी कर दी है. इसी तरह बिलासपुर जिले की झंडूता सीट पर पूर्व विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष स्व. रिखीराम कौंडल के बेटे राजकुमार कौंडल भी पार्टी की मुश्किल बढ़ा रहे हैं. कुल्लू में राम सिंह बागी हैं और पार्टी ने उन्हें निकाल भी दिया है. भाजपा ने छह लोगों को निष्कासित किया है. वहीं, आनी सीट पर किशोरी लाल और सुंदरनगर में रूपसिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर नाराज होकर मुकाबले को तिकोना बनाए हुए हैं.
काग्रेस की राह में बागियों का रोड़ा: टिकट बंटवारे के बाद बगावत का झंडा कांग्रेसियों ने भी बुलंद किया. कुछ को मनाने में पार्टी कामयाब रही तो कुछ अभी भी चुनाव मैदान में कांग्रेस की मुश्किल भी बढ़ा रहे हैं. कांग्रेस के लिए चौपाल में डॉ. सुभाष मंगलेट और पच्छाद में वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर ने पार्टी प्रत्याशी को तिकोने मुकाबले में धकेल दिया है. अर्की से वीरभद्र सिंह के करीबी रहे राजेंद्र ठाकुर ने कांग्रेस के लिए तिकोनी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं. ऐसा ही समीकरण शिमला की ठियोग सीट पर विजयपाल खाची बना रहे हैं. कांग्रेस ने चिंतपूर्णी से लेकर बिलासपुर और करसोग सीट पर बागियों को मना लिया लेकिन कुछ सीटों पर बागी खेल बिगाड़ सकते हैं. (Rebel candidates of Congress in Himachal)
दोनों पार्टियों ने लिया एक्शन- नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तक दोनों दलों के बड़े नेता बागियों को मनाते रहे और जो नहीं माने उनके खिलाफ एक्शन भी लिया गया है. दोनों दलों ने बागियों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. कुछ मान गए हैं तो कुछ इक्का दुक्का मन मारकर पीछे हट गए हैं लेकिन इस चुनाव में प्रदेश की कुल 68 सीटों में से 17 सीटों पर बागी समीकरण बिगाड़ने के लिए डटे हुए हैं.
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