शिमला : हिमाचल में साल 2022 पुलिस भर्ती घोटाले के लिए भी याद रखा जाएगा. हिमाचल पुलिस पेपर लीक साल भर सुर्खियों में रहा और चुनावी साल में इसपर सियासत भी खूब हुई. पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा तो हिमाचल सरकार भी सवालों में घिरी रही. पहले इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ लेकिन विपक्षी दलों ने जांच पर सवाल उठा दिए. जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी. फिलहाल मामले की जांच जारी है. (himachal year ender 2022) (himachal police paper leak case)
27 मार्च को हुई थी लिखित परीक्षा- गौरतलब है कि हिमाचल पुलिस विभाग में 1334 पदों के लिए भर्ती निकली थी. जिसकी लिखित परीक्षा 27 मार्च 2022 को हुई थी. 1334 में से 932 पद पुरुष और 311 पद महिलाओं के लिए थे. वहीं 91 पद पुरुष कॉन्स्टेबल चालक के लिए निकाले गए थे. प्रदेशभर में लगभग 75 हजार युवाओं ने ये परीक्षा दी थी. जिसमें करीब 60 हजार पुरुष और 15 हजार के करीब महिला कैंडिडेट थे. (himachal police recruitment paper leak)
ये परीक्षा प्रदेशभर में 81 केंद्रों पर हुई थी. मार्च में लिखित परीक्षा के बाद अप्रैल में परिणाम घोषित कर दिए गए. लेकिन परीक्षा के बाद कुछ कैंडिडेट के मोबाइल चैट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे और पेपर लीक का आरोप लगने लगा. धीरे-धीरे विवाद इतना बढ़ा कि मई महीने में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पुलिस भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया.
ऐसे खुला मामला- दरअसल इस परीक्षा में कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिन्होंने 60 से 70 फीसदी अंक हासिल किए थे लेकिन जब उनके दस्तावेजों की जांच की बारी आई तो 10वीं, 12वीं में उनके अंक बहुत ही एवरेज थे. जिसके बाद पुलिस अधिकारियों को शक हुआ और तीन युवकों से इस मामले में पूछताछ शुरू की गई. इसी पूछताछ में युवकों ने बताया कि पेपर लीक हुए और इसके बदले 6 से 8 लाख रुपये दिए थे.
दरअसल पुलिसवालों ने कुछ ऐसे अभ्यर्थियों से बात की जो इस परीक्षा में जिले के टॉपर थे लेकिन उन्हें इस हिमाचल के मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं पता था. कांगड़ा जिले के 3 मंत्रियों के बारे में पूछने पर एक अभ्यर्थी ने अमित शाह और निर्मला सीतारमण को कांगड़ा जिले का बता दिया. ये युवक परीक्षा पास करने के बाद दस्तावेजों की जांच के लिए धर्मशाला पहुंचे थे. इसी दौरान ये पूरा खुलासा हुआ.
कई राज्यों से जुड़े थे तार- इस मामले में पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और कांगड़ा जिले में एफआईआर भी दर्ज की गई. इस मामले के तार दिल्ली से लेकर हरियाणा, राजस्थान और बिहार से लेकर यूपी तक जुड़े. पेपर देने वाले अभ्यर्थियों से लेकर उनके अभिभावक और दलालों समेत अब तक कुल 253 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. ये सभी गिरफ्तारियां हिमाचल के अलावा अन्य राज्यों से भी हुई हैं. 27 आरोपी राजस्थान, बिहार, यूपी आदि राज्यों के हैं.
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर उतर प्रदेश के गाजियाबाद की प्रिटिंग प्रैस में छपवाया गया था. पुलिस के मुताबिक इसी प्रैस से यह पेपर लीक हुआ. इस मामले में पुलिस ने इस साल जुलाई में प्रिटिंग प्रैस के मालिक शैलेंद्र विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया. इससे पहले जून माह में पुलिस ने आरोपी की प्रिटिंग प्रैस में पेपर कटिंग और बाईंडिग का काम करने वाले सुधीर यादव, अरविंद समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक सुधीर यादव ने यह पेपर लीक कराया था, उसने यह पेपर बिहार निवासी दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड गोरे लाल के माध्यम से गौतम कुमार को दिया और इनमें से एक सुबोध कुमार ने बिचौलिये की भूमिका निभाई. इसके बाद पेपर एजेंटों को वितरित किया गया. एजेंटों ने आगे अभ्यर्थियों को पेपर रटाने के लिए दिया. पुलिस भर्ती परीक्षा पेपर मार्च माह में इसी प्रैस में छपवाए गए थे जो बाद में लीक हो गए थे.
सीबीआई कर रही मामले की जांच- हिमाचल पुलिस पेपर लीक मामले की जांच शुरुआत में हिमाचल पुलिस की एसआईटी कर रही थी लेकिन सरकार पर विपक्ष का दबाव बढ़ा तो इस मामले की जांच के लिए मई महीने में ही सीबीआई को प्रदेश सरकार की ओर से चिट्ठी लिखी गई थी. इस मामले में सीबीआई ने इसी महीने केस दर्ज किया है. केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद दो एफआईआर चंडीगढ़ में दर्ज की गई हैं. पुलिस और सीआईडी की दो एफआईआर को आधार बनाकर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की हैं. प्रारंभिक तौर पर दोनों एफआईआर में सीबीआई ने पांच आरोपियों को नामजद किया है. इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मामले पर जमकर हुई सियासत- चुनावी साल में हुए इस पेपर लीक मामले पर सियासत भी जमकर हुई. खासकर कांग्रेस ने इस मामले पर सरकार को घेरे रखा. सदन से लेकर सड़क तक कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही और चुनावी साल में इसे मुद्दा भी बनाया. विपक्ष के हमलावर रुख से तत्कालीन जयराम सरकार बैकफुट पर आ गई. बीजेपी ने एसआईटी से लेकर मामले की सीबीआई जांच करवाने तक का श्रेय लिया तो कांग्रेस ने इसे विपक्ष का दबाव बताया और साथ ही बीजेपी सरकार पर बड़ी मछलियों को बचाने का आरोप लगा दिया. कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में सिर्फ अभिभावकों और उनके बच्चों को निशाना बना रही है. जबकि असली गुनहगारों को बचाया जा रहा है. इस पेपर लीक को कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान मुद्दा बनाया था. अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है देखना होगा कि इस मामले पर अब नई सरकार का क्या रुख होगा और सीबीआई इस मामले में कोई नया खुलासा कर पाएगी या नहीं ?
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