शिमला: हिमाचल की नई सरकार सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर चर्चा में है. सुखविंदर सिंह सरकार ने कैबिनेट विस्तार से ऐन पहले छह विधायकों को सीपीएस की शपथ दिलाई. अब मौजूदा सरकार में सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी, मोहनलाल ब्राक्टा, रामकुमार चौधरी, किशोरी लाल व आशीष बुटेल बतौर सीपीएस काम करेंगे. इनमें से सुंदर ठाकुर व संजय अवस्थी को विभिन्न विभागों के साथ अटैच कर दिया गया है.
इन सब घटनाओं के बीच ये चर्चा चल पड़ी कि मुख्य संसदीय सचिव यानी सीपीएस को वेतन कितना मिलता है और उनका काम क्या है? सुखविंदर सिंह सरकार ने हाल ही में सीपीएस के लिए रूल्स ऑफ बिजनेस बना दिए हैं. इसके तहत विभिन्न विभाग, जिनके साथ सीपीएस अटैच होंगे. वहां की फाइल इनके पास से होकर ही संबंधित मंत्री के पास जाएगी.
वे किसी तरह का फैसला तो नहीं ले सकेंगे, लेकिन अपना मत प्रकट कर सकेंगे. क्योंकि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार ने किसी भी सीपीएस या पीएस यानी संसदीय सचिव की नियुक्ति नहीं की थी, लिहाजा सुखविंदर सरकार के समय नियुक्त सीपीएस चर्चा में आ गए हैं. तो आइए, जानते हैं सीपीएस का सैलरी स्ट्रक्चर क्या है.
वर्ष 2016 में माननीयों के वेतन में हुई थी वृद्धि- सीपीएस का वेतन व भत्तों के बारे में जानने से पहले ये देखना जरूरी है कि हिमाचल में आखिरी बार माननीयों के वेतन में बढ़ोतरी कब हुई थी. तो हिमाचल में माननीयों के वेतन में वर्ष 2016 में बढ़ोतरी हुई थी. उस समय हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार में तब दस विधायकों को सीपीएस व पीएस बनाया गया था.
CPS को पहले मिलता था 40 हजार रुपये वेतन- खैर, उस समय जो वेतन बढ़ोतरी हुई थी, उसके अनुसार सीपीएस का वेतन 65 हजार किया गया था. इससे पहले ये वेतन 40 हजार रुपए मासिक था. ये तो सिर्फ मूल वेतन है. इसके अलावा अन्य भारी-भरकम भत्ते अलग से हैं. बेशक इस समय सुखविंदर सिंह सरकार में कोई पीएस यानी संसदीय सचिव नहीं है, लेकिन संसदीय सचिव का मासिक वेतन भी साठ हजार रुपए तय है. पहले संसदीय सचिव को 35 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता था.
CPS को इतने का मिलता है प्रति माह भत्ता- इसके अलावा संसदीय सचिव को विधायकों के समान ही 90 हजार रुपए प्रति माह निर्वाचन भत्ता मिलता है. ऑफिस भत्ता तीस हजार रुपए मासिक है. यात्रा भत्ता को जयराम सरकार के समय ढाई लाख रुपए सालाना से चार लाख रुपए सालाना किया गया था. एक सीपीएस को एक महीने में कुल मिलाकर 2 लाख 20 हजार रुपए मिलते हैं. ये विधायकों से दस हजार रुपए अधिक है. इसके अलावा सरकारी गाड़ी व ऑफिस सहित अन्य सुविधाएं मिलती हैं. सस्ती दर पर लोन व अन्य कई प्रकार की सुविधाएं माननीयों को मुहैया करवाई जाती हैं.
विस अध्यक्ष का वेतन-भत्ता 2.54 लाख मासिक- विधानसभा अध्यक्ष का मूल वेतन 80 हजार रुपए मासिक है. अन्य भत्तों को मिलाकर ये रकम 2.54 लाख रुपए मासिक बनती है. वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष का मूल वेतन 75 हजार रुपए है और अन्य भत्ते मिलाकर ये रकम 2.49 लाख रुपए माहवार बनता है. मुख्यमंत्री को मासिक 95 हजार रुपए वेतन मिलता है. कुल भत्ते मिलाकर ये रकम 2.69 लाख रुपए बनती है.
कैबिनेट मंत्रियों का कुल वेतन 2.54 लाख रुपए ही है. पूर्व में केवल वीरभद्र सिंह सरकार के समय ही 2012 से 2017 के कार्यकाल में दो बार वेतन बढ़ोतरी हुई थी. जयराम सरकार ने केवल यात्रा भत्ता बढ़ाया. जयराम सरकार के कार्यकाल में ही माननीयों के वेतन पर सरकार द्वारा भरे जाने वाला टैक्स बंद किया गया था. अब माननीय अपने वेतन पर खुद टैक्स भरते हैं.
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