शिमला: विदेश से आने वाले सस्ते सेब से हिमाचल के बागवानों और इसके खरीदारों की चिंता बढ़ गई है. प्रदेश के कई बागवान, आढ़ती और अन्य खरीदार सेब सीजन में सेब खरीदकर इसको सीए स्टोर में रखकर बाद में मंडियों में उतारते हैं, लेकिन इस सेब को विदेश से आने वाले सस्ते सेब से टक्कर मिलने के पूरे आसार हैं. इस बार सेब कम होने से सीए स्टोर का हिमाचली सेब की कीमत 150 रुपए तक रहेगी, जबकि विदेशों से सेब इससे आधी कीमत पर देश में सेब पहुंच रहा है. जाहिर है कि हिमाचल का सेब पिटेगा और इसका असर यहां के बागवानों पर सीधा पड़ेगा.
विदेश से आने वाला सेब हिमाचल सहित अन्य सेब उत्पादक राज्यों के लिए चिंता का सबब रहा है, लेकिन इस बार इसलिए भी चिंता ज्यादा है कि क्योंकि अबकी बार सेब अपेक्षाकृत ऊंचे दामों पर खरीदा गया है. हिमाचल की मंडियों में ही बढ़िया किस्म का सेब 150 रुपए तक का सेब बिका है, जबकि 110 से 130 रुपए तक अधिकतर सेब की कीमतें रही हैं. इस खरीदे हुए सेब को काफी संख्या में आढ़ती और लदानी सीए स्टोर में रखे हुए हैं और सेब सीजन खत्म होने के बाद इसको मंडियों में उतारेंगे. मगर इस बार इनकी चिंता बाहर से आने वाले सेब को लेकर है. तुर्की, ईरान से देश में सस्ता सेब आयात होता है.
ईरान की बात की जाए तो आम तौर पर यह सेब 20 से 25 रुपए किलो तक बिकता है, हालांकि इस बार केंद्र सरकार ने तय किया है कि 50 रुपए से कम से देश में आयात नहीं होगा, लेकिन फिर भी यह सेब भारत में पैदा होने वाले सेब से सस्ता है. देश में उतारने और आयात शुल्क लगाने सहित यह सेब बाजार में 75 रुपए किलो तक उपलब्ध होगा. बताया जा रहा है कि तुर्की का सेब मुंबई में 80 रुपए आयात शुल्क समेत पहुंचने लगा है. ऐसे में हिमाचल सेब स्टोर करने वाले सीए स्टोर प्रबंधनों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं.
सीए स्टोर के सेब की कीमत न्यूनतम 150 रुपए तक पहुंचेगी: बागवानों और अन्य खरीदारों ने जो बेहतर किस्म का सेब सीए स्टोर में रखा है उसकी न्यूनतम कीमत 150 रुपए बैठेगी. एक तो इस बार सेब पहले ही ज्यादा कीमत पर खरीदा गया है तो वहीं दूसरी ओर सीए स्टोर में रखने का खर्च भी इसमें जोड़ना होगा. ऐसे में अगर किसी खरीदार ने 125 रुपए किलो का सेब खरीदा है, इसकी सीए स्टोर और अन्य खर्चे सहित करीब 150 रुपए किलो तक इसकी कीमत बैठेगी. ऐसे में 150 रुपए किलो से ज्यादा इसी सेब को बेचना पड़ेगा. तभी वो कमाई कर सकेंगे, लेकिन विदेशों से आने वाले सेब की कीमतें इससे आधी है. विशेषकर ईरान और तुर्की से आने वाले सेब की कीमतें काफी कम हैं. बताया जा रहा है कि तुर्की से भी सेब की आयात होने लगा है. तुर्की का सेब यहां पर 80 रुपए किलो तक पहुंचने लगा है.
केंद्र सरकार लगा रही है विदेशी सेब पर 50 फीसदी आयात शुल्क: विदेशी सेब पर केंद्र सरकार की ओर से 50 फीसदी लगाया जा रहा है. सार्क देशों पर कोई आयात शुल्क नहीं है. हालांकि पहले अमेरिका से आने वाले सेब पर 70 फीसदी आयात शुल्क था जिसको कुछ ही समय पहले केंद्र ने घटाकर 50 फीसदी तक ला दिया है. विदेशों से सस्ते सेब के आयात का सीधा नुकसान हिमाचल सहित अन्य राज्यों के सेब बागवानों को हो रहा है. विदेशों से आने वाले सेब से हिमाचली सेब की डिमांड कम हो रही है.
बीते साल 31 देशों से देश में हुआ सेब का आयात: दुनिया कई देश भारत में सेब का निर्यात करते हैं. बीते साल 31 देशों से सेब का आयात हुआ है. अगर पिछले सालों को देखा जाए तो लगातार विदेशों से सेब का आयात बढ़ा है. भारत ने अप्रैल से दिसंबर 2020 तक 1,39,489 टन सेब आयात किया. इसे बाद 2021 में दिसंबर तक 3,03,245 टन सेब आयात किया गया. हालांकि देश में अधिकतर सेब चिल्ली, तुर्की और ईरान से आ रहा है. 2022 में तुर्की से सबसे ज्यादा करीब 107219 टन सेब का आयात हुआ, दूसरे स्थान पर ईरान से करीब 80346 टन और तीसरे स्थान पर ईटली से करीब 4687 टन सेब का आयात हुआ.
इनके अलावा दुनिया के दूसरे कुछ देश से जहां से काफी मात्रा में सेब भारत आ रहा है. इनमें साल 2022 में न्यूजीलैंड से 19126 टन, पोलैंड से 26323 टन, दक्षिण अफ्रीका से 19256 और ब्राजील से करीब 11523 टन सेब का आयात किया गया. अमेरिका की बात करें तो पिछले कुछ सालों से अमेरिकी सेब पर 70 फीसदी आयात शुल्क था, जिससे यहां से आयात कम हो रहा था. पिछले साल में मात्र 4486 टन सेब का आयात अमेरिका से हुआ, लेकिन अब आयात शुल्क घटाने से इसका आयात बढ़ जाएगा.
ईरान से इसलिए आता है सस्ता सेब: ईरान से सस्ते सेब के आयात की एक बडी वजह यह है कि अमेरिका ने ईरान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखे है. इस वजह से ईरान सस्ते दाम पर सेब देने को तैयार है, जिसकी मार प्रदेश के बागवानों पर पड़ रही है. आमतौर पर जनवरी और फरवरी में प्रदेश के बागवानों का सेब 200 रुपए प्रति किलो तक बिकता था, लेकिन विदेशों से 75-80 रुपए किलो सेब आने से हिमाचली सेब की डिमांड घटेगी, जिसका नुकसान बागवान को होगा.
अफगानिस्तान के रास्ते अवैध ढंग से लाया जा रहा सेब: अफगानी स्थान के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हैं. इसलिए वहां से आने वाले सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लिया जाता. लेकिन इसका फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं. ये देश अफगानिस्तान के रास्ते सस्ता सेब भारत में भेज रहे हैं. आयातित सेब की वजह से हिमाचल के बागवान सीए स्टोर का सेब नहीं बेच पाते. जाहिर है कि हिमाचल का सेब विदेश से आयात हुए सस्ते सेब का मुकाबला नहीं कर सकता. इन देशों से सेब आयात होने पर मार्केट में वह सस्ता बिकता है और हिमाचल का सेब अपेक्षित हो जाता है.
यह है कारोबारियों और बागवानों की चिंता: शिमला जिला के कुमारसैन में सीए स्टोर चलाने वाले मिलाप सिंह ठाकुर का कहना है कि उन्होंने बढिया किस्म का सेब 120 से 130 रुपए किलो तक खरीदा है और इस पर 25 रुपए तक की कीमत स्टोर में रखने और मंडी में पहुंचाने तक लगेगी. इस तरह करीब 150 से 155 रुपए प्रति किलो सेब की लागत आ रही है, लेकिन ईरान और तुर्की से इससे कम कीमत पर सेब पहुंच रहा है. तुर्की से मुंबई में आयात शुल्क सहित 80 रुपए किलो तक सेब पहुंच रहा है. इससे सीए स्टोर वालों को अपना सेब बेचना मुश्किल हो जाएगा. ऐसी हालात में उनको भारी लॉस में अपना सेब बेचना पड़ेगा.
उनका कहना है कि केंद्र सरकार को सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करना चाहिए तभी विदेशों से आने वाले सस्ते सेब के आयात पर कुछ अंकुश लगेगा. अन्यथा हिमाचल का सेब बर्बाद हो जाएगा, इसको खरीदने वाला कोई नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को गंभीरता से इस बारे में सोचना चाहिए क्योंकि यह लाखों परिवारों से जुड़ा मसला है और सेब की आर्थिकी करीब पांच हजार करोड़ की है. अगर इसको संरक्षण नहीं दिया गया तो सेब की आर्थिकी तहस नहस हो जाएगी.
कोटगढ़ सहकारी सभाओं के संयोजक सतीश भलैक का कहना है कि विदेशी सेब हिमाचल के सेब के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर आया है, वहीं केंद्र सरकार आयात शुल्क बढ़ाने की बजाए इसको कम कर रही है. हाल ही में अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क कम किया गया है. विदेशों, खासकर तुर्की, ईरान से सस्ता सेब भारत में पहुंच रहा है, वहीं अफगानिस्तान आयात शुल्क से बाहर हैं, इससे इसका सस्ता सेब भारत आ ही रहा है, लेकिन साथ में ईरान का सेब भी इसी रास्ते से देश में पहुंच रहा है. इससे हिमाचल व अन्य राज्यों के सेब उत्पादकों के सामने कड़ी चुनौती पैदा हो गई है. सरकार को इस बारे में देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेब की आर्थिकी को बचाना है, इसके लिए केंद्र सरकार को सेब पर लगने वाले आयात शुल्क को बढ़ाना होगा. ऐसा न होने पर हिमाचल सहित अन्य राज्यों के बागवानों के सामने बहुत बड़ा संकट आ गया है.
उधर, संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा है कि केंद्र सरकार के न्यूनतम 50 रुपए किलो सेब आयात की शर्त से कुछ फर्क जरूर पड़ेगा लेकिन फिर भी बाहर से सस्ता सेब देश में आने की संभावना है. उनका कहना है कि सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे विदेशी सेब कम से कम देश में आयात हो.