शिमला: पर्यटन स्थल कुफरी में आसपास के इलाकों के सैकड़ों लोग सैलानियों से आमदनी कमाते हैं. इलाके के बहुत से लोग सैलानियों को घोड़े और याक की सवारी करवाकर रोजी-रोटी कमाते हैं, लेकिन कोरोना के चलते ये लोग पिछले दो महीनों से पूरी तरह से बेरोजगार होकर घर बैठे हैं. ऐसे में इन लोगों को अपने घोड़े व याक को दाना व घास खिलाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. हालात ये है कि ये लोग अब अपने जानवरों को जंगल व सड़कों में खुला छोड़ने पर विवश हो गए हैं.
बता दें कि एक घोड़े के प्रतिदिन चारे का खर्चा 200 रुपये के करीब आता है, लेकिन कमाई का साधन न होने से अब इन्हें खुले में छोड़ा जा रहा है. पर्याप्त खुराक न मिलने से अब जानवरों की मौतें भी हो रही हैं. बीते दिनों कुफरी में भुखमरी से एक याक की मौत भी हो गई है.
घोड़ों व याक का करने वाले लायक राम भंडारी का कहना है कि दो महीने से काम पूरी तरह से बंद है. ऐसे में उनके पास जानवरों को खिलाने के लिए चारा खरीदने के पैसे नहीं हैं. भंडारी ने कहा कि अब तो उन्हें अपने परिवार की आजीविका चलाने में कठिनाई हो रही है. जानवरों के लिए चारा नहीं जुटा पा रहे थे, जिस वजह से इन्हें जंगल और सड़कों पर छोड़ना पड़ रहा है. इनका कहना है कि भुखमरी के चलते बीते शनिवार एक याक की मौत हो गई थी.
गौरतलब है कि शिमला के कुफरी में पूरा साल भर सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है और आसपास के लोग सैलानियों को घोड़े और याक की सवारी करवाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कुफरी सुनसान पड़ी है. ऐसे में कारोबार से जुड़े लोगों को अब दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है.
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