शिमला: हिमाचल में राजनीति के लिहाज से साल 2022 कई घटनाओं का गवाह बना. हिमाचल में चूंकि 2022 चुनावी वर्ष था, लिहाजा यहां कई राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले. हिमाचल में करीब चार दशक से कोई सरकार सत्ता में फिर से वापसी नहीं कर पाई है. इस बार सबकी नजरें भाजपा के रिवाज बदलने के नारे पर टिकीं थीं. हिमाचल में सियासत का रिवाज तो नहीं बदला, अलबत्ता जनता ने ताज जरूर बदल दिया. देवभूमि हिमाचल के वोटर्स ने सत्ता का ताज कांग्रेस के हाथ में थमा दिया और कांग्रेस ने इस ताज को सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर सजा दिया. (Himachal Year Ender 2022) (Himachal Political Year Ender 2022) (Himachal Election 2022)
हिमाचल में नहीं बदला रिवाज- ये इस साल की सबसे बड़ा सियासी घटनाक्रम रहा और 1985 से हर 5 साल में सरकार बदलने का रिवाज इस बार भी बरकरार रहा. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 बीजेपी ने इस रिवाज को बदलने का दावा किया था लेकिन जनता ने सारे दावों की हवा निकाल दी. वर्ष 2022 की सबसे बड़ी सियासी घटना हिमाचल में सत्ता परिवर्तन रही. भाजपा और कांग्रेस में टिकट आवंटन को लेकर खूब गहमा-गहमी हुई. चुनाव प्रचार में भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक ताकत झोंकी. कांग्रेस के प्रचार के लिए राहुल गांधी हिमाचल नहीं आए. प्रचार की कमान प्रियंका वाड्रा ने संभाली. प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान हुआ और 8 दिसंबर को परिणाम आए. कांग्रेस ने 40 सीटें हासिल कर सत्ता संभाली और भाजपा का मिशन रिपीट का दावा फेल हो गया. हिमाचल में पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का रिवाज जारी रहा. भाजपा के सीएम फेस जयराम ठाकुर ने मंडी का किला बाखूबी संभाला. जयराम ठाकुर ने हिमाचल के इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की. (Himachal Assembly Election 2022) (Himachal Election Result 2022) (Congress Govt in Himachal Pradesh) (Sukhvinder Singh Sukhu CM of Himachal)
चुनाव परिणाम के बाद जब सत्ता कांग्रेस के हाथ आई तो सबसे हॉट सीट की लड़ाई को लेकर खूब जोर आजमाइश हुई. प्रतिभा सिंह कैंप ने सीएम की सीट हासिल करने के लिए हाईकमान के प्रतिनिधियों के सामने खूब हंगामा किया. अंतत: नंबर्स मैटर्स को देखते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू का पलड़ा भारी रहा और मुख्यमंत्री के पद पर उनकी ताजपोशी हो गई. इसी बीच, संतुलन साधने के लिए हाईकमान ने मुकेश अग्निहोत्री के रूप में हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. फिलहाल, अब हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है.
नवंबर 2021 में लिखी गई 2022 की सियासी पटकथा- हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने वर्ष 2017 में सत्ता संभाली थी. बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सबसे बड़ी चुनौती 2021 में उपचुनाव के रूप में आ गई. जब हिमाचल में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में भाजपा बुरी तरह से परास्त हुई. ना केवल मंडी लोकसभा सीट पर हार हुई बल्कि तीन विधानसभा सीटों पर भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. फतेहपुर व अर्की की सीट बेशक कांग्रेस के ही पास थी, लेकिन जुब्बल-कोटखाई की सीट पर भाजपा ने नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन सिंह को टिकट न देकर भारी गलती की. खैर, उपचुनाव में हार के बाद भाजपा को जिस तरह से चौकन्ना होना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ और पार्टी सत्ता के सेमीफाइनल के बाद अगले ही साल यानी 2022 में फाइनल भी गंवा बैठी.
पीएम मोदी के दूसरे घर में हार से सन्न भाजपा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल में चारों लोकसभा सीटों पर चुनावी रैलियां कीं. अमित शाह के अलावा पार्टी के मुखिया जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर और फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ समेत 40 स्टार प्रचारकों की फौज प्रचार के रण में उतारी गई. खुद जयराम ठाकुर ने भी मोर्चा संभाला हुआ था. लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का स्टार पावर भी धरा रह गया. ये उस हिमाचल का हाल है जहां पहले 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी चारों सीटों पर कमल खिला था. 2022 की ये हार न केवल पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा व अनुराग ठाकुर सहित योगी आदित्यनाथ के करिश्मे की हार है, बल्कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के लिए भी ये हार किसी धक्के से कम नहीं. कारण ये है कि सुरेश कश्यप की अगुवाई में पार्टी ने हिमाचल में कोई चुनाव नहीं जीता.
मंडी के मास्टर साबित हुए जयराम- भाजपा बेशक चुनाव हार गई, लेकिन जयराम ठाकुर ने कई रिकॉर्ड बनाए. वर्ष 2017 में भाजपा ने मंडी की दस में से नौ सीटें जीती थीं और इस बार भी यही आंकड़ा रहा. जिले से इकलौते निर्दलीय विधायक रहे प्रकाश राणा ने इस बार बीजेपी के निशान पर चुनाव जीता. इस बार भी बीजेपी ने हिमाचल की 10 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार भाजपा ने अपने गढ़ धर्मपुर को खोया. यहां कद्दावर नेता और जयराम के कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को हार मिली. इस बार मंडी की सिराज सीट ने एक नया इतिहास बनाा. जयराम ठाकुर यहां से 38183 वोट से जीते. ये हिमाचल के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है. इससे पहले वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल 26 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज कर चुके हैं. जयराम ठाकुर की जीत में मतों का अंतर तय करना अब आने वाले समय में सभी के लिए चुनौती होगी.
दिग्गजों की हार, कुछ की सियासत पर विराम- हिमाचल में इस बार भी कई दिग्गजों को हार का स्वाद चखना पड़ा. इनमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों के दिग्गज शामिल हैं. जयराम ठाकुर की कैबिनेट के 8 मंत्री चुनाव हार गए. इसके अलावा मंडी से कौल सिंह ठाकुर, भरमौर से ठाकुर सिंह भरमौरी, कुसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज, मनाली से गोविंद सिंह ठाकुर, फतेहपुर से राकेश पठानिया, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, कसौली से राजीव सैजल, शाहपुर से सरवीण चौधरी, नाहन से राजीव बिंदल, देहरा से रमेश ध्वाला, ज्वालामुखी से रविंद्र सिंह रवि, डलहौजी से आशा कुमारी, श्री नैना देवी जी से रामलाल ठाकुर चुनाव हार गए. कई राजनेताओं का करिअर करीब-करीब विराम की अवस्था में चला गया. इनमें गंगूराम मुसाफिर, कौल सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, महेंद्र सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, रमेश ध्वाला आदि का नाम शामिल है.
बागियों की रही खूब चर्चा- हिमाचल में 2022 का साल सियासत के बागियों के लिए याद किया जाएगा. हिमाचल में भाजपा की पराजय में बागियों का बड़ा हाथ है. सबसे चर्चित बागी कृपाल परमार रहे. उन्हें मनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का फोन आया, लेकिन वे मैदान से नहीं हटे. इसके अलावा भाजपा में किन्नौर से तेजवंत नेगी, नालागढ़ से केएल ठाकुर, धर्मशाला से विपिन नैहरिया, देहरा से होशियार सिंह, कुल्लू से रामसिंह, बड़सर से संजीव शर्मा, बंजार से हितेश्वर सिंह, इंदौरा से मनोहर धीमान, मंडी से प्रवीण शर्मा आदि बागी होकर चुनाव लड़े. कुछ सीटों पर बागियों के मैदान में होने के बावजूद पार्टी चुनाव जीत गई. जैसे आनी से भाजपा के लोकेंद्र सिंह, मंडी से अनिल शर्मा आदि. कांग्रेस से गंगूराम मुसाफिर, सुभाष मंगलेट, राजेंद्र ठाकुर, जगजीवन पाल, इंदू वर्मा, विजयपाल खाची का नाम बागियों में प्रमुख रहा. ठियोग सीट पर कांग्रेस के दो बागी चुनाव मैदान में थे. वैसे तो दोनों दलों के बागी चुनाव मैदान में थे लेकिन तादाद के मामले में बीजेपी के ज्यादा बागी थे, जिनमें से 3 ने चुनाव जीता तो कुछ ने बीजेपी का समीकरण बिगाड़ते हुए अच्छे खासे वोट काटे.
लेफ्ट को नकारा- हिमाचल में पिछली बार वामपंथ से एक प्रतिनिधि था. ठियोग से राकेश सिंघा विधायक बने थे. इस बार वे माकपा की टिकट पर फिर से चुनाव मैदान में थे, लेकिन वे कांग्रेस के कुलदीप सिंह राठौर से हार गए. राकेश सिंघा पहले भी शिमला सीट से चुनाव हारे थे. हालांकि माकपा ने नौ सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे और वे सभी हार गए. कुसुम्पटी से डॉ. कुलदीप सिंह तंवर लगातार तीसरी बार चुनाव हार गए. शिमला सीट से इस बार शहर के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर मैदान में थे, लेकिन वे भी हार गए.
इस बार केवल एक महिला विधायक- हिमाचल में साल 2022 में विधानसभा में केवल एक ही महिला प्रतिनिधि नजर आएंगी. पच्छाद से रीना कश्यप फिर से चुनाव जीत कर आई हैं. पिछली बार विधानसभा में सरवीण चौधरी, आशा कुमारी, कमलेश कुमारी, रीता धीमान, रीना कश्यप के रूप में महिला प्रतिनिधि मौजूद थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस से कोई महिला चुनाव नहीं जीती हैं.
नए युग में हिमाचल की सियासत- वर्ष 2022 में हिमाचल की सियासत नए रूप में नजर आई. अब आगामी पांच साल तक प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता रहेगी. पिछले करीब 4 दशक में पहली बार हिमाचल की सत्ता पर कांग्रेस की सरकार तो है लेकिन वीरभद्र सिंह की बजाय सुखविंदर सुक्खू नए युग की शुरुआत कर रहे हैं. सियासत के तौर पर देखें तो पिछली बार भी सीएम के पद पर राजपूत नेता थे और इस बार भी. इस दफा कांग्रेस सरकार में एक डिप्टी सीएम भी है. ब्राह्मण राजनेता के तौर पर मुकेश अग्निहोत्री के रूप में पावरफुल नेता हैं. हिमाचल की सियासत में छात्र राजनीति से चुनावी राजनीति में आए नेताओं का वर्चस्व है. जयराम ठाकुर भी छात्र राजनीति से आए हैं और सुखविंदर सिंह भी. इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा में कई नेता ऐसे हैं, जो छात्र राजनीति से ही आए हैं. इनमें हर्षवर्धन चौहान, अजय सोलंकी, रोहित ठाकुर, राजेश धर्माणी जैसे नाम प्रमुख हैं. भाजपा से विपिन परमार, बिक्रम ठाकुर, सतपाल सिंह सत्ती प्रमुख नाम हैं.
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