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कोरोना का डर: सरकार की अनुमति मिलने के बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं छात्र

सरकार की ओर से प्रदेश के स्कूलों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने के अनुमति दे दी गई हैं. इसके बावजूद भी आज पहले दिन ही प्रदेश के स्कूलों में छात्र नियमित कक्षाएं लगाने के लिए नहीं पहुंचे.

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Published : Oct 19, 2020, 9:03 PM IST

Education deparment shimla
Education deparment shimla

शिमला: सरकार की ओर से प्रदेश के स्कूलों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने के अनुमति दे दी गई हैं. इसके बावजूद भी आज पहले दिन ही प्रदेश के स्कूलों में छात्र नियमित कक्षाएं लगाने के लिए नहीं पहुंचे.

इसके अलावा शिमला में बहुत से स्कूल ऐसे भी रहे जहां पर छात्रों की संख्या शून्य रही और कोई भी छात्र स्कूल नहीं आया. जिन स्कूलों में छात्र परामर्श लेने के लिए पहुंचे वहां शिक्षकों ने छात्रों की समस्याओं को सुलझाया और उनकी कक्षाएं भी लगाई लेकिन ज्यादातर स्कूल सुने ही नजर आए.

छात्रों के स्कूल ना आने के पीछे की एक वजह यह भी रही कि नियमित कक्षाएं लगाने को लेकर अभी तक किसी भी तरह की आधिकारिक अधिसूचना शिक्षा विभाग की ओर से भी जारी नहीं की गई है. अधिकतर स्कूलों में इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि छात्रों की नियमित कक्षाएं शुरू की जाए या नहीं.

वहींं, अभिभावक भी अपने बच्चों को नियमित कक्षाओं के लिए स्कूल भेजने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. पहले दिन अभिभावकों ने इस बात में रुचि नहीं दिखाई और यही वजह रही कि अधिकतर स्कूल खाली ही नजर आए.

छात्रों को स्कूल न भेजने की पीछे की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि अगर छात्र को स्कूल आना है, तो उसे अपने अभिभावकों का सहमति पत्र साथ लाना होगा.

इस सहमति पत्र के आधार पर अगर स्कूल में छात्र कोरोना पॉजिटिव होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की ओर से अभिभावकों पर ही डाल दी गई है. सरकार अपनी ओर से बच्चों की कोई भी जिम्मेवारी लेने के लिए तैयार नहीं है, जिसकी वजह से अभिभावक भी सरकार के इस फैसले के विरोध में नजर आ रहे हैं. यही वजह भी है कि अब स्कूल खुलने पर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर असमंजस की स्थिति में है.

बता दें कि शिक्षा मंत्री की ओर से कहा गया था कि 19 अक्टूबर से दसवीं और बारहवीं के छात्रों की कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी. छात्र अपनी कक्षाएं लगाने के लिए स्कूलों में आ सकते हैं जबकि नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को स्कूल बुलाना है या नहीं.

वहीं, पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों की नियमित कक्षाओं को लगाने का फैसला भी सरकार जल्द करेगी. कैबिनेट में इसे लेकर फैसला लिया जाएगा. वहीं यह भी कहा गया था कि दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की कक्षाएं स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और केंद्र सरकार की एसओपी का पालन करते हुए शुरू की जाएंगी.

ये भी पढ़ें: औरों को नसीहत-खुद मियां फजीहत! स्वास्थ्य कर्मियों ने ही उड़ाई कोविड-19 के नियमों की धज्जियां

शिमला: सरकार की ओर से प्रदेश के स्कूलों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने के अनुमति दे दी गई हैं. इसके बावजूद भी आज पहले दिन ही प्रदेश के स्कूलों में छात्र नियमित कक्षाएं लगाने के लिए नहीं पहुंचे.

इसके अलावा शिमला में बहुत से स्कूल ऐसे भी रहे जहां पर छात्रों की संख्या शून्य रही और कोई भी छात्र स्कूल नहीं आया. जिन स्कूलों में छात्र परामर्श लेने के लिए पहुंचे वहां शिक्षकों ने छात्रों की समस्याओं को सुलझाया और उनकी कक्षाएं भी लगाई लेकिन ज्यादातर स्कूल सुने ही नजर आए.

छात्रों के स्कूल ना आने के पीछे की एक वजह यह भी रही कि नियमित कक्षाएं लगाने को लेकर अभी तक किसी भी तरह की आधिकारिक अधिसूचना शिक्षा विभाग की ओर से भी जारी नहीं की गई है. अधिकतर स्कूलों में इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि छात्रों की नियमित कक्षाएं शुरू की जाए या नहीं.

वहींं, अभिभावक भी अपने बच्चों को नियमित कक्षाओं के लिए स्कूल भेजने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. पहले दिन अभिभावकों ने इस बात में रुचि नहीं दिखाई और यही वजह रही कि अधिकतर स्कूल खाली ही नजर आए.

छात्रों को स्कूल न भेजने की पीछे की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि अगर छात्र को स्कूल आना है, तो उसे अपने अभिभावकों का सहमति पत्र साथ लाना होगा.

इस सहमति पत्र के आधार पर अगर स्कूल में छात्र कोरोना पॉजिटिव होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की ओर से अभिभावकों पर ही डाल दी गई है. सरकार अपनी ओर से बच्चों की कोई भी जिम्मेवारी लेने के लिए तैयार नहीं है, जिसकी वजह से अभिभावक भी सरकार के इस फैसले के विरोध में नजर आ रहे हैं. यही वजह भी है कि अब स्कूल खुलने पर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर असमंजस की स्थिति में है.

बता दें कि शिक्षा मंत्री की ओर से कहा गया था कि 19 अक्टूबर से दसवीं और बारहवीं के छात्रों की कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी. छात्र अपनी कक्षाएं लगाने के लिए स्कूलों में आ सकते हैं जबकि नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को स्कूल बुलाना है या नहीं.

वहीं, पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों की नियमित कक्षाओं को लगाने का फैसला भी सरकार जल्द करेगी. कैबिनेट में इसे लेकर फैसला लिया जाएगा. वहीं यह भी कहा गया था कि दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की कक्षाएं स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और केंद्र सरकार की एसओपी का पालन करते हुए शुरू की जाएंगी.

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